न्यूयार्क(जी.एन.एस) ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले संयुक्त राज्य प्रशासन द्वारा ईरान पर आरोपित किये गए प्रतिबंधों की भारी आलोचना की और कहा कि वे ‘आर्थिक आतंकवाद’ और ‘आर्थिक युद्ध’ के प्रतीक हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73 वें सत्र में बोलते हुए ईरान के राष्ट्रपति ने कहा, “ये प्रतिबंध स्वयं में गैरकानूनी और एकपक्षीय हैं। यह प्रतिबंध आर्थिक आतंकवाद का एक रूप है और विकास के नैसर्गिक अधिकार का उल्लंघन है। अमरीका ने केवल बदले की नीयत से प्रतिबंध लगाए हैं। यह आर्थिक युद्ध न केवल ईरानी लोगों को लक्षित करता है बल्कि इसके लिए हानिकारक प्रभाव अन्य देशों के लोगों पर भी पड़ेंगे। इस आर्थिक युद्ध ने वैश्विक व्यापार में भी व्यवधान पैदा कर दिया है।
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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73 वें सत्र में बोलते हुए अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में साफ़ कहा कि नवम्बर की शुरुवात में ईरान पर निर्धारित प्रतिबंधों को दोबारा स्थापित किया जाएगा। उन्होंने उन रिपोर्टों को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि वह यूएनजीए के दौरान ईरानी राष्ट्रपति रूहानी से मिलेंगे। नवंबर में ईरान पर अधिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे जिसमें ईरान द्वारा कच्चे तेल की बिक्री और उसके केंद्रीय बैंक के लेनदेन को भी शामिल किया जाएगा। हालांकि यूरोपीय कंपनियों के साथ या ईरान में व्यवसाय करने के लिए लगाए गए किसी भी दंड से यूरोपीय कंपनियों की सुरक्षा के लिए यूरोपीय संघ पहले ही एक अवरोध कानून बना चुका है।
2015 में देश के परमाणु कार्यक्रम के बदले में लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों को उठाने के लिए, ईरान, अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, रूस, फ्रांस और चीन ने ईरान के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए। बाद में ट्रंप ने मई में व्यापक कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) के जरिये ईरान परमाणु समझौते से वापसी की घोषणा की जिसमें प्रतिबंधों के राहत के बदले में ईरान को अपने देश में यूरेनियम संवर्द्धन को सीमित करना था। इस समझौते को “शर्मिंदगी” का प्रतीक बताकर ट्रंप प्रशासन ने कहा था की इसका मूल ही दोषपूर्ण था। बाद में अमरीकी राष्ट्रपति ने ईरान को परमाणु कार्यक्रम फिर से शुरू करने के गंभीर परिणामों के बारे में चेतावनी दी थी।
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