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बालश्रम पर सख्ती क्यों नही?

 श्रीगंगानगर/राजस्थान(सतवीर सिह मेहरा)  ।अधिक जनसंख्या और गरीबी भारत की दो सामाजिक संरचनाए हैं जो 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को काम करने और अपनी जिंदगी के लिए कमाने को मजबूर करती हैं। बाल श्रम जमीनी हकीकत हैं।यहा-वहा हर रोज हम देखते हैं।
भारत में बाल श्रम (निषेध और विनियम)अधिनियम 1986 में 14 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के रूप में बच्चें को परिभाषित किया गया हैं।लेकिन कानून व पूलिस में अलग सेल यूनिट होने के बावजूद राजस्थान में बालश्रम तेजी से करवाया जा रहा हैं।इन होटल संचालको,जुस दुकानदारों को,कुल्फी फेक्ट्री के मालिकों को बालश्रम कानून का जरा सा भय नही हैं।हमारी ग्राउण्ड रिपोर्ट में श्रीगंगानगर जिले की रायसिहनगर तहसील क्षैत्र में सबसे ज्यादा बालश्रम करवाया जा रहा हैं जबकि रायसिहनगर क्षैत्र में कानून अधिकारी हर समय हर जगह घुमते रहते हैं लेकिन बालश्रम को लेकर सब चुप हैं।हाल ही में रोडवेज की बसों में छोटे छोटे बच्चें कुल्फी बेचते सहज ही देखे जा सकते हैं।किसी ने पड़ताल करने की जहमत नही उठाई की आखिर क्या वजह हैं की इनकी बचपन कुल्फी बेचते निकल रहा हैं।मजदूरी जीवनयापन के लिए जरूरी हैं लेकिन क्या वास्तव में इन बच्चों के अलावा घर में कमाने वाला नही हैं।जमीनी हकीकत की पड़ताल करने पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आयेगे।
सरकार बालश्रम कानून की पालना सख्ती से नही करवा रही यही बजह हैं की फेक्ट्री मालिक कम रूपयों में मजदूरी करवाने के चक्कर में बच्चों को हथियार बना रहे हैं।जमीनी रिपोर्ट के लिए हमने बस स्टैण्ड,रेलवे स्टेशन,सार्वजनिक चौंक,होटल में बैठकर पडताल की जिसमें हर जगह बालश्रम करता बच्चा मिला।सरकार हमारी रिपोर्ट को गतल भले ही साबित करे लेकिन सच हैं आंकड़ा बालश्रम का बढ़ता जा रहा हैं अफसर सो रहे हैं।
जिला कलेक्टर के आदेश के बाबजूद श्रीगंगानगर क्षैत्र में भिक्षावृति मांगते 3-4 साल के बच्चें दिख रहे हैं।बच्चों के माता -पिता से मिलने की किसी अफसर ने शायद ही जहमत उठाई हो ताकि उन्हें समझाया जा सके की बार बार भिक्षा मांगने हेतु बच्चों को भेजने पर कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता हैं।जिसमें 5 वर्ष तक सजा का प्रावधान हैं।जागरूक व्यक्ति 1098या 100 नम्बर पर कॉल कर बालश्रम की सुचना पुलिस को दे सकता हैं।लेकिन लोग नाम आदि उजागर होने के भय से कॉल तक नही करते।

आप्रेशन खुशी को सरकार के सख्त लहजे से लागू किया जा सकता हैं,उच्च अधिकारी स्वंय सिवल में जागकर वास्तवकिता जाने तो कुछ सुधार लाया जा सकता हैं।

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