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पत्रकारी से लेकर जंक्शन पुलिस के घाव और फिर से पत्रकारिता में कदम..! जन्मदिन विशेष.. कुलदीप शर्मा


जीवन के सफर में कुछ घाव तो कुछ यादें जो भूली नहीं जाती....

जीवन के सफर की एक बात,,,,,
सबसे पहले उस मात-पिता को नमन जिन्होंने मुझे इस संसार को देखने का सौभाग्य दिया हैं । दोस्तों दिनभर बधाईयों का तांता लगा रहा। आभार व्यक्त करने से पहले मेरी जननी के चरणों में शीश वंदन करता हूं। ईश्वर का शुक्रगुजार हूं कि उसने
एक ऐसी संस्कारी कोख में मेरा वजूद रखा, जहां पलवित होकर आज मैं जन्मदिन
पर आपकी बधाईयां स्वीकार करने योग्य हुआ हूं।


मैं जिस क्षेत्र में जन्मा वहां मुझे खूब प्यार व दुलार मिला । क्यों कि मेने उस वक़्त जन्म लिया जिस वक्त मेरे घर मे या यूं कहें परिवार में एक ओर लड़की की चाहत थी लेकिन लड़का पैदा हुआ । आपको जानकर हैरानी होगी मेरे पूरे परिवार में उस वक़्त लड़की जमात की सिर्फ बहुएं ही थी लड़की नहीं थी ! धीरे-धीरे बड़ा होने लगा अपनी पढ़ाई-लिखाई करने लगा । पता ही नहीं चला कि वक़्त कब और कैसे गुजर गया । सब कुछ बहुत ही अच्छा चल रहा था लेकिन अचानक एक ऐसा तूफान मेरे परिवार पर आया कि हम तहस-नहस हो गए ! जिसके बाद छोटी सी उम्र में  अचानक पापा जी बीमार होने के चलते सारी जिम्मेदारिया मेरे कंधे पर आ गयी । लेकिन शायद कच्ची उम्र ये इतनी भारी जिमेदारी सम्भाल नहीं पा रहा था लेकिन कहते हैं ना जिस घर मे माँ का प्यार हो ना उसको भला कौन तोड़ सकता हैं । पापाजी की हालात देख हर रोज खूब रोता लेकिन बहिन व माँ ने हर वक़्त सहारा दिया । एक दिन ऐसा मौका आया कि एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ा । रास्ता भी (पत्रकारिता) कोई आसान नहीं चुना
मैंने। संघर्ष है। जानता हूं लेकिननिकल पड़ा हूं। बस अपनी दुआओं से नवाजें
कि गर कभी कदम लड़खड़ाएं तो दोस्तों की दुआएं साथ खड़ी नजर आई व कभी आपनो ने मुझे टूटने नहीं दिया । बात उस वक़्त की जब मैं रायसिंहनगर में पत्रकारिता में अपने लेखन से लोगो के दिलो में जगह बना रहा था कि मुझे कई मीडिया संस्थानों से ऑफर आये जो मेरे लिए छोटे से शहर से इतना कुछ होना विस्वाश नहीं हो रहा था ! लेकिन मेने स्वीकार किया और शुरुआत कर दी नए से पत्रकारिता की लेकिन इस बीच जो हुआ वो मेरे लिए बहुत बड़ा दुखद रहा । बात 14 अगस्त की हैं जब मैं राजकीय माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को परेड व पीटी सीखा रहा था !  क्यूं की उस स्कूल में उस समय कोई पीटीआई नहीं था । अचानक जंक्शन पुलिस ने रायसिंहनगर जाकर मुझे गिरफ्तार कर लिया । गिरफ्तार भी किया तो ऐसे केस में जो बिल्कुल निराधार था ! लेकिन कहते हैं ना जब वक़्त बुरा आता हैं तो किसी से पूछ कर नहीं आता हैं । सबसे बड़ी बात उसी केस में मेरे बुजुर्ग व बीमार पिता को भी जंक्शन पुलिस ने गिरफ्तार कर रखा था । उस मामले में एफआईआर के अनुसार नहीं बल्कि किसी को बचाने क्व चक्कर में एफआईआर के उलट सारा कुछ पेश किया गया । जिसके चलते मुझे करीबन 15 दिन जेल में बिताने पड़े वो दिन मैं आज भी भूल नहीं पाया हूँ । मेरे परिवार में सिर्फ मैं और मेरे पिता जी दो ही पुरुष थे दोनो को पुलिस ने फ़र्ज़ी मामले में पकड़ लिया था..! जिसके बाद हम जमानत पर रिहा हो गए लेकिन जो हुआ वो बहुत ही बुरा था । अब हमें देश के कोर्ट यानी न्याय व्यवस्था पर पूर्ण भरोसा हैं । उसके बाद मेने इस संघर्ष को जारी रखा और पुलिस के दिये घाव आज भी लगाए बैठा हूँ जो अभी भरे नहीं हैं..! मेरे व मेरे परिवार के साथ जो हुआ वो घटनाक्रम आज भी भूल नहीं पा रहे हैं । उसके बाद भी अपनी पत्रकारिता जारी रखे हुए हैं । इस घटनाक्रम के बाद मेने कसम खाई थी कि जब तक पत्रकारिता क्षेत्र में जिंदा हूँ गरीब,पीड़ित,आमजन की आवाज बनूँगा ! ताकि भविष्य में कोई ओर हमारी तरह बेरहम व बेशर्म पुलिस के कारनामो की भेंट ना चढ़ जाए..! आज भी हर रोज कलम को सच्चाई के मार्ग पर घसीटता जा रहा हूँ । सबसे बड़ी बात पहले भी झोपड़ों में था आज भी झोपड़ों में ही हूँ । लेकिन ईमानदारी से जो सुकून मिलता हैं उसका वर्णन करने के लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास ..!



