जन का तंत्र, गण का तंत्र,
संविधान में है, मन का तंत्र !
हर भारतवंशी को प्रिय,
अपना प्यारा लोक तंत्र !
विश्व विख्यात, सबसे विशाल,
धाराओ सहित है सुलिखित !
इसके निर्माण से लेखनी तक,
विशेषताएं हैं अपरिमित !
दिन विशेष ये, स्मृत करने को,
अंबेडकर निर्मित संविधान !
भूल नहीं सकते मगर ,
सरदार पटेल का योगदान !
गुलामी की जंजीरों से जकड़ा,
कठिन दौर था गुजर गया !
निज स्वतंत्रता का गर्व भाव ,
हर उर में संविधान भर गया !
अक्षुण रहे ये भाव स्वतंत्रता,
अक्षुण रहे ये भाव राष्ट्रीयता !
एकता, अखंडता, धर्म निरपेक्षता,
सिखाती सबको भारतीयता !
निज संस्कृति पर हमको गर्व है,
स्वाधीनता ही राष्ट्रीय पर्व है !
स्वहित से बढक़र सर्व हित है,
मशाल सौहार्द की प्रकाशित है !
देश है मेरा रण बांकुरों का ,
अब भी सीमा पर तैनात हैं !
सन्देश अमन का फैलाते हैं,
मगर दुश्मन पर सिंहनाद हैं !
स्वाधीनता संग्राम में जो हुई,
आज नमन है प्रत्येक शहादत को !
हमें आजादी की नेमत दे कर,
महान बनाया अखण्ड भारत को !
कहता है संविधान सभी से,
अपने राष्ट्र चिन्हों का सम्मान करो !
भारतीय होने के गौरव को समझो,
देश पे नाज करो, अभिमान करो !
नीलम अरोड़ा, जयपुर।
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