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हनुमानगढ़:-तो अब ये और ऐसे लड़ेगी कांग्रेस चुनाव....!


विपक्ष बेदम! नेताओ को चाहिए बस टिकट,जनता से नहीं कोई सरोकार

जिस जनता के बदौलत बने मंत्री उन्ही से दूरी!

हनुमानगढ़ में हुआ मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम आयोजित

जो ईद के चाँद हो गए वो भी आये नजर!

चुनाव नजदीक तो बाहर निकलने लगे कांग्रेसी

हनुमानगढ़(कुलदीप शर्मा) हनुमानगढ़ के श्रीगंगानगर फाटक स्थित गणपति पैलेस में हो रहे मेरा बूथ मेरा गौरव कांग्रेस सम्मेलन में कांग्रेस नेताओं ने भाजपा को जमकर कोसा। कोंग्रेस नेताओ के इन शब्दों से कई समीकरण बन रहे है जिसका असर आने वाले चुनाव में देखने को मिल सकता है। आज हुए कार्यक्रम में कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेताओ का भी आगमन हुआ। जिले भर में कांग्रेस ने कितना विपक्ष का रोल निभाया है वो हम बखूबी जानते है! 

चुनावो से ठीक पहले शक्ति प्रदर्शन का प्रयास लगभग विफल!
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गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने हनुमानगढ़ में मेरा बूथ-मेरा गौरव के नाम से ताकत दिखानी शुरू कर दी है। सम्मेलन के दौरान कांग्रेस के समर्थकों ने खूब जोर शोर से अपनी ताकत दिखाने का प्रयास तो किया लेकिन वो कामयाब होते कम ही नजर आए! कांग्रेस कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओ ने भी अपनी ताकत का अहसास हनुमानगढ़ पधारे बड़े उच्च नेताओं को दिखाने का प्रयास तो किया लेकिन जानकारी के अनुसार सभी दिग्गज से लेकर बड़े नेता भी कोई खास भीड़ जुटाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं!


जनता के मुद्दों से दूरी लेकिन उच्च नेताओ को चेहरा दिखाने पहुंचे!
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हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर आमजन से जुड़े कई अहम मुद्दे उठते रहे लेकिन विपक्ष की भूमिका निभाने में कांग्रेस हमेशा ही बैकफुट पर रही है। कहने को तो पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता के हाथ मे कांग्रेस चीफ ने जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी लेकिन जब से महोदय ने जिला अध्यक्ष का पदभार सम्भाला है ना तो कहीं निकले हैं और ना ही जनता से जुड़े किसी भी मुद्दों पर संघर्ष करते हुए नजर आए! लेकिन आज जैसे कार्यक्रम तय था तो महोदय जी पहुंच गए अपने कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस के पधारे उच्च अधिकारियों को अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने को! अब महोदय जी से पूछने वाला हो जब शहर अपनी समस्याओं से जूझ रहा था और जनता बार-बार सड़को पर उतर रही थी तो आप व आपकी कांग्रेस कहाँ थी?


संगरिया से कांग्रेसी लहर में हुई जमानत जब्त!
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देश की सबसे बड़ी व पुरानी पार्टी कहि जाने वाली कोंग्रेस आज शहर में बिल्कुल गौण नजर आती है। जहां कांग्रेस पार्टी का नाम शहर से लेकर प्रदेश भर में हुआ करता था तो वहीं जैसे बीजेपी की सरकार बनी विपक्ष के मुंह पर मानो ताला लग गया हो। सत्तापक्ष द्वारा जहां-जहां गलतिया की गयी व जहां जनता परेसान होती रही वहां कांग्रेस बिल्कुल पीछे रही! वो तो भला हो कॉमरेड कॉम का जो आमजन की आवाज बनते हुए सड़को पर उतर कर संघर्ष कर लेते हैं वरना कांग्रेस के भरोसे तो शहर में ऐसे हालात हो गए है कि शायद कोई पानी भी ना पूछे! कांग्रेस की लहर में भी संगरिया से अपनी जमानत जब्त करवाने वाले महोदय जी शायद अभी भी समझ नहीं पाए हैं और सुना है फिर से टिकट के लिए जोर लगाने का प्रयास करेंगे! महोदय जी कभी जनता को भी याद कर लिया करो खाली सम्मेलनों से कुछ नहीं होगा! जनता फिर से कहीं आपकी जमानत ना जब्त करवा दे!


