आचार्य संदीपन
नयी दिल्ली,-आजादी के बाद से हिन्दुस्थान ने कई बड़े बदलाव देखे हैं। रेडियो से चलकर टीवी तक होते हुए अब मोबाइल का युग। मारुती कर से चलकर अब सुपर कारों का युग । सेना के लिए पुरानी जीपों से लेकर अब स्वनिर्मित वाहनों और हथियारों का युग। इन्ही के बीच बदली कई सरकारें भी और उन सरकारों के फैसले भी। उन्ही फैसलों की बात करें तो भारतीय राजनीति के इतिहास में बहुत से राज़ छिपे हुए हैं। जैसे सीआईए की हालिया रिपोर्ट में जो बात सामने आई है उसके बारे में सोचकर यही लगता है कि कहीं अगर ये बात सच हो जाती तो क्या होता। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं, तो एक समय ऐसा भी आया था जब भारत पाकिस्तान के ‘कहुटा न्यूक्लियर पॉवर प्लांट’ Nuclear Base पर हमला करके उसे ध्वस्त करने वाला था। लेकिन इस प्लान को अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते ड्रॉप करना पड़ा।
इंदिरा गांधी ने Nuclear Base कहुटा प्लांट को ख़त्म करने का बना लिया था मन
1981 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कहुटा प्लांट को ख़त्म करने की तैयारी कर ली थी। ये फ़ैसला इज़राइल के इराक़ पर हमले की देखा-देखी लिया गया था। इज़राइल रातों-रात अपने कई दुश्मन देशों को पार करता हुआ इराक़ पहुंचा और उसने हवाई बम गिराकर इराक़ के निर्माणाधीन न्यूक्लियर रिएक्टर ‘Nuclear Bases’ को ख़त्म किया और आराम से लौट भी आया। भारत ने भी ऐसा ही कुछ करने के बारे में सोचा था लेकिन इसके बाद शायद दुनिया के एक हिस्से में न्यूक्लियर वॉर शुरू हो जाती।
ऑपरेशन बेबीलोन था इजरायल के इस ऑपरेशन का नाम
इज़राइल के इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन बेबीलोन’ के नाम से भी जाना जाता है और इसे 7 जून 1981 में अंजाम दिया गया था। इन दस्तावेज़ों में ये भी लिखा है कि USA के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने जनरल ज़िया-उल-हक़ को एक पत्र भिजवाया था जिसमें भारत की मंशाओं का ज़िक्र किया गया था।
भारत की मंशा का पता चलते ही अमेरिका ने की दखलअंदाज़ी
भारत के इस प्लान के बारे में USSR को भी पता था और ये बात आग की तरह फैलती जा रही थी। अफ़वाहों की मानें तो इंदिरा गांधी को ये परामर्श भारतीय सेना द्वारा दिया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार इज़राइल जामनगर को अपने बेस के रूप में इस्तेमाल करना चाहता था। 1984 में इंदिरा ने इसको मंज़ूरी भी दे दी थी। लेकिन जब अमेरिका ने दखलअंदाज़ी की तो इंदिरा जी को पीछे हटना पड़ा।
और इस घटना के बाद भारत पीछे हट गया, लेकिन दोबारा हुयी थी तैयारी
कुछ रिपोर्ट्स की माने तो विएना में एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तानी वैज्ञानिक ‘इंडियन एटॉमिक एनर्जी’ कमीशन के चीफ़ राजा रमन से मिले और उन्होंने ट्रोमबे में भारत के एटॉमिक पॉवर प्लांट पर हमला करने की चेतावनी दी जिसके बाद भारत पीछे हट गया। लेकिन लोगों की माने भारत पर इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ा 1984 में एक बार फिर हमले की तैयारी शुरू कर दी।
फाइनली जब भारत को ये पता चला कि पाकिस्तान ने अपनी जनता को भी इसके बारे में आगाह कर दिया है और अपनी तैयारी शुरू कर दी है तो सरकार ने ये प्लान ड्रॉप कर दिया। असल में भारत पाकिस्तान को एक सरप्राइज़ देना चाहता था जिसके बारे में अब सभी को पता चल चुका था।
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