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सुकमा नक्सली हमले में शहीद पिता का झलका दर्द, आखिर कब तक झेलेंगे नक्सलवाद का दंश

फाइल फोटो
आखिर कब तक झेलेंगे नक्सलवाद का दंश :- मनीराम तरड़ 
रायसिहनगर - पदमपुर (संजय बिश्नोई) मुझे मेरे लाल की शहादत पर फक्र है। उसने मेरा और मेरे गाँव श्री गंगानगर जिले का नाम पूरे भारत में रोशन किया है। अब बालारापुरा का नाम भारत के पटल पर होगा। यह कहना है छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सोमवार दोपहर सीआरपीएफ की 74 वीं बटालियन पर नक्सली हमले में शहीद हुए पदमपुर उपखण्ड के बालारापुरा के एएसआई रामेश्वरलाल के पिता चौधरी मनीराम तरड़ का। विशेष बातचीत में शहीद के पिता की आँखों का दर्द भी छलका और मात्र भूमि पर प्राणों का बलिदान देने पर गर्व भी। उन्होंने कहा कि पिता से पहले बेटे का चले जाना वज्रपात से कम नहीं पर बेटे की कुर्बानी ने गोरवान्वित कर दिया है। हालांकि बातचीत के दौरान पिता की आँखों से छलके आंसूओ ने दर्द ब्यान किया। पूछने पर बोले ये आंसू तो उनके लिए है जिन्होंने अब तक अपने लाल खो दिया। फिक्र तो उन बच्चों की है जिन्हें संभालने वाला कोई नहीं है। नक्सलवाद का दंश न जाने कितनी बेटियों के सुहाग को मिटा चुका है। न जाने कब तक मौत का तांडव यू ही चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि तगमे और राहत पैकेज अब काफी नहीं है अब तो इन नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देना होगा। मोदी सरकार द्वारा उरी हमले के दोषियो को सजा देने के लिए उठाए गए कदमों से अब उम्मीद जगी है। नक्सलियों का सर्वनाश जरूर हो।

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