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Hanumangarh: राजस्थान की पंचायतों में सरपंचो ने की तालाबंदी

13 सूत्री मांगों को लेकर राजस्थान के सभी सरपंच पैन डाउन हड़ताल पर
गोलूवाला(बलविन्द्र खरोलिया)सोमवार को पूरे राजस्थान में सरपंच संघ राजस्थान के बैनर तले पंचायत घरों में तालाबंदी की गई इस दौरान सरपंच पेन डाउन हड़ताल पर चले गए।लोंगवाला सरपंच सुनील क्रांति ने बताया कि हनुमानगढ़ जिले में जिला अध्यक्ष नरेंद्र सारण के नेतृत्व में पूरे जिले में सभी पंचायतों में तालाबंदी की गई। इसी के चलते स्थानीय सिहागान पंचायत में भी सरपंच बिंदु जगदीश सारस्वत के नेतृत्व में पंचायत घर पर तालाबंदी कर आक्रोश जताया गया। इस दौरान ग्राम पंचायत के कार्यों का बहिष्कार करते हुए तालाबंदी की।इन्होंने बताया कि सरकार व सरपंचों के बीच विभिन्न मांगों पर सहमति बनी थी फिर भी आदेश लागू नहीं किए गए और इसी कड़ी में सरपंचों ने 13 मार्च को भी विधायकों को ज्ञापन सौंपकर विरोध प्रदर्शन किया गया था और आज से सभी सरपंच पंचायत घर की तालाबंदी कर पेन डाउन हड़ताल पर चले गए। सरपंच बिंदु जगदीश सारस्वत ने बताया कि अगर इसके बावजूद भी सरपंचों की मांगे नहीं मानी जाती है तो सरपंच संघ के आह्वान के मुताबिक 22 मार्च को सरपंच संघ द्वारा विधानसभा का घेराव किया जाएगा।


ये है 13 सूत्री मांगे

1. ग्रामीण क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के सर्जन के लिए प्रथम राज्य वित्त आयोग से पंचम राज्य वित्त आयोग तक सकल राजस्व का देय अनुदान प्रतिशत बढ़ते हुए क्रम में स्वीकृत किया जाता रहा है, लेकिन 30 वर्षों में पहली बार छठे राज्य वित्त आयोग में पांचवे राज्य वित्त आयोग के सकल राजस्व के 7.18 प्रतिशत अनुदान की तुलना में 6.75 प्रतिशत अनुदान देने की सिफारिश की गई है। जिससे पंचायती राज संस्थाओं को लगभग 200 करोड़ रुपए का वार्षिक नुकसान हो रहा है। यह पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय हितों पर कुठाराघात है। अतः इसकी पुनर्समीक्षा करते हुए अनुदान प्रतिशत को बढ़ाकर सकल राजस्व का 10% किया जावे।

2. ग्राम पंचायतों के विकास की राज्य वित्त आयोग एवं 15वें वित्त आयोग की वर्ष 2021-22 की शेष राशि ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित की जावे तथा महानरेगा योजना स्वच्छ भारत मिशन योजना एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रशासनिक मद में से ग्राम पंचायतों के हिस्से की राशि संबंधित ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित की जावे।

3. सरपंच पद की गरिमा को ठेस पहुंचाते हुए विभिन्न प्रशासनिक अधिकारों में कटौती कर अन्य कर्मचारी / अधिकारियों को प्रदान किए जा रहे कार्यों / अधिकारों पर पूर्णतया अंकुश लगाया जावे (प्रधानमंत्री आवास योजना व अन्य योजनाओं में स्वीकृति के अधिकार पंचायतों के रिकॉर्ड में पंचायती राज नियम विरुद्ध अन्य कार्मिकों को हस्ताक्षर का अधिकार के प्रयास आदि)

4. ग्राम पंचायतों के विकास की राशि में से मानदेय कर्मियों (पंचायत सहायक, कोविड स्वास्थ्य सहायक, सुरक्षा गार्ड एवं पंप चालक के मानदेय के राज्य वित्त आयोग से भुगतान के प्रावधानों को निरस्त कर इनके मानदेय का भुगतान संबंधित विभाग द्वारा किया जाने का प्रावधान किया जाये तथा ग्रामीण क्षेत्र के विकास की राज्य वित्त की राशि में से कटौती नहीं की जावे।

5. जल जीवन योजना का संचालन एवं संधारण बिना संसाधन एवं बजटीय प्रावधानों के ग्राम पंचायतों पर थोपा जा रहा है, इसके लिए जलदाय विभाग को अधिकृत किया जावे। 6. सरपंचों का मानदेय बढ़ाकर ₹15000 किया जावे तथा सरपंच पद का कार्यकाल पूर्ण हो जाने (पद मुक्त हो जाने पर) अंतिम मानदेय की 50% राशि पेंशन के रूप में भुगतान करने का प्रावधान किया जावे। साथ ही ग्राम पंचायतों के वार्ड पंचों का बैठक भत्ता बढ़ाकर ₹500/प्रति बैठक तक पंचायत समिति जिला परिषद सदस्यों की बैठक भत्ता बढ़ाकर ₹1000/ किया जावे।

7. सीमित निविदा से कार्य संपादित करवाने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग
द्वारा जारी आदेश दिनांक 29 नवंबर, 2021 को पुनः संशोधित किया जावे। 8. ग्रामीण जनता की आवागमन की सुविधा के लिए प्रचलित रास्तों तथा पेयजल सुविधा के लिए टंकी, बोरिंग, टांका, हैंडपंप एवं पाइप लाइन का विकास कार्य भूमि स्वामी की सहमति के आधार पर करवाने की अनुमति प्रदान की जावे।

 9. प्रधानमंत्री आवास प्लस योजना में विभागीय त्रुटि से काटे गए 9.73 लाख नामों को पुनः
जोड़ा जावे। 

10. ग्रामीण क्षेत्र में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका एवं आशा आदि के चयन की प्रक्रिया पूर्व की भांति ग्रामसभा के माध्यम से ही संपादित करने के आदेश जारी किए जावे।

11. ग्रामीण जनता को लाभान्वित करने के लिए ग्राम पंचायत की निजी खातेदारी में विकसित आवासीय कॉलोनियों का विभिन्न विकास प्राधिकरण (नियम-90 (क)] की भांति नियमितीकरण करते हुए ग्राम पंचायत से विक्रय विलेख जारी करने का पंचायती राज नियमों में प्रावधान किया जावे। साथ ही ग्राम पंचायत द्वारा जारी भूमि विक्रय विलेख में त्रुटि होने पर सीधे ही पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करने के स्थान पर अपीलीय प्रावधान किया जावे।

12. ग्राम पंचायतों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न विकास कार्यों के पश्चात लगभग 5 से 6 अंकेक्षण दलों द्वारा अनावश्यक जांच के नाम जनप्रतिनिधियों व कार्मिकों को प्रताड़ित किया जाता है। इनके स्थान पर अधिकतम दो अंकेक्षण दल से ही अंकेक्षण करवाए जाने का स्पष्ट प्रावधान किया जाए।

13- ग्राम पंचायत स्तर पर लगभग समस्त कार्य ऑनलाइन प्रक्रिया से संपादित किए जा रहे हैं, जिसके लिए ग्राम पंचायतों में संसाधन करवाया जाए तथा सरपंचों को प्रशिक्षण दिलवाया जावे।

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