नई दिल्ली। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने उन मीडिया ख़बरों पर जिनमें कहा गया है की सरकार ई कॉमर्स पर लाने वाली पालिसी को अब न लाने का निर्णय कर रही है, पर आज गहरा एतराज जताते हुए कहा की यह एक बेहद ही घातक कदम होगा जिसका सीधा सन्देश जायेगा की सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं ऑनलाइन कंपनियों के दबाव के आगे झुक गई है।
ये कंपनियां भारत के रिटेल व्यापार को अपने निहित स्वार्थों के कारण एक खुला मैदान बने रहने देना चाहती है। कैट ने कहा है की देश के व्यापारी इस पर अपना कड़ा विरोध दर्ज़ कराएंगे और सरकार को बिना किसी दबाव के पालिसी को तुरंत लाना चाहिए। पालिसी का न आना देश के व्यापारियों को कतई स्वीकार नहीं है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को आज भेजे एक पत्र में कैट ने कहा की भारतीय ई कॉमर्स बाज़ार बहुत तेजी से साइज और स्केल में फ़ैल रहा है जिसको खुला नहीं छोड़ा जा सकता और इसलिए ई कॉमर्स के लिए एक निश्चित पालिसी और एक रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन की बेहद आवश्यकता है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की ई कॉमर्स पर पालिसी पहले ही तीन साल से अधिक समय की देर से आ रही है और यदि इस पालिसी को नहीं लाया गया तो यह ई कॉमर्स में स्वस्थ व्यापार के लिए एक बड़ा झटका होगा और ई कॉमर्स कंपनियों को लागत से भी काम मूल्य पर माल बेचने, भारी डिस्काउंट देने तथा एक असमान प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाने में मदद मिलेगी और वो खुल कर अपना खेल खेलेंगे।
यह एक सर्वविदित तथ्य है की गत अनेक वर्षों से देश के ई कॉमर्स व्यापार में अनेक प्रकार की विसंगतियां और खराबियां ई कॉमर्स पोर्टल द्वारा अपने फायदे के लिए की गई हैं जिसके कारण से ई कॉमर्स व्यापार बुरी तरह विषाक्त हो गया है।
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