श्रीगंगानगर । राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न वायु प्रदुषण के मानवीय स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव को रोकने के लिये अवशेष जलाने पर प्रतिबंध रहेगा।
जिला कलक्टर ज्ञानाराम ने बताया कि किसानों द्वारा अपने खेतों में फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से आमजन को परेशानी होती है। जिन खेतों में कम्बाईन हार्वेस्टर के द्वारा फसल कटाई की जाती है वहां 6 से 9 इंच तक ऊंचाई का फसल अवशेष भूमि में बच जाता है। फसल अवशेष को सामान्यतः किसानों द्वारा जला दिया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।
माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण व केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्राण मण्डल द्वारा इस परिपाटी को रोकने हेतु निर्देशित किया है। पर्यावरण विभाग राजस्थान द्वारा उक्त फसल अवशेष जलाने को अधिसूचना द्वारा वायु (प्रदूषण नियंत्राण एवं रोकथाम) अधिनियम 1981 की धारा 19 (5) के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
फसल अवशेष कृषि भूमि के लिये पोषक तत्वों का उतम स्त्रोत है। उन्नत कृषि यंत्रों जैसे ककि रोटावेटर, रीपर, हैप्पीसीडर, रीपर बाइण्डर, स्ट्रॉ रीपर आदि के इस्तेमाल से उक्त फसल अवशेष को काटकर इसकी ईंट बनाकर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है या इसके टुकड़े-टुकड़े कर मिट्टी में मिश्रित किया जा सकता है या इसे पशु आहार हेतु भूसे के रूप में भी परिवर्तित किया जा सकता है।
फसल अवशेष को जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण के मानवीय स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव को रोकने हेतु व इस उत्तम संसाधन के उचित उपयोग को बढावा दिया जावें। रात्रि चौपाल, किसान गोष्ठियां, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटक, वाल पंटिंग आदि के द्वारा जन सामान्य के बीच जागरूकता पैदा की जायेगी।
ने दिए निर्देश अब फसल अवशेष जलाने पर लगा प्रतिबंध
श्रीगंगानगर । राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न वायु प्रदुषण के मानवीय स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव को रोकने के लिये अवशेष जलाने पर प्रतिबंध रहेगा।
जिला कलक्टर ज्ञानाराम ने बताया कि किसानों द्वारा अपने खेतों में फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से आमजन को परेशानी होती है। जिन खेतों में कम्बाईन हार्वेस्टर के द्वारा फसल कटाई की जाती है वहां 6 से 9 इंच तक ऊंचाई का फसल अवशेष भूमि में बच जाता है। फसल अवशेष को सामान्यतः किसानों द्वारा जला दिया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।
माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण व केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्राण मण्डल द्वारा इस परिपाटी को रोकने हेतु निर्देशित किया है। पर्यावरण विभाग राजस्थान द्वारा उक्त फसल अवशेष जलाने को अधिसूचना द्वारा वायु (प्रदूषण नियंत्राण एवं रोकथाम) अधिनियम 1981 की धारा 19 (5) के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
फसल अवशेष कृषि भूमि के लिये पोषक तत्वों का उतम स्त्रोत है। उन्नत कृषि यंत्रों जैसे ककि रोटावेटर, रीपर, हैप्पीसीडर, रीपर बाइण्डर, स्ट्रॉ रीपर आदि के इस्तेमाल से उक्त फसल अवशेष को काटकर इसकी ईंट बनाकर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है या इसके टुकड़े-टुकड़े कर मिट्टी में मिश्रित किया जा सकता है या इसे पशु आहार हेतु भूसे के रूप में भी परिवर्तित किया जा सकता है।
फसल अवशेष को जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण के मानवीय स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव को रोकने हेतु व इस उत्तम संसाधन के उचित उपयोग को बढावा दिया जावें। रात्रि चौपाल, किसान गोष्ठियां, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटक, वाल पंटिंग आदि के द्वारा जन सामान्य के बीच जागरूकता पैदा की जायेगी।
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