धरने-प्रदर्शनों से दूरी,सत्तापक्ष के खिलाफ चुपी!
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अब बात जरा इन चार सालों में विपक्ष की कर लेवे तो दो-दो पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता होने के बावजूद जनता के संघर्षों से दूरी बनाए हुए हैं। मानो सत्ता पक्ष से सांठ-गांठ कर रखी हो कि पांच साल आप मत बोलना व पांच साल हम कुछ नहीं बोलेंगे...! शहर में सैंकड़ों मजदूरों को अचानक बेरोजगार कर दिया गया शहर में अचानक बाजार में मंदी आ गयी! बीजेपी सरकार के कई गलत फैसले आज भी जनता पर चाबुक की तरह हर रोज पीटते आ रहे हैं लेकिन मजाल है जो इन वरिष्ठ नेताओं ने जनता के दर्द को समझ कर उनके साथ आने की जहमत उठाई हो! कांग्रेस जीत के सपने तो ले रही है लेकिन जनता के चार सालों में कांग्रेस नेताओं ने कितने काम करवाये व सत्तापक्ष के गलत कार्यो का कितना विरोध कर सके कोई जनता को बताए तो सही??


प्रदेश में दो कमान से भी उलझे कार्यकर्ता!
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प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व वर्तमान पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलेट के दो गुट नजर आ रहे हैं। हर रोज खबरों में देखने व सुनने को मिलता है कि प्रदेश में दो गुट बन चुके हैं। यही वजह है कि खुद कांग्रेस कार्यकर्ता ये समझ नहीं पा रहे है कि आखिर किसके नेतृत्व में कार्य किया जाए! अगर जल्द से जल्द प्रदेश में इस स्थिति को सुलझाया नहीं गया तो आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है! शहर में भी कांग्रेस कई गुटो में बंटी हुई नजर आ रही है। शहर में कुछ एक नेता संघर्ष करते हुए नजर आते हैं लेकिन वरिष्ठ नेता मानो अपनी कुम्भकर्णीय नींद में सोए हुए है! किसी को तो अपने धन-दौलत पर गुमान है तो किसी को "जनता तो आपा ने ही वोट देसी" का गुमान हुआ पड़ा है। इन सभी के बीच लगता तो ऐसे ही है कि शहर में कांग्रेस की दाल गलनी अबकी बार बहुत मुश्किल ही नजर आती है!


सबको टिकट की चिंता,जनता जाए भाड़ में!
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कांग्रेस में टिकट को लेकर उथल-पुथल मचनी शुरू हो चुकी है। जो कभी कहीं नजर नहीं आये वो अपनी जागरूकता दिखाने के लिए कांग्रेस के पधारे बड़ें नेताओ के ठीक सामने सबसे आगे बैठे नजर आए! आज कांग्रेस के सम्मेलन में सभी ने अपनी सक्रियता दिखाने का हर सम्भव प्रयास किया तो ये सक्रियता असल मे चुनावी टिकट को लेकर अपनी ताल ठोकने की मानी जा रही है। अब इन बातों से इतना अंदाजा तो सहज ही लगाया जा सकता है कि टिकट की दावेदारी पेश करने के लिए तो कांग्रेसी नेता सबसे आगे रहेंगे लेकिन जनता के कार्यो से दूरी बना कर रखेंगे! विपक्ष की भूमिका में आज तक हनुमानगढ़ कांग्रेस कभी नजर नहीं आई है!


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