Advertisement

Advertisement

केवल कानून से बाल विवाह रोकना संभव नहीं, सामाजिग जागरूकता भी जरूरी- अनिता भदेल


बाल विवाह रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री ने सभी सरपंचों को लिखा पत्र

श्रीगंगानगर । अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा के अबूझ सावों पर बाल विवाह रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनीता भदेल ने जिले के सभी सरपंचों को पत्र लिखा है। पत्र में सभी सरपंचों से बाल विवाह रोकने की अपील करते हुए मंत्री ने लिखा है कि बाल विवाह सभ्य समाज के लिए कलंक है। यह सामाजिक कुरीति ही नही है बल्कि कम उम्र के विवाह के बंधन में बंधे बालक-बालिकाओं का सर्वांगीण विकास भी अवरूद्ध होता है। बाल विवाह लड़कियों के लिए विशेष रूप से क्रूर है जो उनकी शिक्षा, समुचित पोषण, कौशल विकास, रोजगार एवं उत्साहपूर्ण जीवन में स्थायी बाधा उत्पन्न करता है। कम उम्र में गर्भधारण एवं प्रसव के दौरान ऐसी बालिकाओं की मृत्यु की संभावनाएं 5 गुना बढ़ जाती है।
                                    महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने पत्र में लिखा है कि 28 अप्रैल को अक्षय तृतीया और 10 मई को पीपल पूर्णिमा है। इन पुनीत अवसरों पर मुहूर्त निकाले बिना शुभ कार्य करने की हमारे यहां परंपरा रही है। आपकी ग्राम पंचायत में भी इन मौकों पर अनेक विवाह संपन्न होंगे। इस अवसर पर पुरातनवादी सोच, सामाजिक दबाव, दहेज प्रथा, आटा-साटा प्रथा, एवं गरीबी के कारण अनेक माता पिता अपने नन्हें बच्चों का विवाह कर देते हैं। जिसे हर हाल में रोकना है।  
                                  मंत्री ने सरपंचों को लिखा है कि राज्य में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2007 लागू है। इस कानून के तहत बाल विवाह करने वाले माता पिता के साथ साथ बाल विवाह आयोजन में भागीदार बनने वाले व्यक्ति जैसे बाराती, पुजारी, रिश्तेदार, बैंडबाजा वाले, हलवाई, फोटोग्राफर, बारात ले जाने वाले वाहन के मालिक, टैंट हाउस लगाने वाले इत्यादि भी समान रूप से दोषी माने जाएंगे। और कानून में इन सभी के लिए 2 वर्ष तक का कठोर कारावास या एक लाख रूपए तक जुर्माना या दोनों ही सजा का प्रावधान है लेकिन साथ ही मंत्री  ने लिखा है कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई का उन्मूलन केवल कानून से ही संभव नहीं है। इसको लेकर सामाजिक जागरूकता एवं जनभागीदारी बहुत जरूरी है।
                               भदेल ने सरपंचों को लिखा है कि ग्राम पंचायत का मुखिया होने के नाते आपकी दोहरी जिम्मेदारी है। पंचायत के सजग एवं कारगर नेतृत्व के रूप में बाल विवाह के दुष्परिणामों से आमजन को जागरूक करना जहां आपकी जिम्मेदारी है वहीं ग्राम पंचायत के निर्वाचित मुखिया के रूप में समूचे पंचायत क्षेत्रा में बाल विवाह संपन्न न हो ये भी आपका कानूनी उत्तरदायित्व है। लिहाजा बाल विवाह रोकथाम से जुड़े सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को न केवल सतत  सहयोग करेंगे बल्कि खुद भी सक्रिय होकर इसे रोकने में प्रभावी भूमिका निभाएंगे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement