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अंतरराष्ट्रीय वास्तु विज्ञान सेमिनार का प्रतिनिधित्व गोयल ने किया।






श्रीगंगानगर। नई दिल्ली में हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के वास्तु विज्ञान सेमिनार में स्थानीय वास्तु इंजीनियर एवं वास्तु शास्त्री पवन के गोयल ने प्रतिनिधित्व किया। यह सेमिनार डॉ.विक्रमादित्य वास्तु विज्ञान निदेशक की ओर से 15 से 19 सितम्बर तक आयोजित किया गया था। दिल्ली से लौटे गोयल ने बताया कि इस सेमिनार में देश- विदेश के 37 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका से क्रांति कुमार, कनाडा से मुनीरा खरबेटा, कोलकाता से समीर सिरदे, इलाहाबाद से ओमप्रकाश, गुडग़ांव से जगृति अटरी व संगीता जैन, हैदराबाद से डॉ. रवि कुमार, डॉ.ममले पाठक, चौधरी निधि, विशाखापट्टनम से एन रघुपति राजू, चंडीगढ़ से सुमन व रिशव देव, मुकेश शर्मा, अमनदीप सिंह ने भाग लिया। इस सेमिनार में डॉ. विक्रमादित्य ने वास्तु विज्ञान में लेकर अंटीना, एल राड, पैल्डूलम, लेजर एन्टीना यंत्रों व 45 देवता का जोन अनुसार  प्रशिक्षण दिया। इस मौके पर संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि आज के आधुनिक समय में वास्तु के  नियम हर कार्यस्थल पर एकसे लागू नहीं होते। अलग- अलग प्रकार के कार्यस्थल पर उनके अनुसार ही जोन पर वास्तु लागू होते हैं। वास्तु शास्त्र आज विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है, जो चुंबकीय प्रवाहें, वायु, सूर्य की उर्जा पर आधारित है। इसे वैज्ञानिकों ने भी एकमत से स्वीकार किया है। सेमिनार में इस बात पर भी जोर दिया कि ‘दिशाएं मानव की दशा बदल देती है।’ गोयल वर्ष 1982 से कार्य कर रहे हैं तथा उन्होंने वास्तु विज्ञान विषय पर छह पुस्तकें भी लिखी है। इस सेमिनार में गोयल को विशेष रूप से सम्मानित भी किया गया।

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