हनुमानगढ । अक्षय तृतीया (आखातीज) और पीपल पूर्णिमा के अबूझ सावे पर बाल विवाह रोकने के लिए जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने अधिकारियों को निर्देश दिए है। जिला पुलिस अधीक्षक, सीईओ जिला परिषद, एडीएम नोहर, सभी उपखंड अधिकारी, तहसीलदार और विकास अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि 28 अप्रेल को अक्षय तृतीया और 10 मई को पीपल पूर्णिमा के अवसर पर अबूझ सावे हैं इसमें बाल विवाह के आयोजन की भी प्रबल संभावनाएं रहती है। इस दिन कुछ लोग विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में बाल विवाह का आयोजन की संभावनाएं ज्यादा रहती है। इस पर ग्राम एवं तहसील स्तर पर पद स्थापित विभिन्न अधिकारियों और कर्मचारियों के जरिए रोक लगाई जाए। इसमें वृताधिकारी,थानाधिकारीगण, पटवारियों, भू-अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम सेवकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, कृषि पर्यवेक्षकों, महिला पर्यवेक्षकों,आंगनबाडी कार्यकर्ताओं, अध्यापकों, नगर परिषद व नगर पालिका के कर्मचारियों, जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्यों,सरपंचों और वार्ड पंचों का सहयोग लिया जाए।
जिला कलक्टर ने बताया कि दोनों अबूझ सावों पर बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला कलेक्ट्रेट में एक नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया जाएगा। सार्वजनिक स्थलों पर सूचना बॉक्स रखने के साथ साथ गांव मोहल्लों में उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो वहां समन्वित रूप से समझाइश का प्रयास किया जाएगा। जिला कलक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे बाल विवाह संपन्न कराने में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सहयोगी बनने वाले पंडित, टेंट लगाने वाले, हलवाई, पिंटर, बैंड बाजा उपलब्ध करवाने वालों को भी कानून के प्रावधानों की जानकारी दें ताकि वे बाल विवाह में सहयोग ना करें। साथ ही स्वयं सहायता समूह, किशोरी समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाडी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगी इत्यादि के जरिए भी बाल विवाहों के विरूद्ध वातावरण बनाने के निर्देश दिए हैं।
जिला कलक्टर ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि गांव में प्रमुख व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें बाल विवाह रूकवाने में सहयोग हेतु प्रेरित करें। साथ ही धार्मिक गुरूओं और विभिन्न धार्मिक संस्थानों को भी बाल विवाहों के दुष्परिणाम की जानकारी देने के साथ साथ कानूनी प्रावधानों की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं ताकि वे बाल विवाह रूकवाने में सहयोग करें। उपखंड अधिकारी और तहसीलदार को बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में सक्रिय रहकर बेहतर तरीके से कर्तव्यों का निर्वहन करने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के साथ चेतना बैठकों का आयोजन का भी निर्देश दिया गया है। ग्राम सभाओं में भी बाल विवाह के दुष्पभावों की चर्चा करने को कहा गया है।
विवाह के लिए छपने वाले नियंत्रण पत्र में वर-वधु के आयु का प्रमाण पत्र प्रिटिंग प्रेस वालों के पास रखने या निमंत्रण पत्र पर वर-वधु की जन्म तारीख प्रिंट किए जाने पर बल देने को भी निर्देशित किया गया है। सभी स्कूलों को भी निर्देशित किया गया है कि वो बाल विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों के बारे में जानकारी बच्चों को दें।
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