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नव वर्ष की शुरूवात गुरू दरबार से की।

                                           
                          श्रीगंगानगर(सतवीर सिह मेहरा)  नये साल का जैसे जैसे आगमन हो रहा था गुरु की गोद में बिराजमान संगतें गुरबाणी कीर्तन की आनंदमई बेला से सरोबार धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी धन श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी,चारो और हो रही हैं जी तेरी जय जयकार की धुनों के साथ नए साल को सिजदा कर रही थी। ये अलौंकिक नज़ारा था गुरद्वारा बाबा दीप सिंह जी शहीद श्री गंगानगर में आगमन 2018 गुरु की गोद मे कीर्तन दरबार का।हज़ारों की तादाद में हर धर्म के अनुयायी शाम 7 बजे से ही दर्शनों के लिए कतारों में लगे थे।समाप्ति तक कतार है कि टूटने का नाम ही नही ले रही थी और संगत थी कि हाड़ कंपकपा देने वाली सर्दी में भी दूर सड़क तक ज़िद लगाकर कतार में लगी थी कि आज तो नया साल गुरु ग्रंथ साहिब जी की गोद मे, महांपुरषों के संग और संगत की अाशीष के साथ ही मनाएंगे।लंगर,दूध,पकोड़े,चाय भांति भांति के प्रसाद चल रहे थे।अनथक सेवादार कोई जूठे बर्तन धो रहा था ,कोई लंगर बरता रहा था ।कोई जोड़ों की सेवा कर रहा था।अपने आप मे अनूठा रहा समागम।समाप्ति पर हर चेहरे पर एक खुशी थी एक सकून था और  वाहिगुरू जी का शुकराना कर रहा था कि दाता इस से अच्छी शुरुआत मेरी ज़िंदगी नही हो सकती। बाबा सुखदेव सिंह जी भुच्चो वालों ने अपने प्रवचनों में क्या ख़ूब बात कही।कि दिन वार महीना कोई बुरा अच्छा नही होता ।जिस दिन परमात्मा बिसर जाए वो दिन सबसे बुरा है।नया साल,अमावस,संग्राद,पुर्णिमा एक विधि है कि हर तरीके, हर ढंग से, गाहे बगाहे संगतों का रुझान धर्म की तरफ रखना चाहिए।एक धर्म ही है जो इंसान को सही जीवन जीने का रास्ता दिखाता है।संगतों पर भी उनके प्रवचनों का खूब असर देखने को मिला।अंत मे बधाइयों का आदान-प्रदान चला। और एक नई और अच्छी ज़िंदगी की शुरुआत के लिए एक मनभावन समागम की समाप्ति हुई।

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