Advertisement

Advertisement

कल हम रहे न रहे लेकिन पत्रकारों आपकी एकता रहनी चाहिए - कुलदीप शर्मा



पत्रकारिता और पत्रकारों के लिए संघर्ष करने का दावा अनेको संगठन करते हैं। शायद अपने स्तर पर वो बहुत कुछ करते भी आये होंगे। लेकिन कुछ अलग करने और पत्रकारिता को मजबूत करने के इरादों से हम ने अपने दिल में एक जुनून पैदा किया था। वो जुनून अब एडिटर एंड जर्नलिस्ट मीडिया काउंसिल के रूप में धरातल पर उतर चुका है। रजिस्ट्रेशन से लेकर अब तक कई अहम फैसले ट्रस्ट के द्वारा लिए गए जो कामयाब भी हुए। अभी फिलहाल ईजेएमसी ने अपनी वेबसाइट www.ejmcouncil.com का भी शुभारंभ किया है। जिसमे अनेको ऐसे फीचर है जिसका उपयोग पत्रकार अपने हित के लिए इस्तमाल कर सकता है। हमने वेबसाइट को तैयार करने के लिए अनेक जनों से नवीनतम सुझाव लिए जिनको हमने वेबसाइट में उपयोग किया है। 


अब बस उम्मीद और इंतजार उस दिन का है जब हम देश-प्रदेश के हर शहर-गांव तक अपनी पकड़ मजबूत बना लेंगे। फिर चाहे सरकारें हो या कोई महकमा जो पत्रकार और पत्रकारिता को चोट पहुंचाएगा तो ट्रस्ट ईंट से ईंट बजाने के लिए तैयार रहेगा। राष्ट्र का चौथा स्तम्भ होने के चलते अब सरकारों को भी ये समझना होगा कि जिस तरह से बाकी तीन स्तम्भो को भी सुरक्षा प्रदान की गई है उसी के भांति इस पत्रकारिता क्षेत्र में भी अब सुरक्षा की दरकार है। पिछले कितने ही वर्षो में ईमानदार पत्रकारो की लाशें हमने देखी है जिनका क्या हुआ हम सब जानते हैं लेकिन ईजेएमसी इस प्रण के साथ स्थापित हुआ था कि पत्रकारो के साथ एक-एक जुल्म का बदला उन अपराधियो से कानून और संघर्ष के दम पर लेना है। जो पत्रकार साथी हमसे जुड़े है उनका तह-दिल से शुक्रिया जिन्होंने ईजेएमसी पर भरोसा किया और इस मुहिम में हमारे साथ आये। 


ईजेएमसी स्थापना से लेकर अब तक देख कर करने में नहीं बल्कि कर के देखने मे विश्वास करती आई है। किसी ने क्या खूब कहा है कि "जब उतर ही गए है खाई में तो गहराई नापने का क्या फायदा"। हमे ये भी पता है कि रास्ता बहुत कठिन भी है और कांटो भरा भी है। क्योंकि प्रदेश और देश में पहले से चल रहे संगठनों के बीच मे खुद को स्थापित करना थोड़ा मुश्किल होगा। लेकिन कहते है जब इरादे नेक हो तो रास्ते अपने-आप बन जाते हैं। हमारे संगठन से जुड़े सभी पत्रकारो से इतना जरूर कहना चाहूंगा कि हम रहे न रहे एकता रहनी चाहिए। एक सन्देश उन के नाम जरूर देना चाहूंगा जिनका मकसद ही चौथे स्तम्भ को चोट पहुंचाने का है कि जरा आइये और हमारी पत्रकारिता की जिंदगी थोड़ा जी कर देखिए तो पता चले हम अपने लिए कम ओरो के लिए ज्यादा जीते हैं। अंत मे ये ही कहूंगा जय हिंद, वन्दे मातरम, सत्यमेव जयते, पत्रकारिता हित सर्वोपरि, पत्रकार एकता जिंदाबाद।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement