सीकर। राजस्थान राय विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार शनिवार को प्रि-लिटिगेशन व लंबित मामलों को समाहित करते हुए शमनीय दाण्डिक अपराध, विभिन्न प्रकार के लगभग 4800 प्रकरणों को चिन्हित कर द्वितीय राष्ट्रीय लोक आयोग, जिला मुयालय व समस्त तालुका न्यायालयों पर प्रस्तुत किये गये। 20 बैंचों के माध्यम से 452 प्रकरणों को निस्तारित किया गया जिनमें 3 करोड़ 30 लाख 66 हजार नो सौ छतीस राशि अवार्ड पारित किये गए। 3 पारिवारिक मामलों में दपतियों में समझाईश व सुलह कर दापत्य जीवन में पून: बांधा।
पूर्णकालिक सचिव लक्ष्मण राम विश्नोई ने जानकारी देते हुए कहा कि लबित मामलों में अंतर्गत धारा 138 एन आई एट, बैंक रिकवरी मामले, एम.ए.सी.टी. मामले, पारिवारिक विवाद, श्रम-विवाद, भूमि अधिग्रहण मामले, बिजली, पानी के मामले (अशमनीय मामलों के अतिरित), पेंशन भत्तों से सबंधित सेवा मामले एवं अन्य सिविल मामले (किराया, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा दावे एवं विनिर्दिष्ट पालना दावे) के लगभग 4800 प्रकरणों को चिन्हित किया जाकर द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जिला मुयालय एवं समस्त तालुका न्यायालयों पर किया गया। अभय चतुर्वेदी, जिला एवं सेशन न्यायाधीश सीकर ने बताया कि अधिकाधिक प्रकरणों के निस्तारण के लिए 20 बैंचों का गठन किया गया एवं इन बैंचों के अध्यक्षगण फूलचंद झाझडिय़ा, उर्मिला वर्मा, नीरज भारद्वाज, राजकुमार, सुरेन्द्र पुरोहित, महेन्द्र ढ़ाबी, श्रीमती सीमा हुड्डा, सुश्री पुनीत सोनगरा व सदस्यगण पुरूषोत्तम शर्मा, पुरूषोत्तम बिल्खीवाल, अधिवतागण एवं न्यायालय स्टाफ के विशेष प्रयासों से कुल 457 प्रकरण निस्तारित किए जाकर 3 करोड़ 30 लाख 66 हजार 9 सौ 36 रुपए की राशि के अवार्ड पारित किए गए।
मोटर दुर्घटना से संबंधित कुल 58 प्रकरणों में अवार्ड 2 करोड़ 31 लाख 66 हजार रुपए की राशि का पंचाट पारित किया गया। चतुर्वेदी ने बताया कि इस राष्ट्रीय लोक अदालत में फुलचंद झाझडिय़ा, न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय द्वारा विशेष प्रयास करते हुए न्यायालय में सन् 2016 में प्रस्तुत सहमति के तलाक आवेदन में एक दपति श्रीमती सुनिता देवी व बनवारी लाल निवासी धोद के मध्य समझाईश करते हुए इनके दापत्य जीवन में खुशी भरते हुए इनका घर पुन: बसा दिया। खास बात यह थी कि यह दपति काफी समय से एक-दूसरे से अलग-अलग रह रहे थे और इनके एक छोटी बची भी थी। इस दपति ने जिला एवं सेशन न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी के समक्ष एक दूसरे को माला पहनाकर राष्ट्रीय लोक अदालत की मौलिक भावना को सराहते हुए अपनी प्रसन्नता जाहिर की।
इसी प्रकार दो अन्य पारिवारिक मामलों में भी दो दपतियों देवेन्द्र कुमार व श्रीमती शारदादेवी तथा विनोद कुमार व सुनीता देवी के मध्य समझाईश व सुलह कराते हुए पुन: इनको दापत्य सुत्रों में बांधा।
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