सादुलपुर (ओमप्रकाश)। महामंडलेश्वर स्वामी विनोदानंदपुरी ने कहा कि भक्तजन साधु-संतों से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। जो गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए संतों की सेवा भी करते हैं। उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ जैसा कृत्य हमारी धर्म-संस्कृति पर प्रहार करने जैसा है। संत ने मंगलवार को देवधाम भगवती जोहड़ी आश्रम में आयोजित धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि संत का कर्म केवल वैराग्य के साथ सर्व जनकल्याण की भावना मात्र है। उन्होंने कहा कि संत का लक्ष्य यदि परमात्मा से साक्षात्कार का है तो उसमें वैराग्य की ललक होनी आवश्यक है। इस अवसर पर संत चेतनपुरी, विचारपुरी, बलरामपुरी आदि सहित विनोद चोटीवाला, कमल सेठिया, प्रताप भगेला, गोपाल शर्मा, नरेश मोहता, श्रीकांत मोहता, डा.ऋषि, प्रदीप अत्री, नेहरू शर्मा सहित सैंकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।
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