आगामी लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होने तथा मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलगांना में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही गुजरात से उत्तर प्रदेश और बिहार के लगभग बीस हजार जनमानस का पलायन भाजपा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। चुनावी सर्व में मध्यप्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की गिरती साख पर यह पलायन बड़ी मुहर लगा सकता है। गुजरात के साबरकांठा जिले में बीते सप्ताह एक बच्ची से बलात्कार के मामले में अभियुक्त की गिरफ्तारी के बाद बीते दो-तीन दिनों में जिस तरह माहौल खराब कर राज्य के कई इलाकों में बसे बिहार-यूपी के लोगों को निशाना बनाया गया, यह भीड़तंत्र के कानून हाथ में लेने की बढ़ती प्रवृत्ति का एक और उदाहरण है।
वहां जिस तरह अराजक तत्वों ने आतंक फैलाया और बिहार-यूपी के प्रवासियों को ढूंढ़-ढूंढ़कर निशाना बनाया, उसके बाद स्वाभाविक था कि डरे-सहमे लोग पलायन करते और यही हुआ। गांधीनगर, अहमदाबाद, मेहसाणा, पाटन व साबरकांठा जैसे इलाकों से लोग काम-काज छोड़कर परिवार के साथ पलायन करने लगे। उत्तर भारतीयों पर हमले में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां भी हुईं, इसके बावजूद लंबे समय से वहां रहकर रोजगार या नौकरी कर रहे उत्तर भारतीय लोगों में भय का माहौल है। यह सब एक 14 माह की बच्ची से बलात्कार के आरोप में बिहार के एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के साथ शुरू हुआ। सोशल मीडिया की सक्रियता ने ऐसे घृणास्पद संदेश फैलाए कि अचानक गैर-गुजराती, खासकर बिहार-यूपी वाले निशाने पर आ गए और उन्होंने वहां से बचकर भागना शुरू कर दिया। पुलिस ने भी फितरतन शिथिलता बरती और सच्चाई ढकने के लिए त्योहारी सीजन में लोगों के घर जाने का शिगूफा भी छोड़ा, जिसने असुरक्षा-बोध को और बढ़ाया। हालांकि जल्द ही हकीकत स्वीकार कर गैर-गुजरातियों की रिहाइश वाले इलाकों और उन कारखानों की सुरक्षा बढ़ा दी गई, जहां ये काम करते हैं।
प्रशासन अब भले ही कह रहा हो कि सख्ती के बाद पलायन रुक गया है, लेकिन यह सब अपने आप में कई बड़े सवाल छोड़ गया है।.गुजरात में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों पर हमले के बाद उनके पलायन को देखते हुए राज्य के औद्योगिक इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। इस मामले में सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच राज्य सरकार ने सोमवार को उनसे लौटने की अपील की। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने लोगों से हिंसा में शामिल नहीं होने की अपील की। वहीं राज्य सरकार ने प्रवासियों को सुरक्षा का आश्वासन देते हुए कहा कि हमलों के संबंध में 431 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 56 प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं। उधर रूपाणी ने दावा किया कि पिछले 48 घंटों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने स्थिति पर काबू पा लिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस के गहन प्रयासों के कारण स्थिति नियंत्रण में है औैर पिछले 48 घंटों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुयी है। उन्होंने राजकोट में संवाददाताओं से कहा, हम कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और परेशानी की स्थिति में लोग पुलिस को बुला सकते हैं। हम उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएंगे।इस मसले पर उत्तर प्रदेश और बिहार के मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने रूपाणी से बात की और हमलों को लेकर चिंता जतायी।
