हैद्राबाद(जी.एन.एस.) चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार को कहा कि वह 201 9 के चुनावों में शामिल नहीं होंगे क्योंकि वह जमीनी स्तर पर वापस जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने नेताओं के साथ पर्याप्त काम किया था। उन्होंने मीडिया रिपोर्टों से इंकार कर दिया कि वह राजनीति में शामिल हो रहे हैं । इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के छात्रों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने पिछले दो वर्षों से कहा कि वह इस डोमेन को छोड़ना चाहते थे लेकिन निर्णय लेने से पहले अपने संगठन आईपीएसी को सुरक्षित हाथों में छोड़ना चाहते थे। उन्होंने कहा, “मैं पिछले 4-5 सालों से देखे गए तरीके और फॉर्म में 201 9 चुनाव अभियान का हिस्सा नहीं बनूंगा ।” 41 वर्षीय ने कहा कि वह गुजरात या बिहार में जमीनी स्तर पर वापस जाना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने विस्तार से विस्तार नहीं किया।
प्रशांत किशोर के मुताबिक, ‘2019 के चुनाव में आप मुझे किसी पार्टी के लिए काम करते हुए नहीं देखेंगे. अब मेरी इच्छा गुजरात या फिर बिहार में जमीनी स्तर पर लौट कर आम लोगों के साथ काम करने की है. लेकिन इसके पहले मैं अपनी संस्था इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपीएसी) को उपयुक्त हाथों में सौंपना चाहता हूं.’
इस दौरान उन्होंने उन खबरों को भी खारिज किया कि उन्होंने या उनकी संस्था ने राजनीतिक दलों व नेताओं का काम करने के लिए बड़ी रकम हासिल की थी. प्रशांत किशोर ने आगे कहा, ‘हमारी संस्था ने कई दलों के लिए चुनावी रणनीति बनाई. लेकिन एक राजनीतिक दल को छोड़कर दूसरे राजनीतिक दल के साथ जुड़ने के फैसले में हमने पैसे को आखिरी मापदंड के रूप में ही रखा.’
बीते कुछ वर्षों के दौरान प्रशांत किशोर द्वारा किसी पार्टी की चुनावी रणनीति तैयार करने को उसकी जीत की गारंटी के तौर पर देखा जाता रहा है. प्रशांत किशोर सबसे पहले 2014 के आम चुनाव के दौरान तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनाव प्रचार को ‘मोदी लहर’ का रूप दे दिया था. उस आम चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की थी.
2014 के आम चुनाव के बाद साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने भाजपा को छोड़ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और कांग्रेस गठबंधन के प्रचार की कमान संभाली थी. उस विधानसभा चुनाव में इस गंठबंधन को भारी जीत मिली थी. इसके बाद प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रचार की कमान संभाली थी, हालांकि पार्टी के कुछ नेताओं के साथ तालमेल न बैठने पर कुछ समय बाद उन्होंने वह काम छोड़ दिया था.
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