राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 17 सितंबर से दिल्ली में एक व्याख्यानमाला (लैक्चर सीरीज़) आयोजित कर रहा है। जिसमें देश के ही नहीं बल्कि दुनिया के 60 देशों के राजनयिकों को भी न्यौता दिया है। जो यह तीन दिन चलेगी। इसका विषय है, ‘भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण.’ ख़बरों के मुताबिक इस व्याख्यानमाला में आरएसएस के पदाधिकारी तो अपने विचार रखेंगे ही, विपक्ष के नेताओं के साथ लगभग 60 देशों के राजनयिकों को भी बुलाया जा रहा है।
व्याख्यानमाला के पहले दिन सरसंघचालक मोहन भागवत उद्धाटन भाषण देंगे। इसमें वे आरएसएस के संगठन, उसकी विचारधारा, गतिविधियों और कार्यक्रमों की जानकारी देंगे। अगले दिन वे आरक्षण, हिंदुत्व, सांप्रदायिकता जैसे राष्ट्रीय महत्व के कई समसामयिक मसलों पर अपनी राय रखेंगे। साथ ही सामने मौज़ूद लोगों के सवालों का ज़वाब भी देंगे. आरएसएस की ओर से अपनी तरह का यह पहला आयोजन है जब वह विभिन्न मसलों पर विचार और स्थिति स्पष्ट कर रहा है। साथ ही विरोधी विचार वाले दलों से बातचीत भी करने वाला है। इसके लिए कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी दलों के प्रमुखों को बुलाया गया है।
ख़बरों के मुताबिक हालांकि आरएसएस की ओर से बुलाए जा रहे अतिथियों की सूची में पाकिस्तान के किसी राजनयिक का नाम नहीं है। एक पदाधिकारी कहते भी हैं, ‘पाकिस्तान को नहीं बुलाया जाएगा। उसके अलावा ज़्यादातर एशियाई देशों के दूतावासाें/उच्चायोगों को निमंत्रण भेजने का सिलसिला जल्द शुरू होने वाला है। इनमें चीन भी शामिल है क्योंकि उसके साथ भारत की कई सांस्कृतिक समानताएं हैं। जबकि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता है. सीमा पर भारतीय सैनिकों का क़त्ल करता है. उसके साथ भारत के संबंध भी सहज नहीं हैं। इसलिए उसके प्रतिनिधि को नहीं बुलाया जा रहा है।’
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