उत्तर भारतीय विकास परिषद के अध्यक्ष महेशसिंह कुशवाह ने दावा किया कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के करीब 20 हजार लोग गुजराज से बाहर चले गए हैं। इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के एक नेता ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि गुजरात में बिहार के लोगों के खिलाफ हिंसा के लिए उनकी पार्टी दोषी है।जदयू प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने आरोप लगाया, आपने गुजरात के कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकुर को बिहार कांग्रेस का सहप्रभारी नियुक्त किया और उनकी सेना (गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना) बिहार के लोगों को गुजरात से बाहर करने में जुटी है। विपक्षी कांग्रेस का नाम लिए बिना प्रदेश के गृह मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने कहा कि यह पता लगाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं कि क्या ये (हमले) उन लोगों की साजिश है जो 22 साल से गुजरात की सत्ता से बाहर हैं। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अहमद पटेल ने हालांकि ठाकोर को क्लीनचिट देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार मामले का राजनीतिकरण कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में उत्तर भारतीय लोगों पर हमले को श्पूर्णतरू गलत करार दिया कहा कि वह पूरी तरह से इसके खिलाफ हैं। गांधी ने ट्वीट कर कहा, गरीबी से बड़ी कोई दहशत नहीं है। गुजरात में हो रहे हिंसा की जड़ वहां के बंद पड़े कारखाने और बेरोजगारी है। व्यवस्था और अर्थव्यवस्था दोनो चरमरा रही हैं। ये दोनों ही बाॅत भाजपा के लिए मुसीबत बन सकती है। बलात्कार जघन्य और निंदनीय कृत्य है, और इसके दोषी को किसी तरह बख्शा नहीं जाना चाहिए। पर क्या इसे इस तरह किसी राज्य-विशेष से जोड़कर देखना उचित होगा? एक जघन्य घटना के तौर पर न देख, अगर इसे यूपी-बिहार की मानसिकता माना जा रहा है, तो यह विकसित, समझदार और मॉडल के तौर पर पेश किए जाने वाले गुजरात के लिए समझदारी भरी बात नहीं होगी।
भारत विविधता में ही फले-फूलेगा और यही हमारी उपलब्धि है। भूलना नहीं चाहिए कि गुजरात की विकास-यात्रा में बिहार-यूपी से जाने वाले मजदूरों का कम योगदान नहीं है। और यह भी कि बिहार-यूपी वालों ने अगर गुजरात को मॉडल बनाया है, तो गुजरात वालों ने यूपी-बिहार के तमाम घरों की रोटी का इंतजाम किया है। रोटी और रोजगार का यह संबंध ही इन तीनों राज्यों की ताकत है।.जो कुछ गुजरात में हो रहा इसका प्रभाव तीनों राज्यों में दिखेगा। यह तो तय है कि गुजरात में इन दिनों जो लोग घृणा फैला रहे हैं, वे गुजरात के हितैषी नहीं। वहां राजनीति भी शुरू हो चुकी है। यह गुजरात के राजनीतिक नेतृत्व की ओर से निर्णायक हस्तक्षेप का समय है, ताकि हिंसा फैलाने वालों पर सख्ती हो और पलायन करने वालों को संदेश मिले कि सरकार उनके साथ है। गांधी जयंती के 150वें वर्ष में उनके गृह प्रदेश में भाईचारा बना रहे, यह सुनिश्चित करना वहां की सरकार का पहला काम है। गुजरात के गिर के शेरों को वायरस की चपेट से मरने से बचाने के सारे जतन हो रहे, जिसका स्वागत होना चाहिए। लेकिन यह उससे भी ज्यादा जरूरी है कि समाज में जो वायरस फैलाने की कोशिश हो रही है, उसे भी समूल खत्म किया जा सके। शेर भी बचें और इंसान भी सुरक्षित रहें- तभी सिस्टम की शेरदिली संपूर्णता में दिखेगी।. अगर विपक्ष इस मसले में राजनैतिक रोटियाॅ सेकेंगा तो उसे भी इसका परिणाम भोगना पड़ेगा। लेकिन फिलहाल इस मामले में रूपाणी सरकार को बड़े धैर्य के साथ पलायन रोकने लिए सख्त कदम उठाने होगी। आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को गुजरात के घटना क्रम की उच्च स्तरीय समीक्षा करनी पड़ेगी।
0 टिप्पणियाँ
इस खबर को लेकर अपनी क्या प्रतिक्रिया हैं खुल कर लिखे ताकि पाठको को कुछ संदेश जाए । कृपया अपने शब्दों की गरिमा भी बनाये रखे ।
कमेंट करे