लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कासगंज हिंसा को दर्दनाक करार दिया और इस घटना को उत्तर प्रदेश के माथे का कलंक भी बताया। राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार इस मामले की तह तक जाकर जांच करे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए की कानून व्यवस्था को दुरूस्त रखे, जिससे ऐसी घटनाएं ना हो। नाईक ने कहा कि तिरंगा यात्रा के नाम पर ऐसी घटना प्रदेश के लिए शर्मनाक है। कासगंज हिंसा पर सरकार उचित कार्यवाही करे। जिससे आगे ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
उन्होंने कहा कि कासगंज में जो हुआ वह हम सभी के लिए शर्म की बात है। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे कहीं और ऐसी घटना ना हो सके। उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कासगंज हिंसा में मारे गए चंदन गुप्त के परिजनों को 20 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का निर्देश दिया है।
वहीं जिलाधिकारी आर.पी. सिंह ने बताया कि कासगंज में हालात सामान्य हैं। रविवार रात एक मकान में आग लगने की घटना का पता चला था, हालांकि आग शार्ट सर्किट की वजह से लगी थी। पिछले 36 घंटे के दौरान शहर में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। मामले के आरोपियों की धरपकड़ जारी है। सिंह ने बताया कि वारदात में मारे गये युवक के परिवार को आज 20 लाख रुपये का चेक दिया गया। इस दौरान परिजन ने युवक को शहीद का दर्जा दिये जाने की मांग की।
जिला प्रशासन ने कहा कि परिवार सरकार को अगर सम्बंधित मांगपत्र दे तो उसे शासन के पास भेज दिया जाएगा। हालांकि अभी तक कोई पत्र नहीं मिला है। इस बीच, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने घटना को साजिश का नतीजा बताते हुए इसकी जांच उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से कराने की मांग की। उन्होंने कासगंज की हिंसा को पूरी तरह प्रदेश सरकार की नाकामी करार दिया।
कासगंज हिंसा को लेकर विपक्ष के निशाने पर आयी प्रदेश की भाजपा सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष ने हमेशा तुष्टीकरण का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि सपा के शासनकाल में एक जाति विशेष के लिये ही नौकरियां बनती थीं। धर्म विशेष के लोगों पर मुकदमे नहीं दर्ज होते थे। बसपा ने भी कोई अलग परिचय नहीं दिया। सपा बसपा जब भाजपा सरकार पर उंगली उठाते हैं तो उनकी बाकी की उंगलियां उनकी तरफ ही इशारा करती हैं
सपा के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने इस घटना को सरकार के अंदर चल रही 'उठापटक' से जुड़े होने का शक जाहिर करते हुए कहा कि इससे साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश में सरकार और कानून नाम की चीज नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले हिन्दू-मुस्लिम के बीच फसाद कराने की साजिश रची गयी है।
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