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हनुमानगढ़ में राजस्थान सरकार ने लॉकडाउन में फंसे 3390 मजदूरों और प्रवासियों को निशुल्क घर पहुंचाया


73 सरकारी बसों, एक ट्रेन और 4 क्रूजर के जरिए निशुल्क पहुंचाया घर

हनुमानगढ़। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों और मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में राजस्थान सरकार ने जो व्यवस्थाएं पूरे राज्य में की है। उसकी प्रशंसा हो रही है।  हनुमानगढ़ जिले से भी हजारों मजदूरों और प्रवासियों को सरकारी बसों और ट्रेन के जरिए उनके घर निशुल्क पहुंचाया गया है। जिला कलक्टर जाकिर हुसैन बताते हैं कि लॉकडाउन में 1 मई से छूट मिलने के बाद हनुमानगढ़ जिले से अब तक कुल 3390 मजदूरों और प्रवासियों को 73 सरकारी बसों, 1 ट्रेन और 2 क्रूजर के जरिए निशुल्क उनके घर भेजा है। इसमें सर्वाधिक 1319 मजदूर और प्रवासी उत्तरप्रदेश के अलावा 1315 बिहार के, 325 मध्यप्रदेश के,142 पश्चिमी बंगाल के, 118 उत्तराखंड के 94 पंजाब के,41 झारखंड के, 21 केरल के,9 उड़ीसा और 6 असम के मजदूर और प्रवासी शामिल हैं।

जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने बताया कि इन सभी मजदूरों और प्रवासियों को जिले की विभिन्न तहसीलों से और जिला मुख्यालय से गंतव्य स्थान तक सरकारी बसों और ट्रेन के जरिए रवाना किया गया। बिहार के 1225 यात्रियों को जहां श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए बिहार रवाना किया गया। वहीं उत्तरप्रदेश के प्रवासियों और मजदूरों के लिए सर्वाधिक 44 बसें अलग अलग जगहों से उत्तरप्रदेश के अलावा जयपुर, श्रीगंगानगर और बीकानेर के लिए रवाना की गई। जयपुर, बीकानेर और श्रीगंगानगर से जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में इन मजदूरों को बिठाकर निशुल्क उनके घर पहुंचाया गया। हनुमानगढ़ से रवाना हुई हनुमानगढ़-पूर्णिया (बिहार) श्रमिक स्पेशल ट्रेन का 11 लाख 44 हजार रूपए का खर्च राजस्थान सरकार ने वहन किया। इसी प्रकार सभी सरकारी बसों का खर्च भी राजस्थान सरकार ने वहन किया। खास बात ये भी सभी मजदूरों और प्रवासियों को ट्रेन और बसों से रवानगी के समय भोजन के पैकेट्स और पानी के बोतल की भी निशुल्क व्यवस्था की गई। साथ ही जिनके पास मास्क नहीं थे उन्हें मास्क भी दिए गए।

जिला कलेक्ट्रेट में प्रवासियों और मजदूरों को उनके घर भेजने का कार्य देख रहे वरिष्ठ लिपिक हंसराज बताते हैं कि उत्तरप्रदेश के प्रवासियों और मजदूरों के लिए 44 अलग अलग बसें हनुमानगढ़ से रवाना करने के अलावा 12 बसें मध्यप्रदेश के मजदूरों और प्रवासियों के लिए, 5 बसें पश्चिमी बंगाल के लिए,4 बसें उत्तराखंड, 3-3 बसें पंजाब और बिहार के लिए, 1-1 बस केरल और झारखंड के प्रवासियों और मजदूरों के लिए हनुमानगढ़ से रवाना की गई। असम और उड़ीसा के मजदूरों और प्रवासियों के लिए एक-एक क्रूजर भेजी गई।

हनुमानगढ़ से मजदूरों और प्रवासियों को कब ,कहां और कैसे निशुल्क भेजा गया
वरिष्ठ लिपिक हंसराज वर्मा बताते हैं कि 1 मई को मध्यप्रदेश के 229 प्रवासियों और मजदूरों को को 9 बसों के जरिए मध्यप्रदेश बोर्डर तक पहुंचाया गया। 2 मई को उत्तर प्रदेश के 34 मजदूरों को 1 बस के जरिए यूपी भेजा गया। 6 मई को पंजाब के 94 यात्रियों को 3 बसों के जरिए पंजाब बोर्डर भिजवाया गया। 15 मई को उत्तराखंड के 111 मजदूरों और प्रवासियों को 3 बसों के जरिए जयपुर, 16 मई को बिहार के 40 यात्रियों को 1 बस के जरिए बिहार, 18 मई को उत्तरप्रदेश के 79 मजदूरों को 2 बसों के जरिए उत्तरप्रदेश बोर्डर तक, 19 मई को उत्तरप्रदेॆश के 659 मजदूरों और प्रवासियों को 31 बसों के जरिए श्रीगंगानगर और बीकानेर भिजवाया गया । जहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए यात्रियों को उत्तरप्रदेश निशु्ल्क भेजा गया । इसी प्रकार 19 मई को ही उत्तरप्रदेश के 104 मजदूरों  को हाथरस के लिए, 19 मई को ही केरल के 21 लोगों को 1 बस के जरिए जयपुर भिजवाया गया जहां से केरल श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए केरल निशुल्क भिजवाया गया।

 इसी तरह 22 मई को उत्तरप्रदेश के 131 मजदूरों को 4 बसों के जरिए जयपुर, 25 मई को बिहार के 1225 मजदूरों को ट्रेन के जरिए बिहार, 25 मई को असम के 6 यात्रियों को 1 क्रूजर के जरिए जयपुर, 26 मई को उड़ीसा के 9 यात्रियों को 1 क्रूजर के जरिए जयपुर भेजा गया जहां से उड़ी़सा और असम जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए निशुल्क उनके घर भेजा गया। 28 मई को उत्तराखंड के 7 यात्रियों को 1 बस के जरिए उधमसिंह नगर, 28 मई को ही बिहार के 50 यात्रियों को 2 बसों के जरिए जयपुर, 28 मई को ही 222 उत्तरप्रदेश के यात्रियों को हाथरथ भेजा गया। 29 मई को पश्चिम  बंगाल के 108 यात्रियों को 4 बसों के जरिए सीकर भेजा गया। जहां से जाने वाली वेस्ट बंगाल श्रमिक स्पेशल ट्रेन से निशुल्क भेजा। 30 मई को मध्यप्रदेश के 96 यात्रियों को 3 बसों के जरिए मध्यप्रदेश, 31 मई को झारखंड के 41 यात्रियों को 1 बस के जरिए जयपुर, 1 जून को पश्चिमी बंगाल के 34 यात्रियों को 1 बस के जरिए जयपुर, 2 जून को उत्तरप्रदेश के 90 यात्रियों को 3 बसों के जरिए जयपुर के कनोता तक पहुंचाया गया। जहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन में उन्हें निशुल्क घर भिजवाने की व्यवस्था राजस्थान सरकार ने की।

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