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क्या है कृषि अवसंरचना कोष और किसान कैसे उठा सकते है इस योजना का लाभ

 क्या है कृषि अवसंरचना कोष और किसान कैसे उठा सकते है इस योजना का लाभ


फसलोत्तर प्रबंधन व प्राथमिक प्रसंस्करण को संपर्पित केंद्रीय क्षेत्रा योजना
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड
श्रीगंगानगर, । जिला कलक्टर श्री जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में शुक्रवार को कृषि अवसरंचना निधि सेर्न्ट्रल सेक्टर स्किम के तहत जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक आयोजित हुई। जिला कलक्टर ने कहा कि इस योजना में कृषि के क्षेत्रा में कार्य करने वाले किसानों, उद्यमियों को योजना का अधिक से अधिक लाभ मिलना चाहिए। बैठक में एडीएम प्रशासन श्री भवानी सिंह पंवार, नाबार्ड के क्षेत्राीय प्रबंधक श्री चन्द्रेश शर्मा, उधोग केन्द्र के महाप्रबंधक श्री हरीश मित्तल, एलडीएम श्री सतीश जैन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
नाबार्ड के क्षेत्राीय प्रबंधक श्री चंद्रेश शर्मा ने बताया कि देश में खेती से जुड़ी ढांचागत सुविधाओं जैसे कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट्स, वेयरहाउस, पैकेजिंग यूनिट वगैरह के अभाव को देखते हुए इस फंड की शुरूआत 2020 में की गयी है। इस फंड के तहत किसान भाईयों के लिए एक लाख करोड़ रुपए तक के ऋण की व्यवस्था की गयी है। इस योजना के तहत अलग-अलग प्रोजेक्ट के हिसाब से मध्यम-अवधि यानी मीडियम और लंबी-अवधि यानी लॉन्ग टर्म की फाइनेंस सुविधा यानी कि कर्ज मुहैया कराया जाएगा।
इसके साथ देश में अगर कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा तो किसान के पास फल, सब्जी और अन्य कृषि उत्पादों के रखने के लिए बेहतर भंडारण की सुविधा होगी। कोल्ड स्टोरेज में किसान अपनी फसल रख पाएंगे। इससे फसलों की बर्बादी कम होगी और उचित समय पर उचित कीमत के साथ किसान अपनी फसल बेच पाएंगे। हर साल होने वाले नुकसान से उन्हें राहत मिलेगी। इस योजना में 3 फीसदी प्रति वर्ष की कर्जमाफी तथा दो करोड़ रुपये तक कर्ज के लिए सीजीटीएमएसई स्कीम के तहत लोन गारंटी कवरेज़ भी मिलेगी।
किस प्रोजेक्ट के लिए मिल सकता है फंड
योजना के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक श्री मोहित कुमार ने बताया, ये फंड कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, कलेक्शन सेंटर और प्रोसेसिंग यूनिट, परख केंद्र, ग्रेडिंग, पैकेजिंग यूनिट, ई-प्लेटफॉर्म जैसी इकाइयों के निर्माण के लिए प्राप्त किया जा सकता है। मूल उद्देश्य है किसानों के लिए खेती से जुड़े ढांचे का विकास करना। फसल के उत्पादन के बाद यदि बेहतर ढांचागत सुविधा हो तो किसानों को उपज का मूल्य भी ज्यादा मिलेगा और इससे अनाज की बर्बादी में भी कमी आएगी।
उन्होंने बताया की यह एक टॉप अप योजना है और केंद्र  राज्य सरकार के अन्य योजनाओ के साथ कन्वर्जेन्स करके और अधिक लाभ उठाया जा सकता है जिसमे च्ड.ज्ञन्ैन्ड तथा राज्य सरकार की ‘एग्रो प्रोसेसिंग एग्रो बिज़नेस एग्रो एक्सपोर्ट प्रोत्साहन पालिसी 2019‘ प्रमुख है।
एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत नाबार्ड द्वारा को-आपरेटिव बैंक के माध्यम से गांवों में पैक्स को ‘मार्केटिंग हब‘ के रूप में मजबूत करने और उनके बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बहुत कम ब्याज दरों पर ऋण सहायता प्रदान की जा रही है। नाबार्ड द्वारा सहकारी बैंकों और क्षेत्राीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी पात्रा ऋण देने वाली संस्थाओं को अपनी नीति के अनुसार आवश्यकता आधारित पुनर्वित्त सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
श्रीगंगानगर जिले में इस योजना के अंतर्गत अब तक कुल 62 प्रोजेक्ट्स को रू. 85.42 करोड़ की स्वीकृति मिल चुकी है जिसके तहत 38 वेयरहाउस, 12 प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटर एवं 12 अन्य फसलोतर प्रबंधन अवसंरचना का निर्माण किया जा रहा है।
कैसे मिलेगा ये फंड
प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन और कृषि उद्यमी समेत बैंक और वित्तीय संस्थाओं, प्राथमिक कृषि कर्ज सोसाइटियों, किसानों, मार्केटिंग सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, संयुक्त जवाबदेही समूह, बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, कृषि से जुड़े स्टार्ट-अप्स और केन्द्रीय/राज्य एजेंसियों या सार्वजनिक-निजी साझेदारी परियोजना प्रायोजित स्थानीय निकायों को एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत वित्तपोषण मुहैया कराया जाएगा। इस ऑनलाइन सिस्टम के जरिए ही फंड के लिए आवेदन किया जा सकेगा साथ ही एमआईएस के ज़रिए ही राष्ट्रीय, राज्य और जिले के स्तर पर दिए गए फंड की मॉनिटरिंग होगी ताकि किसी भी फ्रॉड से बचा जा सके और सुपात्रा किसान ही इसका लाभ उठा सकें।
क्या किए गए हैं बदलाव?
सरकार ने कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का दायरा भी बढ़ा दिया है ताकि किसानों के लिए खेती से जुड़े ढांचे का विकास हो सके। फसल के उत्पादन के बाद बेहतर ढांचागत सुविधा किसानों को मुहैया कराया जा सके। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत जो 1 लाख करोड़ रुपए का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड दिया गया था। अब इसका इस्तेमाल कृषि उपज मंडियां भी कर सकती हैं। इसके साथ-साथ राज्य सरकार और राष्ट्रीय स्तर की जो कोऑपरेटिव या स्व-सहायता फेडरेशन हैं वो भी इसकी पात्राता की सूची में शामिल होंगी
कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अभी तक ये प्रावधान था कि अगर कोई व्यक्ति, संस्था, सहकारी समिति, एफपीओ या एग्री-स्टार्टअप, किसानों का समूह अगर संरचना बनाएंगे तो उसके लिए 2 करोड़ रुपये तक का लोन और इसके ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज की छूट होगी। अब अगर व्यक्ति एक से अधिक प्रोजेक्ट करना चाहे तो उसके लिए उसे सभी प्रोजेक्ट के ब्याज पर छूट मिलेगी। निजी क्षेत्रा की इकाई के लिए ऐसी परियोजनाओं की अधिकतम सीमा 25 होगी और ये अलग-अलग गांव क्षेत्रा में होने चाहिए।
इस फंड की अवधि 2020-21 से 2032-33 तक कुल अवधि 10 वर्ष से बढ़ाकर 13 वर्ष कर दी गई है।
ज्यादा जानकारी के लिए किसान भाई नाबार्ड, एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड से संपर्क कर सकते है तथा https://agriinfra.dac.gov.in/ पर लॉगिन कर सकते है। (

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