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राज्य की अंतिम छोर पर बसी ग्राम पंचायत मलवाणी को सांसद,विधायक व प्रधान से तीन साल मे क्या मिला ?

तीनों जनप्रतिनिधियों सहित सरपंच भाजपा का होने के बावजूद विकास कार्य लिए नहीं दिया जा रहा बजट

प्रधान ने 12 लाख दिऐ,लेकिन विधायक व सांसद  ने नहीं दी फूटी कौडी

जयलाल वर्मा चारणवासी। भाजपा सरकार के तीन साल पूरे हो गये। लेकिन तीन सालों में कई ग्राम पंचायतों  में विकास कार्यो का श्रीगणेश भी नहीं हुआ। ओर जनप्रतिनिधियों द्वारा भी अभी कोई राशि स्वीकृत नहीं की गई। ऐसी ही स्थिति राज्य के अंतिम छोर पर बसी ग्राम पंचायत मलवाणी की हैं। जो विकास की वाट झो
रही हैं। यहां तीन साल के कार्यकाल में मात्र प्रधान अमर सिंह पूनियां द्वारा ही दोनों गांवों में बारह लाख रूपये एक बार ही दिऐ गऐ हैं। विधायक अभिषेक मटोरिया व सांसद कोटे से अभी तक फूटी कौडी तक नहीं मिली। मजेदार बात ये है कि सरपंच से लेकर सांसद तक भाजपा के फिर भी प्रार्टी के सरपंच की ग्राम पंचायत में विकास के लिए धन की कमी। राशि देना दूर कि बात ग्रामीणों का कहना है कि सांसद व विधायक दोनों
की चुनावों के बाद गांव में आऐ तक नहीं। चुनावों में सांसद व विधायक ने चारणवासी का विद्यालय कम्रोत्रत करवाने,गांव से चक नौ केएनएन तक संपर्क सडक़ पक्की बनवाने,गलियों में इंटरलॉक सडक़ बनवाने,बस सेवा,पानी-बिजली मुहैया करवाने के वादे लोगों से किऐ थे। लेकिन दोनों जनप्रतिनिधी एक भी वादे पर तीन साल तक खरे नही उतर पाऐं। ऐसे जनप्रतिनिधियों से विकास करवाने की उम्मीद लगाना लोगों की फिदरत
में नहीं।

जनप्रतिधियों की अनेदखी के शिकार गांव

पंचायत के अधिन आने चारणवासी चार सौ व मलवाणी छ:सौ घरों की आबादी वाले दोनों
गांवों में पशु चिकित्सका,शिक्षा,संपर्क सडक़ों,गलियां पक्की जैसी मूलभूत सुविधाऐं भी सरकार द्वारा मुहैया नहीं
करवाई गई। वहीं चारणवासी में खडवंजा सडक़ों का निर्माण न होने के कारण अधिकांश गलिया किचड़ से लबालब हैं। गांव में न गली पक्की,न बस स्टेण्ड बना ओर आधुनिक युग में भी गांव दूर-संचार सेवा से वंचित हैं। दोनों गांवों में अधिकतर किसान परिवार होने के कारण हर-घर में चार-पांच दुधारू व अन्य पशु मिल जाऐगें। लेकिन दोनों गांवों में पशु चिकित्सालय की व्यवस्था न होने के कारण लोगों को बीमार पशुओं
का उपचार गांव के झोलाछाप डॉक्टरों से मजबूरी में मंहगे दामों से करवाना पड़ रहा हैं। पशु पालकों का कहना हैं कि कई बार समय पर सही उपचार न होने के कारण पशु मौत के मुंह में भी समा जाते हैं। ऐसी स्थिति में पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा चलाई गई पशुधन नि:शुल्क दवा योजना दम तौड़ रही है। गांवों में केंद्र ही नहीं तो नि:शुल्क दवा पशु पालक कहां से प्राप्त करें।

चिकित्सक का इंतजार

गांव मलवाणी में सन् 1996 में पशु चिकित्सालय भवन का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा लाखों रूपये खर्च कर करवाया गया। लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण आज तक चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हुई। नजीतन चिकित्सक के इंतजार में भवन ही जर्जर हालात में पहुंच गया।

शिक्षा के अधूरे इंतजाम

गांव चारणवासी में शिक्षा के नाम पर मात्र आठवी तक का सरकारी स्कूल हैं। आठवी पास विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई के लिए फेफाना सात,मलवाणी तीन व रतनपुरा पांच किमी जाना पड़ता हैं या फिर निजी स्कूल में पढ़ाई करनी पड़ती हैं। गरीब तबके के परिवार निजी स्कूल की फीस व अन्यत्र जाने का साधन नहीं जुटा पाते ओर अपने बच्चों की पढ़ाई मजबूरी में बीच में ही छुड़वा लेते हैं। सरकार की अनदेखी के कारण बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। गांवों के अपनढ़ मां-बाप लडक़ी को पराया धन समझ कर दूसरे गांव में पढऩे के लिए भेजने में हिचकिचाते हुऐ उन्हें घर व खेत के काम में लगा लेते हैं। एक तरफ तो सरकार बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है दूसरी ओर गांवों के स्कूलों को कम्रोत्रत नहीं कर रही। ऐसी स्थिति में बालिका शिक्षा को बढ़ावा मिलना नामुकिन हैं।

इन्हें चार दीवारी की कमी

चारणवासी गांव के श्मशान घाट,बच्चों की कल्याण भूमि व खेल मैदान को चार दीवारी की कमी है। चार दीवारी के अभाव में ये सार्वजनिक जगह अतिक्रमणों की भेट चढ़ रही हैं। गांव के बहार खेल मैदान के नाम चार बीघा भूमि हैं जिसकी चार दीवारी न होने के कारण आस-पास खेतों वाले किसान धीरे-धीरे उस पर अतिक्रमण कर उसे संकरा बना रहे हैं। अगर समय रहते ग्राम पंचायत ने चार दीवारी का निर्माण नही करवाया तो खेल मैदान लुप्त हो जाऐगां।  जिनकी चार दीवारी निर्माण के लिए प्रधान,विधायक व संासद अपने कोटे से राशि स्वीकृत कर सकते हैं। लेकिन ग्रामीणों द्वारा बार-बार मांग करने के बाद भी तीनों जनप्रतिनिधियों द्वारा राशि स्वीकृत नहीं की जा रही। गांव गंदे पानी की निकासी व्यवस्था न होने के कारण बरसात के दिनों में लोगों के घर पानी से भर जाते हैं।

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