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Teacher day- क्या दू गुरू दक्षिणा मन ही मन में सोचू, चुका न पाउ ऋण मैं तेरा, अगर जीवन भी अपना दे दूं।

 श्रीगंगानगर/समेजा कोठी।भारत में शिक्षक दिवस सबसे पहले वर्ष 1962 में मनाया गया।देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ़ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के तौर पर इस विशेष दिन को मनाया जाता हैं कहा जाता हैं वे शिक्षक थे, जिन्होंने शिक्षा के क्षैत्र में अपने 40 वर्ष दिए।

जीवन में शिक्षक का किरदार बहुत खास होता हैं चाहे आप जीवन के किसी भी पड़ाव पर हो, शिक्षक की आवश्यकता सबको पड़ती हैं।भारत में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
ज्ञान जानकारी और समृद्धि के वास्तविक धारक शिक्षक ही होते हैं।जिसका इस्तेमाल कर वह हमारे जीवन के लिए हमें विकसित और तैयार करते हैं ।हमारी सफलता के पीछे शिक्षक का हाथ होता हैं।

हमारे माता-पिता की तरह ही शिक्षको को भी व्यक्तिगत जीवन में समस्याए होती हैं लेकिन फिर भी वह इन सबको दरकिनार कर रोज स्कूल व कॉलेज आते हैं तथा अपनी जिम्मेदारी निर्वाह करते हैं।कोई भी उनके बेसकीमती कार्य के लिए उन्हें धन्यवाद नही देता, लेकिन विद्यार्थी के रूप में शिक्षकों के प्रति हमारी जिम्मेदारी बनती हैं की कम से कम साल में एक बार उन्हें प्रणाम कर धन्यवाद दे।शिक्षक दिवस शिक्षक व विद्यार्थी के बीच रिश्तों की खुशी को मनाने का अवसर हैं।

मैं अपने गुरूजनों को आज प्रणाम व धन्यवाद करता हू जिन्होंने मेरे को शिक्षा दी।

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