मुंबई, 11 मार्च (वेबवार्ता)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सूचना के तहत मांगी गई जानकारी में कहा है कि नोटबंदी के दौरान पेट्रोल पंपों, रेलवे टिकट और बिजली-पानी व अन्य बिलों के भुगतान में इस्तेमाल किए गए 500 और 1, 000 रुपये के पुराने नोटों का उसके पास कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी सूचना के अधिकार कानून के तहत आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक को मिली है। उन्होंने यह जानकारी कॉमनवेल्थ ह्यूमैन राइट इनिशिएटिव (सीएचआरआई) की वेबसाइट पर डाली है। वेंकटेश ने बताया कि सीआईसी की सजा से बचने के लिए आरबीआई को मजबूरी से आरटीआई में पूछे गए सवालों का जवाब देना पड़ा और सूचनाओं को साझा करना पड़ा। 28 महीने के बाद आरटीआई के जरिए यह सूचना सामने आई है।
आरटीआई में कहा गया है कि केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने तर्क दिया था कि बैंकों में 500 और 100 मूल्य के नोटों का चलन क्रमशः 76.38 फीसदी और 108.98 फीसदी थी, जबकि 2011-16 की अवधि में अर्थव्यवस्था केवल 30 फीसदी ही बढ़ी थी। आरबीआई के निदेशकों ने सरकार के इस तर्क से असहमति जताई और जवाब दिया कि अर्थव्यवस्था की विकास दर वास्तविक दर थी, जबकि मुद्रा परिसंचरण में वृद्धि नाममात्र की थी। मुद्रास्फीति के लिए समायोजन के दौरान भी इसमें कोई अंतर नहीं पाया गया था। इसके साथ ही आरबीआई ने शैडो इकोनॉमी (आभासी अर्थव्यवस्था- जहां काले धन का लेन-देन ऑडिट ट्रेल नहीं छोड़ता है) के अनुमान को भी गलत ठहराया था। साल 1999 में जीडीपी का अनुमान 20.7 फीसदी रखा गया था। यह वर्ष 2007 में बढ़कर 23.2 फीसदी तक हो गया था। आरबीआई ने नोटबंदी से संबंधित मीटिंग के दौरान भी ब्लैक मनी को लेकर राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) और दो अन्य अनुसंधान संस्थानों की ओर से बनाई गई रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया गया था।
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई एक जानकारी के जवाब में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नोटबंदी लागू होने के बाद बैंकों के काउंटरों पर निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) के बदलने की सुविधा 24 नवंबर, 2016 तक उपलब्ध कराई गई थी। सरकार ने 23 विभिन्न सेवाओं के बिलों का भुगतान के लिए पुराने नोटों से करने की छूट दे रखी थी। इन सेवाओं में सरकारी अस्पताल, रेल, सार्वजनिक परिवहन, हवाई अड्डों पर विमान टिकट, दुग्ध केंद्रों, श्मशान-कब्रिस्तान, पेट्रोल पंप, मेट्रो रेल टिकट, डॉक्टर के पर्चे पर सरकारी और निजी फॉर्मेसी से दवा खरीदने, एलपीजी गैस सिलिंडर, रेलवे खान-पान, बिजली और पानी के बिल, एएसआई स्मारकों के प्रवेश टिकट और पथ-कर नाकों पर शुल्क आदि का भुगतान करना शामिल थे। भारतीय रिजर्व बैंक के साथ ही आरटीआई के जरिए भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) से भी जानकारी मांगी गई थी।
आरटीआई में केंद्रीय बैंक ने कहा कि उसके पास फिलहाल बिलों के भुगतान में इस्तेमाल किए गए 500 और 1, 000 रुपये के पुराने नोटों का उसके पास कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा बीमा पॉलिसी जैसे केवाईसी अनुरूप उत्पादों को खरीदने में उपयोग किए गए पुराने नोटों की संख्या की भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। इरडा की ओर से भी कहा गया कि बीमा पॉलिसी के भुगतान में उपयोग होने वाले पुराने नोटों के बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है। प्राधिकरण ऐसे आंकड़े नहीं रखता। आरबीआई ने पिछले साल अगस्त में एक रिपोर्ट जारी की थी,
जिसमें कहा गया था कि 500 और 1, 000 रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस लौट आए हैं। नोटबंदी से पहले तक देश में 500 और 1, 000 रुपये मूल्य वाले कुल 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे। इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं। इससे पहले रिजर्व बैंक ने 28 नवंबर 2016 को जारी बयान में कहा था कि 10 नवंबर से 27 नवंबर तक बैंकों में 8, 44, 982 करोड़ रुपये के चलन से बाहर किए जाने वाले नोट जमा किए गए हैं या बदलवाए गए हैं। इनमें से 33, 948 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले गए थे और 8, 11, 033 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं।
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