राजस्थान ।(सुशील वर्मा ) 2013 बैच के युवा ईमानदार आईपीएस देवाशीष देव का आकस्मिक निधन न सिर्फ़ परिवार जनों बल्कि पुलिस विभाग को भी एक बडी क्षति दे गया । आज के दौर में जब राज्य में ईमानदार अधिकारियों की तादात न के बराबर है और भ्रष्टो की पुरी खेप है यह दुखद: घटना बेहद चिंतनीय एंव गंभीर है ।
-देव ने भरतपुर , कोटा , अजमेर अपने एसएचओ , सीओ ट्रेनिंग पीरियड में सहज एंव सख़्त अंदाज बेहतरीन कार्य किया । देव ने एक सुलझे अधिकारी के रुप में अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन भी किया जो हमैशा याद रखा जायेगा ।
-११ जनवरी २०१७ को पुष्कर में घटित दुर्घटना देव के लिए घातक हुयी । हालाकिं पूर्व डीजीपी मनोज भट्ट ने दुर्घटना को देखते हुये व लंबें इलाज की पृष्ठभूमि में आरपीए में पदस्थापन कर दिया ताकि देव का इलाज सुलभ और बेहतर सके । पर शायद प्रकृति को यह मजूंर न था । सूत्रों से ज्ञात हुआ जिस प्रकार का वातावरण व सहयोग आरपीए के उच्च अधिकारियों से अपेक्षित था वह नदारद था । शायद देव पुरी तरह उबर जाता यदि उसे अपेक्षित सबल व सहयोग आरपीए में रहने के दौरान मिलता । देव का पिछले नौ महीनों का वेतन रोकने के बारें में ख़बरें बाहर आयी जिसमे आरपीए डायरेक्टर द्वारा वेतन रोके जाने का मामला सामने आया । डीजीपी अजीत सिहं के समक्ष मुद्दा आने पर तत्काल देव का वेतन रीलीज किया गया ।
-देव को आर्थिक सहयोग के लिए अन्य राज्यों के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों द्वारा आरपीए द्वारा वेतन रोके जाने के बाद सहयोग के लिए आगे आना सुखद रहा । शायद नियति को यह मजूरं नहीं था की समय रहते देव का ज़ख़्म भरता और पुन: वह सक्रिय रुप से कार्य कर सकता । इस आकस्मिक घटना ने पुलिस विभाग के सकारात्मक के साथ साथ नकारात्मक पहलुओं को भी परिलक्षित कर दिया ।
- पुलिस में भ्रष्ट वरिष्ठ अधिकारी की नकारात्मकता किस प्रकार प्रभाव दिखाती है शायद देव का प्रसंग चीख़ - चीख़ कर इंगित भी करता है ।
-ईश्वर देवाशीष देव की आत्मा को शातिं प्रदान करे व परिजनों को सबल दे ।
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