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खाकी पर हर सप्ताह बड़ा पंचनामा : उषा जोशी


उषा जोशी की कलम से....

मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं...
शहर में जुए के खेल को लेकर खादी व खाकी की जंग शुरू होने का समय है। खादी पहनने वाले चाहेंगे कि शहर में बेधड़क जुआ चले व जबकि आला खाकीधारियों का प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक जुआरी पकड़े जाएं। खादी व खाकी के आला लोगों की इस जंग में हर साल दिवाली के दिनों में शहरी क्षेत्र के थानेदारों की स्थिति मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं वाली हो जाती है। सुना है शहर में सत्ता की राजनीति करने वाले खादीधारी के रिश्तेदारों ने अपने-अपने इलाके के थानेदारों को साफ कह दिया है दिवाली के इन दिनों में जब जुए को शगुन के रूप खेलना माना जाता है तो जुआ खेलने वाले लोगों को परेशान ना किया जाए। शहर के एक बहादुर थानाधिकारी सर्वाधिक परेशान हैं दिवाली के दिनों में इनके इलाके में सर्वाधिक जुआ खेला जाता है। खाकी बहादुर को समझ में नहीं आ रहा कि आला खादीधारियों की सुने या आला खाकीधारियों की। थानाधिकारी जी तो अपने से बड़ी एक खाकीधारी मैडम से भी परेशान हैं। ये मैडम हमेशा जुआरियों को पकड़ने को उतावली रहती हैं और मौका पाते ही उन पर झपट पड़ती हैं। 

ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना..
गुलाबी नगर से खाकी मुख्यालय ने जब बरसों से एक ही संभाग व एक ही जिले में डेरा जमाये बैठे खाकीधारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का फरमान जारी किया तब से तीन तारों वाले कई खाकीधारियों को दिन में कई-कई तारे दिखाई देने लगे। कुछ होशियार खाकीधारियों ने तो अपने एक संभाग या जिले में बितायें सैकंड, मिनट, घंटे, दिन, महीने, साल का बारीकी से हिसाब-किताब जोड़कर अपने एक ही स्थान पर और जमे रहने का जुगाड़ बिठा लिया। आला खाकीधारियों को लिखित जवाब में इन खाकीधारियों में से किसी ने बताया कि जी मैं तो कई सालों तक जिप्सम महकमे की  भी  खाक छानता फिरा था इसलिये अभी बाहर जाने का मेरा समय नहीं आया है। किसी ने बताया कि जी मैं तो वर्तमान जिले में काम के दौरान बीच में दूसरे जिले में भी पोस्टेड हुआ था। सुना है कुछ खाकीधारियों ने तो पॉलीसी से बचने के लिये वर्तमान संभाग व जिले में बिताये दिनों में कामचोरी के सैंकड, मिनट, घंटे व दिन को जोड़कर भी मूल वर्षों में से इनको घटाकर रहने का बंदोबस्त करने की तैयारी की थी वो तो आलाखाकीधारी सब जानते हैं इसलिये ऐसों की चली नहीं। 

कौन जाएगा लॉयन या टाइगर
आला खाकीधारियों के तबादले की सूची अब आई तब आई के मुहाने पर है। पुलिय मुख्यालय से लेकर थाना और चौकियों में खाकीधारियों के दिन कटाई का साधन वर्तमान में सूची ही बनी हुई है। जांगळ देश के खाकीधारी इस बात पर अधिक चर्चा करते हैं कि इस बार की सूची में लॉयन बदलेगा या टाइगर। जिन लोगों ने पिछली बार की सूची में लॉयन के जाने की छाती पीट कर घोषणा की थी वे इस समय चुप हैं। हालांकि हवा यही बता रही है कि इस बार लॉयन की विदाई जांगळ देश से होनी तय है मगर जुआ व सट्टा वाली इस नगरी में लोग खाने और बाने दोनों का काम करते हैं इसलिये कईयों ने वर्तमान टाइगर की विदाई की घोषणा पर भी दांव लगाया हुआ है। अब तो समय ही बतायेगा कि इस बार की सूची में लॉयन नया आयेगा या  एक बार फिर टाइगर की ही विदाई होगी। ऐसे चर्चा बाजों को पिछले एक पखवाडे से सूची का इंतजार है। 

लक्ष्य जो पूरा करना है
टाइगर ने थानाधिकारियों को जुआरियों-सटोरियों को पकड़ने का टारगेट दे दिया है। थानेदारजी लग गए टारगेट पूरा करने में। शहरी क्षेत्र से थोड़ा दूर के एक थाना इलाके में खाकीधारियों को कुछ जुआरी जुआ खेलते दिखे। जब तक खाकीधारी उनको पकड़ने दौड़ते जुआरी खुद ही दौड़ लिये। एक जुआरी खाकीधारियों के हाथ लग ही गया। अब क्या करें। एक आदमी को जुआ खेलते पकड़ा कैसे बताये तो उसे सट्टा पर्ची के आरोप में धर लिया। टारगेट पूरे करने के लिये सब करना पड़ता है। ऐसे ही बिना मेहनत के कोई सभी टारगेट पूरे थोड़े ही हो जाते हैं।

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