Sunday, 24 March 2019

Home
crime
crime news in hindi
sriganganagar
Sri GangaNagar - धोखे से निकाह कर प्रताडि़त किया!अपहरण,बलात्कार और मारपीट का आरोप
Sri GangaNagar - धोखे से निकाह कर प्रताडि़त किया!अपहरण,बलात्कार और मारपीट का आरोप
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर जिले में सीमावर्ती अनूपगढ़ कस्बे की एक युवती ने एक युवक पर उसका अपहरण कर निकाह कर लेने और फिर जबरदस्ती दुुष्कर्म करते हुए मारपीट करने का आरोप लगाया है। युवती ने युवक के परिवार वालों को भी इसमेें लिप्त बताया है।
अनूपगढ़ पुलिस के अनुसार आज शनिवार को कस्बा निवासी एक मजहबी सिख परिवार की 19 वर्षीय युवती ने थाने में आकर रिपोर्ट देते हुए बताया कि वार्ड नंं. 6 निवासी अल्लादित्ता उर्फ सियानी खान ने विगत 23 जनवरी को बहला-फुसलाकर उसका अपहरण कर लिया था। अल्लादित्ता उसे इधर-उधर कई जगहों पर घुमाता रहा और जबरन शारीरिक सम्बंध बनाता रहा।
वह 17 फरवरी को अपनी मौसी के बेटे सद्दाम, उसकी भाभी प्रवीण और भाई अल्लारक्खा तथा दो-तीन अन्य जने जबरदस्ती नई मण्डी घड़साना की धक्काबस्ती में एक मकान में ले गये। वहां जबरदस्ती उसका अल्लादित्ता से निकाह करवाया गया। फिर वार्ड नं. 6 में अपने घर में लाकर अल्लादित्ता ने बंधक बना लिया। उसका देहशोषण करता रहा। उसके साथ मारपीट ीाी की। अल्लादित्ता का भाई अल्लारक्खा, उसकी मां, पिता रहमत अली आदि उसे मारपीट व प्रताडि़त करने लगे। उसने अपनी मां को यह सब बताना चाहा, तो इन सबने विगत 20 मार्च की शाम को उसके साथ काफी मारपीट की।
उस पर दबाव डाला कि अगर वह अपनी मां के पास जाना चाहती है, तो पहले स्टाम्प पेपर पर लिखकर दे कि वह अपनी मर्जी से यहां आई थी और मर्जी से वापिस जायेगी। पीडि़ता के अनुसार उसने यह बात नहीं मानी तो गला दबाकर उसे मारने का प्रयास किया गया। उसी दिन उसकी मां व भाईआ गये जो उसे इनकी चंगुल से छुड़ाकर ले गये। इस दौरान झगड़ा-फसाद हो गया, जिसमें अल्लादित्ता ने लाठी से उसकी मां व भाई को घायल कर दिया। उसे भी चोटें मारीं। पुलिस ने बताया कि धारा 366, 363, 376 और 323 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच अनूपगढ़ के डीएसपी हुकमसिंह कर रहे हैं।
Tags
# crime
# crime news in hindi
# sriganganagar
Share This
About Report Exclusive
sriganganagar
लेबल:
crime,
crime news in hindi,
sriganganagar
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आपके सुझाव आमंत्रित
क्या कॉरपोरेट घरानों द्वारा चलाए जा रहे या पारिवारिक विरासत बन चुके मीडिया संस्थानों के बीच किसी ऐसे संस्थान की कल्पना की जा सकती है जहां सिर्फ पत्रकार और पाठक को महत्व दिया जाए? कोई ऐसा अखबार, टेलीविजन चैनल या मीडिया वेबसाइट जहां संपादक पत्रकारों की नियुक्ति, खबरों की कवरेज जैसे फैसले संस्थान और पत्रकारिता के हित को ध्यान में रखकर ले, न कि संस्थान मालिक या किसी नेता या विज्ञापनदाता को ध्यान में रखकर. किसी भी लोकतंत्र में जनता मीडिया से इतनी उम्मीद तो करती ही है पर भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में मीडिया के वर्तमान माहौल में संपादकों को ये आजादी बमुश्किल मिलती है. वक्त के साथ-साथ पत्रकारिता का स्तर नीचे जा रहा है, स्थितियां और खराब होती जा रही हैं. अब हम निष्पक्ष व् स्वतंत्र रूप से जुड़ने का काम करने का प्रयास कर रहे हैं.
No comments:
Post a comment
इस खबर को लेकर अपनी क्या प्रतिक्रिया हैं खुल कर लिखे ताकि पाठको को कुछ संदेश जाए । कृपया अपने शब्दों की गरिमा भी बनाये रखे ।
कमेंट करे