बकाया प्रकरणों की तथ्यात्मक रिपोर्ट 3 दिन में प्रस्तुत करने के दिए निर्देश
बीकानेर,। जिला कलक्टर नमित मेहता की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट सभागार में गुरूवार को अनुसूचित जाति,जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के नियम 17 अंतर्गत गठित जिला स्तरीय सतर्कता एवं माॅनिटरिंग समिति की बैठक हुई।
बैठक में मेहता ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण के लिए जिला प्रशासन का संपूर्ण तंत्र तत्पर एवं सजग है और कहा कि लंबित मामलों को शीघ्र निष्पादित किया जाए। इस दौरान उन्होंने दर्ज मामलों की भी समीक्षा की। समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि माह नम्बर 2020 तक अनुसूचित जाति के 234 दर्ज प्रकरणों में 96 का चालान हुआ तथा 80 में एफआर लगाई तथा 58 प्रकरण पेण्डिग है। दो माह से अधिक के 30 पेण्डिग मामलों में मेहता ने इनका निस्ताण नहीं होने का कारण पूछा और निर्देश दिए कि निस्ताणर नहीं होने की तथ्यात्मक रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत की जाए। दो ऐसेे भी प्रकरणों की जानकारी दी गई जो गत एक साल से पेण्डिग है। उन्होंने इन मामलों में कार्यवाही किए जाने केे निर्देश पुलिस प्रशासन को दिए। अनुसूचित जन जाति के कुल 6 प्रकरणों में से चार में चालान और 1 में एफआर लगाकर निस्तारण किया गया तथा 1 मामला पेण्डिग है।
जिला पुलिस अधीक्षक प्रहलाद कृष्णिया ने कहा कि मुआवजा राशि लेने वालों में अगर विवाद की स्थिति बनती है, तो संबंधित थानाधिकारी अनुसंधान करे तथा पक्षकारों से स्टाॅम्प पर लिखित में लेकर, प्रकरण निस्तारण कर, प्रस्तुत करे। उन्होंने कहा कि पुलिस स्तर पर कोई भी प्रकरण पेण्डिग नहीं रहे, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। कृष्णिया ने समिति के सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि एससी,एसटी के अत्याचार से संबंधित मामलों को सर्वप्रथम स्थानीय थानों में ही दर्ज कराने का प्रयास करें।
बैठक के दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक एल.डी.पंवार ने बताया कि कुल 220 पीड़ितों को मुआवजा अनुदान की स्वीकृति प्रदान की गई तथा उक्त अधिनियम के अंतर्गत अनुसूचित जाति के उक्त पीडिद्यत लाभार्थियों को 167.67 लाख रूपये दिए गए तथा अनुसूचित जनजाति के 14 पीड़ित लोगों को 7.40 लाख रूपये की सहायता दी गई।
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