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एस्सार स्टील के लिये आर्सेलरमित्तल की योजना के खिलाफ स्थगन आदेश देने से अपीलीय मंच का इन्कार


नई दिल्ली,(वेबवार्ता)। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने एस्सार स्टील के लिए आर्सेलरमित्तल की रिण समाधान योजना के खिलाफ स्थगन आदेश जारी करने से शुक्रवार को मना कर दिया। साथ ही उसने समाधान योजना के तहत आर्सेलरमित्तल से मिलने वाली रकम को रिण ग्रस्त कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों और कारोबारी उधार देने वालों के बीच बांटने के बारे में नयी योजना प्रस्तुत करने का निर्दश दिया है। गौरतलब है कि दिवाला कानून के तहत एस्सार स्टील पर बकाया कर्जों के समाधान की आर्सेलरमित्तल की 42,000 करोड़ रुपये की योजना को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की अहमदाबाद पीठ मंजूरी दे चुकी है। एस्सार के कुछ निदेशकों ने इसके खिलाफ अपील की है।


 उनका कहना है कि उन्होंने रिण समाधान के लिए जो 54,389 करोड़ रुपये की योजना रखी है वह आर्सेलरमित्तल की योजना से बेहतर है क्यों की इससे वित्तीय और पारिचालयनीय दोनों प्रकार के कर्जदाताओं के बकायों का शत प्रतिशत समाधान हो जाएगा। इस बीच स्टैंडर्ड चार्टड बैंक ने भी अपीलीय मंच का दरवाजा खटकाया है। उसके वकील ने कहा कि उसे एस्सार पर अपने बकाये का केवल 1.7 प्रतिधत धन ही दिया जा रहा है। इसके विपरीत वह बैंक और वित्तीय संस्थान योजना का 85 प्रतिशत धन प्राप्त करने जा रहे हैं जो एनसीएलटी प्रक्रिया के तहत गठित कर्जदाताओं की समिति में रखे गए हैं।


 न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने आर्सेलरमित्तल की समाधान योजना पर रोक लगाने से मना कर दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी। एनसीएलएटी ने भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाली वित्तीय रिणदाताओं की समिति को समाधान राशि के वितरण की नयी योजना अगली तारीख तक पेश करने को कहा है। उसने कहा है कि समाधान राशि के वितरण के मामले में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता .. सभी बराबर हैं।

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