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म्हारी जबान रो खोलो ताळो अभियान, 22 भाषाओं के साथ राजस्थानी भी हो शामिल : जान्दू

 
- पिछले भाजपा घोषणा पत्र में राजस्थानी को मान्यता का वादा था,नही हुआ पूरा
श्रीगंगानगर/जयपुर। शिक्षा विभाग द्वारा माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को देश की 22 भारतीय भाषाओं की सामान्य जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू किए गए भाषा संगम कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा को भी शामिल करने की मांग उठी है। "म्हारी जबान रो खोलो ताळो" अभियान के संयोजक और राजस्थानी भाषा साहित्य मंच के प्रदेशाध्यक्ष अनिल जान्दू ने कहा कि जब देश में विधिक प्रावधानों के अनुसार प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। उसकी भी मांग लम्बे समय से राज्य सरकार से की जा रही है। उस ओर भी उदासीनता बरती जा रही है। साथ ही प्रदेश की भाषाओं में अल्पसंख्यक भाषा के रूप में भी राजस्थानी का कोई स्थान नहीं है। वहीं प्रदेश की दूसरी राजभाषा भी बनाई जा रही है। जब राजस्थानी को विदेशों में मान्यता प्राप्त है और भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से संपन्न है, प्रदेश में बीकानेर स्थित राजस्थानी अकादमी मुख्यालय होने के बावजूद राजस्थानी को महत्व नहीं देना भाषा की उपेक्षा है। उन्होंने मांग की है कि भाषा संगम में राजस्थानी भाषा को भी शामिल किया जाए। इसके साथ ही भाजपा के पिछले चुनाव घोषणा-पत्र में राजस्थानी को मान्यता देने और भाषा के विकास पर काम करने का वादा था। मान्यता तो दूर, इस भाषा की इकलौती अकादमी में पूरे पांच साल अध्यक्ष तक नियुक्त नहीं हुआ। ऐसे में इस बार के घोषणा-पत्र पर कितना विश्वास किया जायें। मंच के प्रदेशाध्यक्ष अनिल जान्दू ने कहा कि मान्यता के मसले पर केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के बीकानेर में दिए ताजा बयानों से भी भाषा प्रेमी आहत है। मान्यता आंदोलन की अगुवाई का दम्भ भरने वाले मंत्री मेघवाल ने मीडिया को बताया कि मसला निर्णय के नजदीक पहुंच चुका था। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में एकत्रित हुए साहित्यकारों ने प्रस्ताव बनाकर सरकार को दिया था कि राजस्थानी को मान्यता दी गई तो इससे हिंदी को नुकसान होगा। सरकार यह अध्ययन कर रही है कि वाकई इससे हिंदी को नुकसान होगा या नहीं। गौरतलब है कि पिछली बार राजनाथ सिंह ने ही घोषणा-पत्र जारी किया था और अब वे कह रहे है कि 'भाजपा जो कहती है वह करती है' जबकि मान्यता का मसला उन्हीं के गृह मंत्रालय में अटका है। 

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