Advertisement

Advertisement

आहा......, से आह....., तक


वो, अफसाना... जिसे, अंज़ाम तक, लाना न हो मुमकिन।
उसे खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा ।।


मित्रों,

मेरा कसूर क्या है  ? बताओ .... ना प्लीज !


माना किसी के घर मे शादी या समारोह हो, जश्न में सभी रिश्तेदारों से लेकर लल्लू-पंजू तक को बुलाया जाए । लेकिन घर के मुखिया का शरीक नहीं होना तो दूर, उसको बुलाने तक की औपचारिकता भी नही निभाई जाए तो उस मुखिया के दिल पर क्या बीतेगी.....?
सहज ही पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है ।

जी हां, लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा को विकसित करने के लिए अपने जीवन के कई साल स्वाहा कर दिए । वे वाजपेयीजी से भी वरिष्ठ नेता है । लेकिन पी एम नरेंद्र मोदी ने गुजरात मे प्रचार के लिए हर ऐरे, ग़ैरे, नत्थू खैरे को बुलाया । लेकिन भा ज पा के वरिष्ठतम आडवाणी जैसे वयोवृद्ध नेता को नही बुलाकर उनके दिल पर एक और वज्रपात किया किया है।

आडवाणी जी, गुजरात के गांधीनगर से सांसद है । सिंधीयो के अलावा उनका हर वर्ग में अच्छा प्रभाव है । बावजूद इसके आडवाणीजी की उपेक्षा कर मोदी ने अपनी घृणित और औछी मानसिकता का परिचय दिया है ।
देश, में संभवत मोदी अकेले ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्होंने अपने गुरु को गुरुदक्षिणा में अंगूठा देने के बजाय गुरु को ही अंगूठा दिखा दिया ।
ऐसी घटिया मानसिकता का भारतीय राजनीति में दूसरा उदाहरण देखने को नही मिलेगा । पद से कोई व्यक्ति महान नही बनता है ।
महानता के लिए वैचारिक शुद्धता आवश्यक है । मोदीजी ने यह साबित कर दिया है कि विचारों की शुद्धता के लिए उनके पास कोई स्थान नही है ।

जो इस धरती पर आया है उसका जाना सुनिश्चित है । कल आडवाणी जी का निधन हो जाता है तब सबसे ज्यादा मोदी ही अपनी नौटंकी के माध्यम से रोना-धोना करेंगे ।
इसे ही राजनीति कहते है । और मोदी इसमें सिद्धहस्त है ही ।
आडवाणी जी का कसूर केवल इतना ही है कि गोवा अधिवेशन में मोदी का विरोध किया था । राजनीति में विरोध, आलोचना करना स्वाभाविक प्रक्रिया है । लेकिन कोई बदले की भावना से इतना नीचे गिर जाए, इससे शर्मनाक स्थिति हो ही नही सकती ।
नीतीश कुमार ने भी पहले मोदी को निकृष्ट और फरेबी बताया था ।
हिम्मत है तो नीतीश से नाता तोड़कर दिखाए । नीतीश से इलू इलू और आडवाणी पर वज्रपात क्यो.......?

सबसे पहले अपनों का सगा होना आवश्यक होता है, और जो अपनों का सगा न हो सका वह गैरों का क्या होगा। यह एक कहावत भी चरितार्थ है..........!

अब, तुम्हारे हवाले वतन साथियों........

अवस्थी बी के ✍🏻

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement