आत्मा योजना अंतर्गत
श्रीगंगानगर, । जिला कलक्टर श्री शिवप्रसाद एम नकाते ने कहा कि अन्तर्राज्जीय कृषक भ्रमण का मुख्य उद्देश्य अन्य राज्यों में कृषि की नवीन तकनीक को ग्रहण करना तथा अपने खेत में उसे अपनाना है।
जिला कलक्टर श्री नकाते सोमवार को कलेक्ट्रेट के बाहर आत्मा योजनांतर्गत वर्ष 2019-20 के लिये अन्तर्राज्जीय कृषक भ्रमण दल को हरी झण्डी दिखाकर रवाना करने के पश्चात यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य में कृषि के क्षेत्र में नवीन तकनीक व नवीन किस्मों को विकसित किया जाता है। राजस्थान में भी इस प्रकार के नवीन प्रयोग अनुसंधान केन्द्रों द्वारा किये जाते है। अन्तर्राज्जीय भ्रमण दल एक-दूसरे राज्यों में कृषि के क्षेत्र में जो बेहतरीन तरीके अपनाये जाते है, उसे ग्रहण करते है।
उन्होंने कहा कि किसान को उन्नत व नवीन तकनीक को ग्रहण करना होगा तथा अपनी आय बढ़ाने के लिये कृषि के साथ-साथ डेयरी व उद्यान को भी अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि डेयरी के अलावा श्रीगंगानगर में प्रोसेसिंग का कार्य भी किया जा सकता है, जिस पर सरकार द्वारा अनुदान राशि भी दी जा रही है।
उपनिदेशक कृषि जी.आर मटोरिया ने बताया कि यह भ्रमण दल पंजाब कृषि विश्वविधालय, केन्द्रीय फसल कटाई अभियांत्रिकी संस्थान लुधियाना, फार्मर फसल फस्ट नर्सरी लडोवाल, भारतीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल, भारतीय गेहंू एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल, हैक कृषि अनुसंधान मुरथल, सब्जी उत्कृष्टता केन्द्र घरोदा, केन्द्रीय मृदा लवणत्ता अनुसंधान संस्थान करनाल, फल उत्कृष्टता केन्द्र मांगीयणा, चैधरी चरणसिंह कृषि विश्वविधालय हिसार, केन्द्रीय भैंस अनुसंधान, केन्द्रीय अश्व अनुसंधान, केन्द्रीय आधुनिक कृषि यंत्र संस्थान, दक्षिण क्षेत्रीय फार्मा मशीनरी प्रशिक्षण संस्थान तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, कपास अनुसंधान संस्थान सिरसा का भ्रमण करवाया जायेगा।
श्रीगंगानगर, । जिला कलक्टर श्री शिवप्रसाद एम नकाते ने कहा कि अन्तर्राज्जीय कृषक भ्रमण का मुख्य उद्देश्य अन्य राज्यों में कृषि की नवीन तकनीक को ग्रहण करना तथा अपने खेत में उसे अपनाना है।
जिला कलक्टर श्री नकाते सोमवार को कलेक्ट्रेट के बाहर आत्मा योजनांतर्गत वर्ष 2019-20 के लिये अन्तर्राज्जीय कृषक भ्रमण दल को हरी झण्डी दिखाकर रवाना करने के पश्चात यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य में कृषि के क्षेत्र में नवीन तकनीक व नवीन किस्मों को विकसित किया जाता है। राजस्थान में भी इस प्रकार के नवीन प्रयोग अनुसंधान केन्द्रों द्वारा किये जाते है। अन्तर्राज्जीय भ्रमण दल एक-दूसरे राज्यों में कृषि के क्षेत्र में जो बेहतरीन तरीके अपनाये जाते है, उसे ग्रहण करते है।
उन्होंने कहा कि किसान को उन्नत व नवीन तकनीक को ग्रहण करना होगा तथा अपनी आय बढ़ाने के लिये कृषि के साथ-साथ डेयरी व उद्यान को भी अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि डेयरी के अलावा श्रीगंगानगर में प्रोसेसिंग का कार्य भी किया जा सकता है, जिस पर सरकार द्वारा अनुदान राशि भी दी जा रही है।
उपनिदेशक कृषि जी.आर मटोरिया ने बताया कि यह भ्रमण दल पंजाब कृषि विश्वविधालय, केन्द्रीय फसल कटाई अभियांत्रिकी संस्थान लुधियाना, फार्मर फसल फस्ट नर्सरी लडोवाल, भारतीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल, भारतीय गेहंू एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल, हैक कृषि अनुसंधान मुरथल, सब्जी उत्कृष्टता केन्द्र घरोदा, केन्द्रीय मृदा लवणत्ता अनुसंधान संस्थान करनाल, फल उत्कृष्टता केन्द्र मांगीयणा, चैधरी चरणसिंह कृषि विश्वविधालय हिसार, केन्द्रीय भैंस अनुसंधान, केन्द्रीय अश्व अनुसंधान, केन्द्रीय आधुनिक कृषि यंत्र संस्थान, दक्षिण क्षेत्रीय फार्मा मशीनरी प्रशिक्षण संस्थान तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, कपास अनुसंधान संस्थान सिरसा का भ्रमण करवाया जायेगा।
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