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पंचनामा : उषा जोशी
वही घोड़े वही मैदान
जांगळ देश बीकानेर में कितने ही टाइगर आये और आकर चले गए मगर किसी भी एक टाइगर ने अपनी कार्यशैली अथवा प्रभाव से जांगळ देश में प्रचलित किसी भी एक अपराध पर पूरी तरह रोक लगाई हो ऐसा नहीं हो सका है। यहां क्रिकेट सट्टा, जिप्सम का अवैध खनन, ताश के पत्तों पर रुपयों का दांव लगाकर जुआ खेलना, शराब की अवैध बिक्री करना, वाहनों की चोरी, गुण्डागर्दी बदस्तूर जारी है। नये टाइगर के आने पर हर बार क्षेत्र के लोगों को आशा होती है कि इस बार कुछ काम होगा मगर नहीं, इस इलाके में तो वही घोड़े वही मैदान वाली कहावत ही सही बैठती है। जब भी नया प्रशासनिक अधिकारी या बड़ा खाकीधारी ज्वाइन करता है तो बस एक नये नाम के अलावा कुछ भी नया नहीं होता। वही पुराना ढर्रा। अरे, हां इस बार तो नये टाइगर को आये एक पखवाड़े से भी अधिक समय हो गया है मगर अब तक उन्होंने थानों का अवलोकन तथा अनुशासन के निर्देशों के अलावा कोई नया दावा अब तक नहीं किया है। लोगों को इन टाइगर साहब के दावों का भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
गंदा है पर धंधा है ये
सबको पता है कि थाने और थानेदार बंधी के सहारे ही चलते हैं। कहीं थानेदार साहब की जीप में पेट्रोल बंधी से डलवाया जाता है तो कहीं थानेदार साहब के नये घर के लिये निर्माण सामग्री का इंतजाम कराया जाता है। ये सब आपको इसलिये बता रही हूं क्योकि शहर के थानों में कुछ जब से कुछ प्रशिक्षु अधिकारियों को थानेदारी पर लगाया गया है तब से लोग बताने लगे हैं कि इन प्रशिक्षु साहबों को भी इन बंधियों की लत्त लग रही है। बताने वाले तो यह भी बताते हैं कि पिछले दिनों एक थानेदार साहब व प्रशिक्षु अधिकारी के बीच बंधियों बंधी के मुद्दे पर ही तू-तू, मैं-मैं हुई थी। अजी साहब बंधी कोई ऐसी चीज नहीं कि बराबर-बराबर बांटी जाए उसमें तो हर एक का हिस्सा उसकी भूमिका के अनुसार तय होता है, अब जब लोगों को एक ही थाने में दो-दो थानेदार मिलेंगे तो झंझट तो होगा ही।
मुफ्त की सलाह
स्थानीय खाकीधारियों के बारे में सभी छोटी-बड़ी, ऊंच-नीच की जानकारी रखने का दावा करने वाले एक पूर्व खाकीधारी अधिकारी को नये टाइगर ने दूर से नमस्कार करने में अपनी भलाई समझी है। ये पूर्व अधिकारी जांगळ देश में अपनी तैनाती के दौरान भी तत्कालीन टाइगरों को अपनी जानकारियों से लाभान्वित करते रहते थे मगर बाद में इनकी जानकारियों में नमक-मिर्च व मसाले थोड़े अधिक होते गए। जिससे टाइगर्स का मुहं का स्वाद बिगड़ने लगा था। जांगळ देश के नये टाइगर को भी पूर्व खाकीधारी की इस योग्यता की भनक लग चुकी थी। यही कारण था कि जब पूर्व अधिकारी जी पूरी शान के साथ टाइगर से अपोइंटमेंट लेने पहुंचे तो उत्तर ना में मिला और उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
अपने तो अपने होते हैं
नये टाइगर के आने से क्षेत्र में नये पावर हाउस डवलप हो गए हैं। कई खाकीधारियों का प्रताप बढ़ा है तो कईयों में उम्मीद की नई किरण जागी है। पिछले डेढ़-दो साल से जो खाकीधारी अधिकारी ठंडे बस्ते की शान बने हुए थे अब उनमें पावर की गर्मी का पारा 50 डिग्री से भी उपर का चढ़ने लगा है। वहीं पिछले डेढ़ साल में जो खाकीधारी पावर में रहे थे उनकी गर्मी अब तेजी से उतरने लगी है। अनेक खाकीधारियों ने नये टाइगर से नजदीकी बनाने के रास्ते खोज लिये और उन रास्तों पर चलकर उन्हें कामयाबी भी मिलती दिख रही है। कुछ अधिकारी टाइगर बदलने के बाद अपने आप ही बूस्टअप हो गए हैं। उनका मोरल बढ़ गया है।
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