कोर्ट में वकीलों ने सीबीआई पर लगाया आरोप : बरी हो चुके अधिकारियों के खिलाफ नहीं लिया जाता कोई एवीडेंस।
गवाह कोर्ट में बोलता रहा मेरे हुए थे 164 के बयान, लेकिन न तो उसे वह बयान बोलने दिए गए और न ही पीपी ने पूछे।
उदयपुर। सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर केस में मंगलवार को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में गहमा-गहमी भरा माहौल रहा। अहमदाबाद के पेट्रोलपंप व्यवसायी गवाह महेन्द्र सिंह झाला कोर्ट में कहते रहे कि उसके सीआरपीसी की धारा 164 के बयान हुए थे। लेकिन न तो पीपी ने इस बयानों के बारे में उससे पूछा और न ही कोर्ट में उसके यह बयान होने दिए गए। झाला ने जैसे ही बरी हो चुके अभय चूडास्मा का नाम लिया, तो जज एसजे शर्मा ने झाला को आगे बोलने से रोक दिया और कहा कि यह रहने दो, वे बरी हो चुके हैं।
” गवाह महेन्द्र सिंह झाला ने मीडिया से हुई बातचीत में बताया कि उसने अपने कोर्ट में हुए 164 के तहत हुए बयान बताने चाहे और जैसे ही यह कहा कि अभय चूडास्मा ने रूपए लिए थे, तो जज एसजे शर्मा ने यह कहकर मुझे रोक दिया कि यह रहने दो, वे बरी हो चुके हैं। मैंने जो बयान धारा 164 के तहत दिए थे, वह जब बताने चाहे तो मुझे वह बयान नहीं देने दिए गए। पब्लिक प्रोसीक्यूटर (पीपी) बीपी राजू ने भी इस संबंध में मुझसे कुछ नहीं पूछा। मैंने कोर्ट में आते ही कहा था कि मुझे मेरे 164 के तहत हुए बयान दिखाए जाएं, काफी साल बीत गए हैं, मैं वह बयान देखना चाहता हूं, तो पीपी ने बयान दिखाने से मना कर दिया। कोर्ट में जब मैं बयान दे रहा था, उस समय भी पीपी ने मुझे मेरे 164 के तहत हुए बयान न तो दिखाए, न वैरीफाई कराए। इस कारण से मैं उन बयानों के बारे में कोर्ट में कुछ नहीं बता सका।“
झाला के बयानों के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों ने सीबीआई पर खुलकर आरोप लगाया कि जिन 22 अधिनस्थ पुलिसकर्मियों के खिलाफ ट्रायल चल रही है, सीबीआई उनके खिलाफ वह बयान भी ला रही है, जो चार्जशीट में शामिल बयानों का हिस्सा ही नहीं है, जबकि डिस्चार्ज हो चुके उच्च अधिकारियों के खिलाफ गवाह के बयानों में कोई उल्लेख आता है, तो उन्हें या तो सीबीआई का वकील (पब्लिक प्रोसीक्यूटर) पूछता ही नहीं है। गवाह बिना पूछे बताता भी है तो कोर्ट में उसे यह कहकर चुप करा दिया जाता है कि यह ट्रायल उनके खिलाफ नहीं चल रही है, 22 लोगों के खिलाफ है। बरी हो चुके आरोपियों के खिलाफ कोई एवीडेंस आने ही नहीं दिया जाता है।
बंजारा और चूडास्मा के खिलाफ हाईकोर्ट में करूंगा चैलेंज
झाला ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा इस केस में बड़े-बड़े सभी मगरमच्छ तो निकल गए हैं, आज जो बयान हुए वे तो हो गए। लेकिन मैं मेरे पूर्व में हुए सीआरपीसी की धारा 164 के बयान की प्रति लेकर डीजी बंजारा और अभय चूडास्मा के खिलाफ हाईकोर्ट में चैलेंज करूंगा। ये कैसे डिस्चार्ज हो गए। ये ट्रायल फेस करके निकलते तो समझ आता, इनके खिलाफ इतने साक्ष्य हैं, ट्रायल कोर्ट में इनके खिलाफ कोई एवीडेंस नहीं ली जा रही है,मुझे भी चुप करवा दिया गया, तो कोई बात नहीं, मैं अब हाईकोर्ट में चुनौती दूंगा।
पत्रावली से गायब हुए बयान
कोर्ट में मंगलवार को गुजरात के पेट्रोलपंप व्यवसायी महेन्द्र सिंह झाला के बयान हुए। महेन्द्र सिंह झाला ने बताया कि सोहराबुद्दीन-तुलसी एनकाउंटर के बारे में उसके सीआईडी के एसपी रजनीश रॉय, इंस्पेक्टर टीके पटेल, सीबीआई के डीएसपी डागर, इंस्पेक्टर केतन मेहता ने अलग-अलग समय कुल चार बार बयान लिए थे और पांचवीं बार बयान धारा 164 के तहत कोर्ट में हुए थे, यह बयान सीबीआई ने करवाए थे। झाला ने कोर्ट पहले तो बताया कि उसकी तुलसी से कभी कोई बात नही हुई, लेकिन पीपी के बार-बार पूछने पर झाला ने बताया कि वह तुलसी से भद्र कोर्ट में मिला था, जहां उसने बताया था कि पुलिस उसे मार सकती है। इस पर मैंने उसे सुझाव दिया था कि यह बात कोर्ट में बताए, इस पर उसके वकील सलीम खान ने इस संबंध में कोर्ट में एक एप्लीकेशन भी दी थी।
इस पर बचाव पक्ष के वकील वहाव खान ने झाला से पूछा कि अभी आपने जो तथ्य बताया है, वह आपके पूर्व में सीआईडी-सीबीआई के तहत दिए बयानों में तो है ही नहीं। इस पर जज एसजे शर्मा ने सीबीआई से रजनीश रॉय और टीके पटेल के बयानों के बारे में पूछा, तो पीपी ने बताया कि वह बयान अभी पत्रावली पर मौजूद नहीं है। इस पर बचाव पक्ष के वकीलों ने सीबीआई पर बयान गायब करने का आरोप लगाया और लिखित में एप्लीकेशन दी कि यह बयान उपलब्ध करवाए जाएं। हालां कि सीबीआई लंच अंतराल तीन बजे के बाद भी वह बयान की प्रति कोर्ट में नहीं ला सकी।
एटीएस ने मुझसे 15 लाख रूपए लिए थे
कोर्ट में झाला ने बताया कि 2001 में एटीएस ने बिल्डर रफीक चेजारा से रिपोर्ट लेकर रफीक को मारने की सुपारी का केस बनाया था, इसमें मुझ सहित सोहराबुद्दीन, सिराज, रमन भाई, दशरथ भाई, राजू सहित अन्य को फंसाया था। इस मामले में एटीएस ने मुझसे मुझे आरोपी नहीं बनाने के नाम पर 15 लाख रूप्ए वसूले थे। नवरंगपुरा में पॉपुलर बिल्डर पर हुई फायरिंग मामले में भी एटीएस ने तुलसी, सिलवेस्टर, नूर भाई सहित मुझे आरोपी बनाया था। इस बार एटीएस ने पैसे लेने के बावजूद मुझे इसमें आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया था और यह केस अहमदाबाद के सेशन कोर्ट में लंबित चल रहा है।
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इस बयान पर मुंबई ट्रायल कोर्ट ने कहा कि यह बात अहमदाबाद कोर्ट में ही बताएं, यह बात इस केस से संबंधित नहीं है। गौरतलब है कि सीबीआई ने चार्जशीट में नवरंगपुरा फायरिंग मामले को सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जुड़ा हुआ बताया है।
पीपी पर कोर्ट में लगाया आरोप आप डिफेंस लॉयर बन जाओ
पीपी बीपी राजू ने बार-बार लीडिंग सवाल करते हुए झाला से पूछा कि अहमदाबाद के भद्र कोर्ट में क्या हुआ था। इस सवाल पर बचाव पक्ष के वकील भड़क गए और पीपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि आप बार-बार लीडिंग सवाल कर रहे है, तो पीपी साहब आप यहां आकर डिफेंस लॉयर बन जाओ।
पीपी ने नहीं पूछा 164 के बयानों के बारे में
कोर्ट में गवाह महेन्द्र सिंह झाला ने बताया कि उसके इस मामले से संबंधित सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान हुए थे। इसके बावजूद पीपी ने कोर्ट में गवाह झाला ने न तो यह पूछा कि उसने 164 के बयानों में क्या बताया था, न ही उसके 164 के तहत दिए बयानों पर हुए हस्ताक्षर की तस्दीक कराई, न ही वह बयान दिखाए गए।
164 के बयान में है कि चूडास्मा ने सोहराबुद्दीन से करवाई थी फायरिंग
महेन्द्र सिंह झाला के सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत 6 मई 2010 को कोर्ट में बयान करवाए थे, उसमें झाला ने बताया कि सोहराबुद्दीन पुलिस अधिकारी अभय चूडास्मा के लिए काम करता था। अभय चूडास्मा ने ही सोहराबुद्दीन को इंदौर भेजकर कुछ हथियार मंगवाए थे और बाद में रफीक भाई को मारने की झूठी साजिश रचकर मुझे उसमें झूठा आरोपी बनाया था और केस से निकलने के नाम पर 15 लाख रूपए मुझसे लिए थे। इसके बाद 2004 में अहमदाबाद के नवरंगपुरा स्थित पॉपुलर बिल्डर पर हुई फायरिंग भी अभय चूडास्मा ने सोहराबुद्दीन के जरिए करवाई थी। इसमें भी हमें झूठा आरोपी बनाया था। चूडास्मा हम व्यापारियों से रूपए एंठने के लिए सोहराबुद्दीन के जरिए ये कहानियां बनाता था। सोहबराबुद्दीन के एनकाउंटर के बाद भी एटीएस ने मुझे कुछ दिनों हिरासत में रखा था और सोहराबुद्दीन की तरह मेरा एनकाउंटर करने की धमकी दी थी। बाद में एटीएस ने मुझसे 15 लाख रूपए लेकर मुझे छोड़ा था।
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