केसरीसिंहपुर (गुरविन्द्र बराड़)
स्थानीय राजकीय चिकित्सालय में इलाज के लिए आई एक गर्भवती महिला सोमवार को इलाज के लिए तड़फती रही । परिजन इलाज के लिए यहां चिकित्सालय में लेकर पहुंचे । लेकिन कथित रूप से स्टाफ का वहां न होना बताया जाता रहा । परिजनों का कहना है कि एक नर्सिंग कर्मी को बताया भी था लेकिन उसने टालमटोल कर चिकित्सक नही होने का जवाब दे दिया और वहा तेनात स्टाफ ने उसे फ़ास्ट एड ढेने तक की जहमत तक नहीं ली । तब एक भले व्यक्ति ने दर्द से बुरी तरह तड़फ रही महिला के लिए निजी वाहन की व्यवस्था करवा कर उन्हें वहां से गंगानगर के लिए रवाना किया । जबकि ड्यूटी पर तैनात स्टाफ का कहना है कि उनके पास चिकित्सालय के अंदर आकर किसी ने नही बताया । जबकि सारा स्टाफ़ ड्यूटी पर ही था । प्राप्त जानकारी अनुसार गांव साधुवाली की महिला रोशनी पत्नी सोनू यहां अपने परिजनों के साथ नरमा चुगाई का कार्य करने मलकाना खुर्द गांव में आई हुई थी । गर्भवती होने के कारण सांय 5 बजे के आसपास खेत मे ही दर्द शुरू हो गया । इस पर परिजन पास में ही स्थित गांव 7 एस में कृष्ण कुमार गर्ग के पास आ गए । एवं अपनी व्यथा बताई । उसने अपनी जीप में उसे स्थानिय राज. चिकित्सालय में लेकर आए । वहां खड़े लोगो से पूछताछ में डाक्टर के नही होने पर तुरन्त एक निजी वाहन की व्यवस्था कर उसे श्री गंगानगर भेजा । इस दौरान वह दर्द से तड़फती रही । परिजन उसे हस्पताल के बाहर ही गोदी में बिठा कर होंसला ओर दिलासा देते रहे । इस मामले में ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग स्टाफ रमनदीप कौर ने बताया कि उस समय हम डिलीवरी रूम में डिलीवरी करवा रहे थे । स्टाफ मौजूद था । लेकिन किसी ने भी अंदर आकर इसकी जानकारी नही दी । मरीज को कोई भी अंदर लेकर नही आया । बाहर से यदि कोई ले गया हो तो हमे जानकारी नही है ।
डॉ. का है अभाव
यहां का चिकित्सालय राम भरोसे ही चल रहा है । एक मात्र चिकित्सक वो भी डेपुटेशन पर । यहां के तीन चिकित्सक अन्य स्थानों पर डेपुटेशन पर कार्यरत है । डेपुटेशन पर आए प्रभारी चिकित्सक सुबह यहां ट्रेन से आते है । और शाम को वापिस चले भी जाते है । प्रतिदिन 250 से 300 की ओपीडी है । उनके अलावा आयुष व दन्त चिकित्सक ही यहां तैनात है । कहने को तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकिन स्टाफ के अभाव में सरकार और जनप्रतिनिधियो की उपेक्षा के कारण यह सफेद हाथी ही साबित हो रहा है । केवल नर्सिंग स्टाफ के भरोसे ही डिलीवरी जैसे महत्वपूर्ण कार्य कुशलता से हो पा रहे है ।
वोटो की राजनीति करने वाले मौन।
अर्से से यहा के चिकित्सालय में डॉ के पद रिक्त पड़े है । यहां कोई चिकित्सक आना ही नहीं चाहता । क्योंकि कुछ राजनीति से जुड़े लोग गाहे बगाहे उन्हें परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते । हाल ये है कि यहां आधा दर्जन से अधिक चिकित्सक के पद सृजित है । लेकिन कार्यरत मात्र एक ही है । वह भी डेपुटेशन पर । जबकि इसे क्रिटिकल इकाई बनाया गया है । न यहा रक्त की उपलब्धता है । न जननी योजना के तहत पीडियाट्रिक, महिला रोग विशेषज्ञ और न ही कोई सर्जन या कनिष्ठ विशेषज्ञ । कभी यहा रिकॉर्ड डिलीवरी हुआ करती थी । हालांकि पारंगत स्टाफ मौजूद है । लेकिन डॉ के पद रिक्त होने के कारण वे भी कोई रिस्क लेना नहीं चाहते ।
कहा गया विपक्ष
समस्याओं के हल के लिए या जागरूकता के लिए विपक्ष भूमिका निभाता है । लेकिन जैसे यहा तो कोई है ही नही । यहा कार्यरत चिकित्सा कमेटी भी लगता है नाम के लिए ही बनाई गई है । जो इतनी बड़ी समस्या को नहीं देख पा रही। विभिन्न धड़ो में बंटी भाजपा टांग खिंचाई में विशवास रखती है । यहां के विधायक प्रदेश में मंत्री, और सांसद केंद्र में मंत्री रह चुके लेकिन हालात वाही धाक के तीन पात ।
यहा पालिका अध्यक्ष कालू राम बाजीगर की एक बात प्राणगिक हो चुकी है । कि यहां इस मंडी में अधिकारी या चिकित्सक क्यों नहीं आना चाहते । इस पर मंथन होना चाहिए । और निष्कर्ष निकाला कर उस पर काम करना चाहिए ।
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