मुख्यमंत्री को पेश करनी चाहिए नई मिसाल.......
माननीय मुख्यमंत्री जी ! आप पत्रकारो के सब्र का इम्तिहान नहीं लेना चाहिए ।
पत्रकारो की ऐसी नाजायज मांग नही है, जिसे पूरा नही किया जा सके ।
आप पिछले कई वर्षों से पत्रकारो को आश्वस्त करती आ रही है कि पत्रकारो की न्यायोचित मांग अविलम्ब पूरी कर दी जाएगी । क्या आपकी मंशा नही है मांगो को मानने की या फिर अधिकारी लोग आपके आदेश की अवहेलना कर रहे है ?
पत्रकारो को जिस भी सियासतदान ने कमजोर समझने की भूल की, उसे इसका खामियाजा भुगतना ही पड़ा है।
आपको भी पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने सदाशयता का परिचय देते हुए आवास समस्या सहित अनेक मांगो को मानकर अपना कद ऊंचा बढ़ाया । लोकतंत्र तभी सेहतमंद रह सकता है जब मीडिया को बुनियादी सुविधा मिले । आपका तर्क हो सकता है कि पत्रकारिता में फर्जी लोगो का बोलबाला होगया है, यह बात स्वीकार है । लेकिन सरकार ऐसे फरजियो की भी तो छटाई कर सकती है ।
हकीकत यह भी है कि सूचना और जन सम्पर्क विभाग का पत्रकारो से नाता टूटता जा रहा है और वहां अफसरशाही हावी है ।
निदेशक, संयुक्त निदेशक और अतिरिक्त निदेशक पत्रकारो से बात करना अपनी तौहीन समझते है । लोकतंत्र के लिए ये खतरे का संकेत है ।
जब राजधानी में ही पत्रकार धरना दिए बैठे है तो प्रदेश की हालत को आप बखूबी समझ सकती है ।
यह अहंकार की नही, उन पत्रकारो की बुनियादी मांगो का सवाल है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर जनता को हर कीमत पर खबर पहुचाने का जज्बा रखते है ।
मेरा सभी पत्रकार साथियो की ओर से आग्रह है कि 4 साल के मुबारक मौके पर सारे गिले-शिकवों से परे हटकर पत्रकारो की जायज मांग मानकर एक मिसाल पेश करे ।
वन्देमातरम, जय हिंद।
अवस्थी बी के ✍🏻
माननीय मुख्यमंत्री जी ! आप पत्रकारो के सब्र का इम्तिहान नहीं लेना चाहिए ।
पत्रकारो की ऐसी नाजायज मांग नही है, जिसे पूरा नही किया जा सके ।
आप पिछले कई वर्षों से पत्रकारो को आश्वस्त करती आ रही है कि पत्रकारो की न्यायोचित मांग अविलम्ब पूरी कर दी जाएगी । क्या आपकी मंशा नही है मांगो को मानने की या फिर अधिकारी लोग आपके आदेश की अवहेलना कर रहे है ?
पत्रकारो को जिस भी सियासतदान ने कमजोर समझने की भूल की, उसे इसका खामियाजा भुगतना ही पड़ा है।
आपको भी पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने सदाशयता का परिचय देते हुए आवास समस्या सहित अनेक मांगो को मानकर अपना कद ऊंचा बढ़ाया । लोकतंत्र तभी सेहतमंद रह सकता है जब मीडिया को बुनियादी सुविधा मिले । आपका तर्क हो सकता है कि पत्रकारिता में फर्जी लोगो का बोलबाला होगया है, यह बात स्वीकार है । लेकिन सरकार ऐसे फरजियो की भी तो छटाई कर सकती है ।
हकीकत यह भी है कि सूचना और जन सम्पर्क विभाग का पत्रकारो से नाता टूटता जा रहा है और वहां अफसरशाही हावी है ।
निदेशक, संयुक्त निदेशक और अतिरिक्त निदेशक पत्रकारो से बात करना अपनी तौहीन समझते है । लोकतंत्र के लिए ये खतरे का संकेत है ।
जब राजधानी में ही पत्रकार धरना दिए बैठे है तो प्रदेश की हालत को आप बखूबी समझ सकती है ।
यह अहंकार की नही, उन पत्रकारो की बुनियादी मांगो का सवाल है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर जनता को हर कीमत पर खबर पहुचाने का जज्बा रखते है ।
मेरा सभी पत्रकार साथियो की ओर से आग्रह है कि 4 साल के मुबारक मौके पर सारे गिले-शिकवों से परे हटकर पत्रकारो की जायज मांग मानकर एक मिसाल पेश करे ।
वन्देमातरम, जय हिंद।
अवस्थी बी के ✍🏻
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