नई दिल्ली(GNS)। केंद्रीय जांच ब्यूरो’ (सीबीआई) द्वारा ‘विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय’ (डीएवीपी) के कुछ अधिकारियों के खिलाफ आरंभिक जांच शुरू करने की खबरें सामने आई हैं। जांच के दौरान अधिकारियों को वर्ष 2016 से 2019 के दौरान दिए गए सरकारी विज्ञापनों में गड़बड़ी का पता चला। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोप है कि इन अधिकारियों ने ऐसे अखबार मालिकों के साथ मिलकर यह साजिश रची, जिनका या तो न्यूनतम सर्कुलेशन है अथवा वह काफी समय पहले बंद हो चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में सीबीआई अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि यदि जांच में और सबूत मिलते हैं तो एफआईआर दर्ज की जाएगी। विजिलेंस अधिकारियों द्वारा अगस्त 2019 में डीएवीपी जैसे सरकारी विभागों को ध्यान में रखकर की गई राष्ट्रव्यापी कार्रवाई में इस तरह की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन अधिकारियों ने सरकारी विज्ञापन कथित रूप से आउट ऑफ अखबारों को आवंटित कर दिए थे। इस संस्था से बाहर के दो अन्य लोग भी जांच के दायरे में आए हैं।
बताया जाता है कि ये अखबार अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए आवश्यक न्यूनतम प्रतियां छाप रहे थे, लेकिन डीएवीपी के कुछ अधिकारियों की मदद से सरकारी विज्ञापन प्राप्त करने के लिए प्रसार संख्या काफी अधिक बता रहे थे। कहा जा रहा है कि इस धोखाधड़ी से सरकारी खजाने को करीब 65 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।
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