कुछ खोया तो कुछ पाया

मित्रो साल जन्मदिन आता है और चला जाता है । इसी के साथ हम एक साल और नई
जिन्दगी के अगले साल में गुजर जाते है और यह कारंवा चलता रहता है । साल
बीत जाते हैं या कहें कि एक साल का अनुभव और समेट लेते हैं और आने वाले
दिनों के लिए तैयार हो जाते हैं. जिन्दगी अनवरत चलती रहती है. ऐसे ही आज
मेरे जिन्दगी के इस विशेष दिन के इस सफर में मैंने बहुत कुछ पाया तो बहुत
कुछ पाने की अभिलाषा है। ईश्वर में आस्था, माता-पिता और मेरे गुरुजनों का
आशीर्वाद, भाइयों व बहन का स्नेह,मित्रों का प्यारा हमसफर,ही मेरी
खिलखिलाहट जीवन के हर मोड़ को आसान बना देती है और एक नई ऊर्जा के साथ आगे
बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। जीवन के इस 24 साल के सफर में न जाने कितने
पड़ाव आए और जीवन का कारवां बढ़ता चला गया। जीवन के हर मोड़ पर जो चीज
महत्वपूर्ण लगती है, वही अगले क्षण गौण हो जाती है। पल-प्रतिपल हमारी
प्राथमिकताएं बदलती जाती हैं। सीखने का क्रम इसी के साथ अनवरत चलता रहता
है। कई लोग तो सरकारी सेवा में आने के बाद जीवन का ध्येय ही मात्र नौकरी
मानने लगते हैं, पर मुझे लगता है कि व्यक्ति को रूटीनी जीवन जीने की बजाय
नित नये एवं रचनात्मक ढंग से सोचना चाहिए। इसी तरह सरकारी नोकरी की इच्छा
जाहिर न करते हुए मैने आम आवाम गरीब तबके की दबी आवाज को बुलंद करने की
ठान ली इसलिए पत्रकारिता का क्षेत्र चुना। जैसे हर सुबह सूरज की किरण नई
होती हैं, हर पुष्प गुच्छ नई खुशबू से सुवासित होता है । जिसमे मेरी इस
खुशबू का रंग देने में कई अहम जनो का योगदान रहा हैं । जिसमे गुरप्रीत सिंह,रामनिवास भाम्भू व उनका परिवार,मेरे रिश्तेदारों सहित कई पथ प्रदर्शकों का सहयोग रहा !
देखो प्रकृति की अदा में नयापन होता है, वैसे ही हर सुबह में नया करने की
कोशिस में लगा रहता हूँ ! किसी ने ठीक ही कहा है कि सफलताएं-असफलताएं
जीवन में सिक्के के दो पहलुओं की भांति हैं, इन्हें आत्मसात कर आगे बढ़ने
में ही जीवन प्रवाह का राज छुपा हुआ है। इसी को लेकर चलने की कोशिस जारी
है ! मेरी इस 5 साल की पत्रकारिता के दौरान में षडयन्त्र का भी शिकार हुआ
लेकिन इन सब के बीच आप मित्रों एवं शुभचिंतकों की हौसला आफजाई भी टानिक
का कार्य करती है। जिससे हौसला बढ़ता गया ! और जो हुआ अच्छा ही हुआ ! आप
सभी का स्नेह एवं आशीष इसी प्रकार बना रहे तो जीवन का प्रवाह भी खूबसूरत
बना रहेगा। अंत में मेरे जन्मदिन के अवसर पर आप सभी मित्रों, गुरुजन
साथियों का स्नेह आशीष , दुलार और अपनापन से ओत प्रोत शुभकामनाएं - बधाई
सन्देश बड़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं। मै बहुत खुशी और आदर के साथ आप
सब के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हू. और निश्चित रूप से आपकी शुभकामनाऐं
मेरे जन्मदिन को यादगार बनाने
के साथ ही जीवन भर मे उपयोगी साबित होगी !

पुन्: सभी का आभार।। वंदन।।
आपका- कुलदीप शर्मा

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