बेंकिंग सेक्टर में पिछले कई समय से एनपीए एक सरदर्द बन गया है। एनपीए की राषी लगातार बढ़ रही है। यह वह आंकड़े है जो राशि वापिस आणि संभव नहीं। संसद की इस बारे में जांच के लिए बनाई गई कमिटी ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को तलब किया। हालांकि किसी कारणवश वे रूबरू हाजिर नहीं हुवे लेकिन १७ पन्नो का जवाब भेजा। जिसमे उन्होंने देश को बताया की उन्होंने देश में हाईप्रोफाइल घोटालेबाजो की एक लिस्ट प्रधानमंत्री कार्यालय जिसे पीएमओ भी कहा जाता है, उन्हें भेजी थी मगर किसी को भी पकड़ा नहीं गया। राजन यूपीए-2 और एनडीए के दौरान गवर्नर रह चुके है। बड़ी चालाकी या किसी राजनेता की तरह उन्होंने लिस्ट कब भेजी उसकी तारीख सार्वजनिक नहीं की। जो की उन्हें बतानी चाहिए। वे बताएँगे या बताना होंगा। लेकिन कब ये तो सिर्फ राजन, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और वर्तमान पीएम मोदी ही जानते है। राजन का कार्यकाल मोदी शासन में नहीं बढाया गया था। उन्हें बुरीतरह से बदनाम कर वे उन्हें फिर से नियुक्त करे ऐसी कोई जगह ही नहीं बची थी।
राजन विदेश में पढ़ा रहे है। वे एक जानेमाने अर्थ शास्त्री है। उनके कार्यकाल में रुपिया स्थिर था जो अब पतला होता जा रहा है। कितना घिसेंगा यह तो आरबीआई के वर्तमान गवर्नर उर्जित पटेल ही जाने। राजन का पत्र सार्वजनिक होने के बाद उस पर टिप्पणी करने के लिए वित्तमंत्री मिडिया के सन्मुख नहीं आये नाही राज्यमंत्री आये। लेकिन किसी रणनीति के तहत केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा गया। आननफानन में बुलाई प्रेस कोंफ्रंस में उन्हों ने राजन द्वारा लिखी गई और पीएमओ को भेजी गई लिस्ट को लेकर कांग्रेस पर हल्ला बोल दिया। उन्होंने आन लिया की राजन ने यह लिस्ट मनमोहनसिंह को भेजी थी। और कोंग्रेस की सरकार ने घोटाले बाजों के खिलाफ क्यों कदम नहीं उठाये? ये सवाल किया।
दूसरी और कांग्रेस ने प्रति आरोप लगाया की राजन ने मोदी के पीएमओ को लिस्ट भेजी थी। असल में लिस्ट कौनसे पीएमओ को भेजी गई यह तो सिर्फ राजनबाबु ही जानते है। उन्होंने 17 पन्नों में कही भी कोई भी तारीख क्यों नहीं लिखी या लिखी तो कमिटी द्वारा ये पत्र जाहिर किया गया? ऐसे कई सवाल है। जिनका जवाब अब राजन के साथ कमिटी के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को देना है। मंत्री स्मृति ईरानी ने जो सवाल किये उसका जवाब भी मिलना चाहिए। लेकिन जब राजन द्वारा यह खुलासा हो की उन्होंने कब लिस्ट भेजी और उसमे मोदी सरकार का भी जिक्र हो तो सरकार के मंत्री को उसी तरह प्रेस कोंफरंस करनी चाहिए जैसे उस मंत्री ने की जिसका मंत्रालय ही नहीं। हो सकता है की कलेक्टिव जिम्मेवारी के तहत उन्होंने बचाव किया हो। राजन बाबू लिस्ट की तारीख बताये। देश आपका इन्तेजार कर रहा है।
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