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अन्याय ! धुल गए मोदी तेरे भी वादे, तेरे दर भी न्याय को तरसे दुखियारे,खाकी पर भारी खादी हमारी..!


खादी के  दबाव से मर्डर को एक्सीडेंट का रूप देने पर तुली खाकी...... 

वोट बैंक के चक्कर में विपक्ष भी बेसहारा..... 

राजनैतिक दबाव में दब गई मनन की भी ममता.... 

पत्रकार कमलेश शर्मा की कलम से
राजस्थान । 3 साल पहले भाजपा सरकार ने जनता से बड़े बड़े वादे मंच पर खड़े होकर किए जिसके चलते लुभावने वादे को देखकर जनता ने भाजपा सरकार पर विश्वास तो जताया, लेकिन इस विश्वास पर भाजपा नेता खरे नहीं उतरे। वहीं सरकार में बैठे सफेदपोश नेताओं के अपनों पर बात आई तो सरकार अपने वादे तो क्या कानून तक भूल गई।

 ऐसा ही नजारा राजस्थान के टोंक जिले के उनियारा थाना इलाके में देखने को मिला। जानकारी के अनुसार एक नाबालिक छात्रा हर्षिता शर्मा का 19 फरवरी को तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष जुबेर पठान के द्वारा सरेआम जबरदस्ती अपहरण कर लिया जाता है। और अपहरण के कुछ घंटों के बाद उसी की गाड़ी में उस छात्रा की लाश मिलती है। जिसे खादी के दबाव में  आकर खाकी भी अपना रास्ता बदल लेती है। और मर्डर को एक्सीडेंट का रूप दे देती है। कहते हैं कि सत्ता में बहुत ताकत होती है जिसका नजराना उनियारा थाना इलाके में हर्षिता की मौत के बाद में देखने को मिला। 

जहां एक और मोदी सरकार बेटी बचाओ के बड़े-बड़े नारे लगा रही है, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार में बैठे चंद सफेदपोश नेता देश की बेटियों का भक्षण करने में लगे हैं। और सरकार में बैठे मंत्री भी इसमें अपना पूर्ण सहयोग करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में क्या एक आम व्यक्ति बेटियों को ऐसे हालात में जन्म देने की कोशिश करेगा। वहीं दूसरी ओर छात्रा के परिजन न्याय के लिए राजस्थान सरकार की भावी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पास पहुंचे तो सी एम ने भी परिजनों को न्याय दिलाने से पल्ला झाड़ लिया। 

ऐसे में अब परिजनों को समझ में नहीं आ रहा था कि न्याय के लिए आखिर अब कहां जाएं। वहीं दूसरी ओर आरोपी जुबेर पठान राजस्थान सरकार मैं बैठे मंत्रियों से संरक्षण प्राप्त कर खुले में घूम रहा है। सरकारी नूमाईदो से हार छात्रा के परिजन  विपक्ष से गुहार करने गए तो वहां सिर्फ परिजनों को सांत्वना तो मिली लेकिन वोट बैंक के चक्कर में विपक्ष भी बेसहारा सा नजर आने लगा ।

वही प्रकरण में राजनीति के दबाव के चलते बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी की ममता भी दबी हुई नजर आने लगी जो मनन चतुर्वेदी नाबालिक छात्राओं के लिए मध्यरात्रि भी कार्रवाई के लिए कोसों दूर निकल पड़ती थी वह भी राजनीतिक दबाव के चलते खामोश दिख रही है।

हमारा सवाल आखिर कब मिलेगा न्याय.....!!

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