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श्रीगंगानगर : रेलवे ट्रैक मिला लेकिन रेल नहीं,पाँच साल से सरायरोला के सहारे सफर,तोहफों को तरसती जनता


राजस्थान । गजसिंहपुर ( जर्नलिस्ट सुरेन्द्र गौड़ ,फोटो ग्राफर  फ़तेह सागर ) 
श्रीगंगानगर से सरूपसर तक अमान परिवर्तन हुए करीब 5 वर्ष होने को है लेकिन इस ट्रेक पर मात्र पैसेंजर गाड़ियां ही दौड़ रही है । लंबी दूरी की ट्रेन के नाम पर मात्र इकलौती सरायरोला गाड़ी ही इस रेलवे ट्रैक को मिली है ।

 सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में इन 5 वर्षों में केंद्र सरकार ने कोई भी लंबी दूरी की रेल सुविधा ने देकर इस क्षेत्र के प्रति बेरुखी दिखाई है।  हालांकि इस क्षेत्र में सांसद निहालचंद मेघवाल केंद्र सरकार में मंत्री का दर्जा लेकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं लेकिन मंत्री काल में वह इस क्षेत्र के लिए कोई भी सुकून भरा कोई भी तोहफा नहीं ले पाए,, इस बात क रोष  आज भी श्रीगंगानगर की जनता के सिर चढ़कर बोल रहा है।


जनता का मलाल है कि उन्होंने भाजपा के एजेंडे और दिखाए  सपनों पर  भरोसा  करते हुए भारी बहुमत से केंद्र में और राज्य में भाजपा सरकार को चुनाव किया ।  लेकिन इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि सत्ता की कुर्सी पर काबिज होते ही जनता को भूल बैठे और समस्याओं से मुंह फेर गए ।  इसीलिए क्षेत्र की जनता सुविधाओं के लिए सड़कों पर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो चुकी है और मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है ।


अमान परिवर्तन के बाद करणपुर गजसिंहपुर रायसिंहनगर जैतसर केसरीसिंहपुर इत्यादि रेलवे स्टेशनों पर वांछित सुविधाएं तक नहीं है । यहां अमान परिवर्तन के समय करवाया गया निर्माण कार्य बिखरता नजर आ रहा है ,कहीं भी अंडर ब्रिज या ओवर ब्रिज नहीं है जिससे आवागमन के साथ साथ सैन्य वाहनों को भी ट्रेन गुजरने के उपरांत रेल गेट खुलने के बाद ही सीमा की ओर सीमा की ओर रवाना होना पड़ता है जो अत्यंत चिंताजनक विषय है ।


  नागरिकों द्वारा कई बार लंबी दूरी की रेल के लिए जनप्रतिनिधियों के समक्ष दुखड़ा रोया गया । किंतु कोई सुनने वाला नहीं आज भी श्री गंगानगर से सूरतगढ़ रेलवे ट्रैक के मध्य है मात्र पैसेंजर गाड़ी और एक लॉलीपॉप के रूप में सराय रोला दिल्ली के लिए गाड़ी चलाई गई है जो क्षेत्र की जरूरत को देखते हुए उनकी आकांक्षाएं पूरी नहीं करती।


क्योंकि इस क्षेत्र के लोगों का अधिकतर जुड़ाव पंजाब या राजस्थान के अन्य स्थानों से जुड़ा हुआ है और वहां जाने के लिए कोई रेल इस ट्रेक पर उपलब्ध नहीं है। रेलवे असुविधाओं से ग्रसित यहां के लोग स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और उस समय को कोस रहे हैं जिस वक्त उन्होंने कमल पर अपना विश्वास व्यक्त कर सत्ता की लगाम एक ऐसे जनप्रतिनिधियों को सौंप दी जिन्हें इस क्षेत्र की समस्याओं का जरा भी ध्यान नहीं है

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