नई दिल्ली(जी.एन.एस) नोटबंदी पर खड़ा हुआ विवाद अभी थमा नहीं है। आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया गया है कि कुल 15.44 लाख करोड़ में से 13,000 करोड़ नोट बैंकों में वापस नहीं आए हैं। हालांकि यह अमाऊंट थोड़ी है लेकिन यह सभी प्रतिबंधित मुद्रा है और इनमें करीब 9 हजार करोड़ के नोट तो अकेले नेपाल में ही हैं। भारत सरकार नेपाल के रॉयल बैंक या अन्य संस्थानों में पड़े इन पुराने नोटों को स्वीकार नहीं कर रही है। इस संबंधी भारत और नेपाल के बीच विवाद खत्म नहीं हुआ है।
आर्थिक मामलों के सचिव एस.सी. गर्ग ने भी स्वीकार किया है कि दोनों देशों के बीच पैदा हुआ यह विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है और इस पर अभी फैसला लेना बाकी है। इस समस्या के समाधान के लिए नेपाली राजदूत दीप कुमार उपाध्याय भारतीय अधिकारियों और यहां तक कि सुषमा स्वराज से भी मुलाकात कर चुके हैं। पिछले 10 सालों से नेपाल हर साल करीब 600 करोड़ की करंसी खरीद रहा है। अब नेपाल में यह करंसी अछूत हो गई है। यही नहीं, भूटान का मामला भी कुछ ऐसा है। यह पड़ोसी मुल्क भी भारतीय करंसी के सहारे ही है। इसलिए अब इस बात की संभावना बनती दिख रही है कि हो सकता है कि आर.बी.आई. अधिक मुद्रा छापे लेकिन दिखाए कम।
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