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सरकार बेटीयों के लिए तुगलकी फरमान वापिस ले-टिम्मा

अपने हिन्दू वीरों के नाम खुला पत्र ---टिम्मा
आज अपने वीरों को खत लिखने के लिए मुझे संबोधन की भी कमी महसूस होने लगी। बचपन से ही राजस्थान में रहने के कारण राजस्थान के वीरों की शौर्य गाथा सुनता आ रहा हूँ। कि किस तरह अपने स्वाभिमान की खातिर अपनी बहू-बेटियों की इज्जत खातिर राजस्थानी  जान की बाज़ी लगा देते थे जौहर भी इसी की ही एक कड़ी रही है। पर आज उन जांबाज़ वीरों के लिए मुझे संबोधन की कमी आ रही है क्योंकि आज वो खामोश है। खामोश भी नहीं बल्कि नियमों का हवाला देकर  मूक तमाशा देख रहे है। वो देख रहे है कि सरेआम उनकी धार्मिक मान्यता के खिलाफ उनकी बहु-बेटियों के गलों से मंगलसूत्र उतारा जा रहा है। बचपन से हिंदी फिल्मे देखता आया हूँ कि हिन्दू नारी मरना तो कबूल कर लेती है पर मंगलसूत्र नहीं  उतारने देती। पर यहां सिर्फ मंगलसूत्र ही नहीं सुहाग का हर चिन्ह उतारा जा रहा है। हमारे राजस्थान में होने वाले हर एग्जाम में यही तो हो रहा है। बेटी पूरी आस्तीन की कमीज पहनकर नहीं आ सकती। मानवता इंसानियत उस वक्त कराह उठती है जब सैंकड़ों मर्दों की मौजूदगी में उस बेटी को मजबूर किया जाता है कि वो अपनी कमीज चेंज करे। आर्थिक मंदहाली का शिकार वो बेटी वहीं पर ही एक दूसरी बेटी की चुनरी की ओट लेकर वहीँ पर ही अपनी कमीज बदल लेती है दूसरे दिन वो तस्वीरें राज्य स्तरीय अख़बारों का सिंगार बनती है। जिनके पास दूसरी कमीज नहीं होती वहां सरकारी मुश्टण्डे खड़े होते है जो फटाफट कैंची लेकर कंधो से कमीज को काट देते है चुनरी भी उतार देते है। शर्म,लाज,हया जिस औरत का गहना होता है वो लज्जाई  सकुचाई अपने शरीर को छुपाती हुई पेपर देने भागती है। कुछ नीच गलीच लोग मंद मंद मुस्कराते अपनी गंदी जहनियत का प्रगटावा कर रहे होते है। ये तमाशा देख अपनी बेटी,बहन,बीवी को छोड़ने आया व्यक्ति खून के आंसू रोता वापिस चल पड़ता है------ बस इसी बात को लेकर आज खुला खत लिखने को विवश हुआ हूँ। कि भाई लोगो ये कमजोरी ये कायरपन क्यूँ,क्यूँ जिल्ल्त और नामोशी की ज़िंदगी जी रहे हो। कोई भी तुगलकी फरमान हमारी बहू-बेटियों की इज्जत से ज्यादा हो गया। कल को कोई सिरफिरा अधिकारी फरमान जारी करता है कि सलवार कमीज -साडी या पेंट शर्ट से भी नकल हो सकती है सभी अधोवस्त्रों में पेपर देने आएं क्या हमे मंजूर होगा। नकल रोकनी है तो कानून सख्त बनाओ ,लोगों की सोच बदलो। दुबई में बड़ी बड़ी ज्वेलर्स की दुकानों के शटर शीशे के लगे है फिर भी कोई चोरी नहीं होती। कोई कर भी ले तो सात पुश्तें याद रखती है कि हमारे घर किसी ने चोरी की थी। रब दा वास्ता है बोलो खुलकर बोलो ---- जात-पात. धर्म राजनीती पार्टी बाज़ी से ऊपर उठकर बेटियों के लिए बोलो।  एक लड़ाई लड़ो। सरकार को मजबूर कर दो कि वो तुगलकी फरमान वापिस ले। आज के ये आदेश मुगलकाल की याद ताज़ा करवा देते है जब आदेश होते थे कि अगर किसी मुसलमान ने थूक फेंकनी है तो अगर नज़दीक कोई हिन्दू खड़ा है तो वो अपना मुंह खोल ले ताकि थूक फैकते वक्त मुसलमान को कोई तकलीफ ना हो। किसी को जलील करके अपमानित करके अगर सरकार किसी को दो रोटी का जुगाड़ देती है तो लाहनत है ऐसी सरकार पर। और अफ़सोस है उन पर जो सहन कर रहे है। अरे यारो कुछ तो बोलो। पूरे विश्व की यात्रा करने वाली सरकार डिजिटल इंडिया की बात कर रही है और आदेश पाषाण युग के निकाल रही है। बात सिर्फ हिन्दू वीर  की नहीं है सिख कौम को भी इसी तरह अपमानित करने की साज़िशे की जा रही है पर जागदी जमीर कौम ने लड़ाई लड़ी। सरकार को झुकाया भी। पर जब साथ मिलकर लड़ेंगे तब हमारी बेटी को, बहू को, बहन को एक सम्मान मिलेगा जिसकी वो हक़दार है जो हम सब की इज्जत है। इस लिए लामबद्ध हो जाओ सरकारों को अहसास करवा दो कि हम ज़िंदा ज़मीर के लोग है अणख, गैरत और स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं कर सकते। एक आशा के साथ समाप्ति कर रहा हूँ कि बेटियों के सम्मान के लिए अब आप आगे आओगे---- तेजिंदर पाल सिंह टिम्मा कन्वीनर सिख एडवाइज़री कमेटी राजस्थान।

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