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कलकत्ता उच्च न्यायालय न्यायधीश कर्णन हुए सेवानिवृत,सुप्रीम कोर्ट सुना चुकी हैं 6 माह की कैद



नेशनल न्यूज़।   कलकत्ता उच्च न्यायालय के विवादों से घिरे न्यायाधीश न्यायमूर्त सी एस कर्णन का कार्यकाल सोमवार (12 जून) को समाप्त हो गया और उनके सेवानिवृत होने पर उन्हें कोई रस्मी विदाई नहीं दी गयी. 62 वर्षीय न्यायमूर्ति कर्णन को अदालत की अवमानना के मामले में उच्चतम न्यायालय ने छह माह कैद की सजा सुनाई थी और वह इस मामले में नौ मई से गिरफ्तारी से बच रहे हैं.


वह किसी उच्च न्यायालय के पहले ऐसे वर्तमान न्यायाधीश रहे जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने जेल की सजा सुनाई है. किसी सेवानिवृत न्यायाधीश को उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा विदाई दिये जाने की रस्म भी नहीं अदा की जा सकी क्योंकि न्यायमूर्ति कर्णन उपस्थित नहीं थे. कलकत्ता उच्च न्यायालय के रजिस्टार जनरल सुगत मजूमदार ने कहा, 'प्रशासन द्वारा विदाई समारोह आयोजित किया जाता है जिसमें न्यायाधीश और वरिष्ठ वकील होते हैं और परंपरा अनुरूप भाषण दिये जाते हैं. वह उपस्थित नहीं थे इसलिए यह नहीं हो सका.' 

न्यायमूर्ति कर्णन के सेवानिवृति लाभों के बारे में पूछे जाने पर मजूमदार ने कहा, 'सारी औपचारिकताएं कानून के अनुसार पूरी की जाएंगी.' अधिवक्ता संघ (बार) भी सेवानिवृत हो रहे न्यायाधीश को विदाई देता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है. अतिरिक्त महाधिवक्ता अभ्रतोष चौधरी ने कहा, 'अगर न्यायमूर्ति कर्णन होते तो बार इस बारे में विचार करता. एक प्रक्रिया होती है जिसमें सेवानिवृत हो रहे जज को निमंत्रण भेजा जाता है और अगर वह स्वीकार कर लेते हैं तो जरूरी बंदोबस्त किये जाते हैं.' उन्होंने कहा, 'चूंकि हमें पता नहीं है कि वह कहां हैं, इसलिए बिदाई का सवाल नहीं उठता.'

कलकता उच्च न्यायालय बार संघ की अध्यक्ष सुरंजना दासगुप्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बने अभूतपूर्व हालात और न्यायमूर्ति कर्णन की अनुपस्थिति की वजह से विदाई समारोह नहीं हो सका. भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ गिरफ्तारी का अभूतपूर्व आदेश दिया था जिसके बाद से वह गिरफ्तारी से बच रहे हैं. कई प्रयासों के बावजूद न्यायमूर्ति कर्णन को शीर्ष अदालत की अवकाशकालीन पीठ से कोई राहत नहीं मिली है. पीठ ने जेल की सजा के आदेश पर रोक लगाने की उनकी याचिका को सुनने से इनकार कर दिया था.

उनके वकीलों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी संपर्क साधा लेकिन अभी तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. सात न्यायाधीशों की पीठ ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक से भी न्यायमूर्ति कर्णन को हिरासत में लेने को कहा था जो पिछले कई महीने से उच्चतम न्यायालय के साथ टकराव के रास्ते पर थे. छह महीने की जेल की सजा सुनाये जाने के बाद न्यायमूर्ति कर्णन ने 12 मई को शीर्ष अदालत में राहत की गुहार लगाई थी और कहा था कि ना तो उच्च न्यायालय और ना ही उनके न्यायाधीश शीर्ष अदालत के अधीन हैं.


फोटो & न्यूज़ सोर्स ज़ी मीडिया 

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