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ट्रंप नीति" भारत के लियें कितनी "फायदेमंद", कितनी "नुकसानदेय

"दोस्तों, मुझे अच्छी तरह याद है, अब से कुछ महीने पहले जब अमेरिका में "चुनाव प्रचार" चल रहे थे, और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार "डोनाल्ड ट्रंप" अपने चुनावी प्रचार में जगह-जगह एक "धर्म विशेष" के लोगों, "मुस्लिम लोगों" के ख़िलाफ़ "ज़हर" उगल रहे थे, दुनिया के सारे "मुसलमानों" को "आतंकवादी" साबित कर रहे थे, तब डोनाल्ड ट्रंप हमारे भारत में कुछ "कट्टरवादी सोच" के लोगों द्वारा बेहद "पसंद" किए जा रहे थे। और जिस दिन डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में "शपथ" ली, उस दिन हमारे हिन्दुस्तान के अन्दर कई राज्यों, महाराष्ट्र आदि में बहुत "पटाखे" छोड़े गये थे, और "खुशियाँ" मनायी गयी थीं, और ऐसा "दर्शाया" गया था कि अमेरिका में दूसरे "नरेंद्र मोदी" जी राष्ट्रपति के पद पर बैठे हैं, और अब हिन्दुस्तान की तरह दुनिया के नक़्शे से भी "मुस्लिम धर्म" के लोगों का "नामोनिशान" मिट जायेगा। लेकिन अरे, ये क्या ?
ट्रंप साहब ने तो मुसलमानों की बजाय पूरे हिन्दुस्तान के लोगों को "नुकसान" पहुंचाना शुरू कर दिया। ट्रंप ने अमेरिका में "भारतीय पेशेवरों" की "वीज़ा" पर "सख़्ती" कर दी, जिससे अमेरिका में रह रहे लाखों भारतीयों के "भविष्य" पर "ख़तरा" मंडराने लगा। एक भारतीय "युवा इंजीनियर" की "बेरहम हत्या" "नस्लीय भेदभाव" के तहत कर दी गयी। और यही नहीं अभी दो दिन पहले एक हिन्दुस्तानी लड़की "एकता देसाई" से भी अमेरिका में नस्लीय आधार पर "छेड़छाड़ की गयी, और भद्दी-भद्दी "गालियां" दी गयीं, और अमेरिका में रह रहे भारतीयों में ट्रंप सरकार के आने के बाद इस क़दर "भय" और "डर" का माहौल है कि सभी भारतीय एक दूसरे से कह रहे हैं कि बिना किसी ज़रूरी काम के अपने घरों से बाहर ना निकलें, वरना किसी ना किसी "नस्लीय हिंसा" के शिकार हो जायेंगे। और अब इसी कड़ी में ताज़ा मामला ट्रंप सरकार द्वारा "आउटसोर्सिंग" रोकने को लेकर पेश किया गया "बिल" है, जिससे भारत की बड़ी-बड़ी कंपनियों के कारोबार पर बहुत असर पड़ेगा। ट्रंप सरकार द्वारा "सात मुस्लिम" देशों पर "पाबन्दी" लगाने के फ़रमान को तो मुस्लिम देशों ने चुनोती दे दी है, और कोर्ट ने ट्रंप का ये आदेश "रद्द" भी कर दिया है, लेकिन भारत की मोदी सरकार ने अभी तक ट्रंप की "भारत विरोधी नीतियों" पर कोई आवाज़ नहीं उठाई है, या अपने नागरिकों के ऊपर हो रहे नस्लीय हमलों, और भारतीय नागरिकों में व्याप्त "डर" के बारे में अमेरिका से कोई जबाब-तलब नहीं किया है, ये एक "गंभीर" एवं "चिन्ता" का विषय है। और आज ये गंभीर "विषय" और "सवाल ? भारत सरकार, प्रधानमंत्री मोदी, एवं उन "कट्टरवादी सोच" के लोगों के सामने मुँह बाये खड़ा है, जिन्होंने ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर पटाखे छोड़कर खुशियाँ मनायी थीं, ये सभी लोग "गंभीरतापूर्वक" सोचें कि "कट्टरता" और "दमनकारी" नीतियाँ सभी को "नुकसान" पहुंचाती हैं, चाहे हिन्दुस्तान हो या अमेरिका, चाहे मोदी हों या ट्रंप, सभी को हर वर्ग, हर धर्म के लोगों के प्रति Flexiblity अपनाने की ज़रूरत है, क्योंकि दमनकारी नीतियों से कभी समाजों का, देशों का भला नहीं होता, इसीलियें अब उन पटाखे छोड़कर खुशियाँ मनाने वाले लोगों से विनम्र निवेदन है कि जिस तरह ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने "खुशियाँ" मनायी थीं, उसी तरह ट्रंप सरकार द्वारा अमेरिका में "भारत विरोधी" नीतियों का भी "विरोध करें", और साथ ही हम सभी "हिन्दुस्तानी" मिलकर अमेरिका में रह रहे अपने "नागरिकों" की "सुरक्षा" और "अधिकारों" को लेकर "प्रतिबद्ध" हों। (धन्यवाद)
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(लेखक - राशिद सैफ़ी "आप" मुरादाबाद)

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