पंजाब से राजस्थान को अपने हिस्से का पूरा पानी मिले
सांसद निहालचंद ने संसद में उठाया मुद्धा।
निहालचंद ने लम्बित परियोजनाओं का भी मुद्धा उठाया
श्रीगंगानगर, 9 अगस्त। पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री एवं सांसद निहालचंद ने गुरूवार को पंजाब से राजस्थान को अपने हिस्से का पूरा पानी मिले, इस मुद्धे को संसद में जोरदार तरीके से रखा साथ ही बीबीएमबी में राजस्थान का सदस्य शामिल करने पर जोर दिया।
उन्होने संसद में बोलते हुए कहा कि अन्तर्राज्य जल समझौता 29 जनवरी 1955 को हुआ और राजस्थान प्रदेश को अपने हिस्से का पानी 8.6 एमएएफ मिलना तय हुआ। हरियाणा व पंजाब प्रथक राज्यों के बनने के बाद से राजस्थान को अपने हिस्से का पूरा पानी नही मिला। 13 जनवरी 1959 को राजस्थान व पंजाब के बीच सतलुज नदी के पानी को लेकर समझौता हुआ।फिर भी राजस्थान को हिस्से का पूरा पानी नही मिला। 31 दिसम्बर 1981 को तत्कालीन प्रधानमंत्रा श्रीमती इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में राजस्थान व पंजाब के मुख्य मंत्रियों के बीच समझौता हुआ। जिसमें सतलुज नदी का पानी राजस्थान को देने का समझौता हुआ। उन्होने कहा कि पंजाब आज भी राजस्थान को पूरा पानी नही दे रहा है। अन्तर्राज्य जल समझौते के अनुसार राजस्थान को .6 एमएएफ पानी आवंटित हुआ था, परन्तु पंजाब आज भी 8 एमएएफ पानी भी राजस्थान को नही दे रहा है। उन्होने कहा कि किसी भी किसान का जीवन पानी के बिना यापन होना असंभव है। 24 जून 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तीनों (राजस्थान, पंजाब व हरियाणा) राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में राजस्थान को पूरा पानी (8.6 एमएएफ) देने का आश्वासन दिया था, परन्तु आज तक पूरा पानी नही दिया गया।
उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि इस मामले में मध्यस्ता कर पंजाब से पूरा पानी राजस्थान प्रदेश को दिलवाने में मदद करे एवं आज तक भाखड़ा व्यास प्रबन्धन बोर्ड में पंजाब व हरियाणा का सदस्य ही नामित हुआ है।राजस्थान से एक बार भी सदस्य नामित नही हुआ, जबकि समझौते के अनुसार ऐसा होना चाहिए था। उन्होने कहा कि राजस्थान का सदस्य भी भाखड़ा व्यास प्रबन्धन बोर्ड (बीबीएमबी) में नामित हो, ऐसा केन्द्र सरकार से आग्रह है।
श्री निहालचंद द्वारा जल संसाधन मंत्रा श्री नितिन गडकरी से सीएडीडब्ल्यूएम (कमाण्ड एरिया डवलपमेंट एण्ड वाटर मैनेजमेंट) के स्थान पर प्रधानमंत्रा कृषि सिंचाई योजना के अनर्त्गत शुरू की गई नई योजना आईएसबीआईजी (इंसेंटीविजन स्कीम फोर ब्रिडिंग इरिगेशन गेप) के बारे में सवाल पूछा। सांसद द्वारा पूछा गया कि सीएडीडब्ल्यूएम योजना के अन्तर्गत राजस्थान प्रदेश में लगभग 7 प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए थे और नई योजना के शुरू होते ही ये प्रोजेक्ट केन्द्रीय सहायता न मिल पाने के कारण रूक गई। प्रदेश सरकार द्वारा लगभग 4423.74 करोड़ रूपये के 7 प्रोजेक्टों को अनुमोदन हेतु केन्द्रीय जल आयोग को भेजा गया था।जो कि अभी स्वीकृत नही हुआ। पूछे गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय मंत्रा श्री नितिन गडकरी ने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकर के गठन के बाद से सिंचाई व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है और पहले के मुकाबले ज्यादा पैसा राज्यों को दिया जा रहा है और राजस्थान प्रदेश के प्रोजेक्ट मंत्रालय द्वारा स्वीकृत होकर कैबिनेट के अनुमोदन के इन्तजार में है, जो कि जल्द से जल्द अनुमोदित कर दी जाएगी।
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