केसरीसिंहपुर (गुरविन्द्र सिंह बराड़) थानाधिकारी वेदप्रकाश लखोटिया का स्थानांतरण तो यहां से बीकानेर हों गया । लेकिन पीछे उन्होंने अपनी अमिट यादे छोड़ दी है । उनका लगभग 1वर्ष 10 माह का कार्यकाल बेजोड़ ओर अद्वितीय रहा है । वही अनेक वारदातों का खुलासा ओर अंकुश उनकी प्रशाशनिक कुशलता की वाहक है । उनके सामाजिक सरोकार के कारण कस्बे में कई कार्य और विवाद बवाल बनने की बजाय सौहार्द का प्रतीक बन गए । उनकी इस मुहिम में उनके स्टाफ का भी सराहनीय योगदान रहा । उनके कार्यकाल में थानाक्षेत्र का चहुमुखी विकास मुह बोलता नज़र आता है । जर्जर हालत के क्वार्टर ओर रसोई ही नही थाना के स्वरूप को नया रूप देने के अलावा सड़को के निर्माण में उनकी मेहनत छिपी हुई थी । उनका मानना था कि कार्यस्थल के साथ साथ रिहायशी स्थान भी साफ सुथरा मन को शांति देने वाला होना चाहिए । इसी का परिणाम है कि थाना ने नया रूप पा लिया है ।
थाना में हुए विकास कार्य
पहले थाना के क्वार्टर जर्जर के साथ जहरीले जीवो का घर बने हुए थे । कार्यरत कर्मचारी आवासों में कम थाना में ज्यादा रहने के लिए विवश थे । सीआई लखोटिया ने इसी को लक्ष्य मान कर काम प्रारम्भ किया । अपने सीएलजी सदस्यों, थाना क्षेत्र के निवासियों के सहयोग से थाना परिसर के क्वार्टरों के अलावा रसोई घर का निर्माण करवाया । स्वच्छ भारत अभियान के तहत पालिका अधयक्ष कालू राम बाज़ीगर व पार्षद सोमनाथ की अनुशंषा से शौचालय व सड़को का निर्माण करवाया । इतना ही नही बाईपास सड़क निकलवाने के लिए सिंचाई विभाग से स्वीकृति दिलवाकर पालिका से सड़क भी मंजूर करवाई । जिसका कार्य प्रगति पर है । इससे अन्तराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगो को गंगानगर की ओर जाने के लिए बाईपास सुविधा उपलब्ध होगी । सीआई क्वार्टर का निर्माण करवाया । वही बैरकों का नव निर्माण , पार्क , पेड़ पौधे थाना में हुए उसके कार्यो को दर्शाते हैं ।
सामाजिक सरोकार
थानाधिकारी सामाजिक सरोकारों में भी सहयोग देते रहे है । गौरव पथ के निर्माण के दौरान अतिक्रमण से वार्ड 4 व 11 के परिवारों के शौचालय चपेट में आ गए । उनके लिए पालिका के सहयोग से श्री गंगानगर नगर परिषद से चल शौचालय मंगवाकर राहत प्रदान की । इसी की चपेट में आकर फरीदसर के राजकीय विद्यालय की चारदिवारी को व्यापार मण्डल के सहयोग से निर्माण करवाया गया । कस्बे में लगने वाले रक्तदान, आंखों व चिकित्सा कैम्पो में भी सदा उनका अनुकरणीय सहयोग रहा । वे धार्मिक कार्यक्रमो में भी सहयोग प्रदान करते रहे ।
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