Advertisement

Advertisement

राजस्थान -भ्रष्ट जनों को आखिर कब तक बचायेगी राजे सरकार,अध्यादेश के बाद लोकसेवकों का होगा जमकर शोषण...!

गुस्ताखी माफ कार्टून फ़ोटो

नया अध्याधेश लागू होने के बाद लोकसेवकों का होगा जमकर शोषण

साभार व इनपुट खबर टुडे
राजस्थान । भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को बचाने के लिए ड्राफटिंग किये गए आॅर्डिनेंस को विधानसभा में रखने से पहले ही आईएएस ओपी यादव के परिवार से जुड़ा सौ करोड़ का मामला सामने आ गया। बताया जा रहा है कि यादव  राज्य सरकार के सबसे चहेते अफसर हैं। गौरतलब रहे कि राजस्थान में भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को संरक्षण देने वाला अध्यादेश गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के द्वारा 23 अक्टूबर 2017 को विधानसभा में प्रस्तुत कर दिया गया। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का प्रयास है कि इस अध्यादेश को इसी सत्र में पास कर लिया जाए। 

चूंकि 200 में से 162 विधायक भाजपा के हैं, इसलिए बिल को मंजूर करवाने में कोई परेशानी नहीं भी नहीं आने वाली है। एक ओर इस अध्यादेश को मंजूर करवाने में सीएम राजे और भाजपा के कई मंत्री आमजन के सामने अंग्रेजी हुकूमत चला रहे हैं, उन्हें आबकारी आयुक्त ओपी यादव (आईएएस) के ताजा प्रकरण से सबक लेना चाहिए। आयकर विभाग ने 22 अक्टूबर को ही जयपुर स्थित सिरसी रोड़ पर 21 बीघा जमीन को बेनामी संपत्ति मानते हुए अटैच किया है।

 लगभग सौ करोड़ रुपए की बेशकीमती इस जमीन की खरीद-फरोख्त में प्रदेश के आईएएस अधिकारी ओ.पी. यादव की पत्नी लक्ष्मी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम भी सामने आए हैं। अब यह साबित हो गया है कि आईएएस ओपी यादव पर राज्य सरकार कितनी मेहरबान है। जानकारी के लिए यहां आपको बता दें कि आईएएस यादव लम्बे समय से आबकारी आयुक्त पर विराजमान हैं। इससे पहले वे ट्रांसपोर्ट कमिश्नर भी रहे हैं। सवाल उठता है कि यादव को कमाई वाले महकमोें में ही क्यों नियुक्त किया जाता है..? 

प्रदेश में अकेला यादव ही नहीं है। भ्रष्टाचार के दल-दल में फंसे प्रदेश में ऐसे कई आईएएस और आईपीएस अफसर है। इन सबका एक ही आका है, जो सीएमओ में कुंडली मारे बैठा एक आईएएस अफसर है। अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि इसी भ्रष्ट आईएएस अफसर ने अपनी तिलस्मी दूनियां का आनंद लेने व अपनी गर्ल फ्रेण्ड (एक पूर्व रिटायर्ड जज की बेटी) को आगामी विधानसभा का चुनाव लड़ाकर विधायक बनाने का सपना पुरा करने के लिए ही शतरंजी घोड़ों को दौड़ाकर प्रदेश में नया कानून बनाने की यह मास्‍टर माइंड चाल खेली है। 

इस प्रकार के अफसरों व नेताओं के गठजोड़ पर कोई आपत्ति नहीं कर सके, इसलिए प्रदेश में अंग्रेजों के जमाने का कानून बनाया जा रहा है। इस कानून के लागू होने के बाद कोर्ट के आदेश से भी ऐसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हो सकेगा। मामले में राज्य सरकार मंजूरी देगी तभी प्रकरण दर्ज हो सकेगा।

 अब सरकार मंजूरी कैसे देती है यह किसी से छिपा नहीं है। सरकार की मंजूरी से पहले यदि सोशल मीडिया से लेकर अखबार और चैनलों पर खबर आ गई तो संबंधित पत्रकार और उसके संस्थान के मालिक को तीन वर्ष तक की सजा दी जा सकेगी। यानि इस आॅर्डिनेंस से प्रेस की स्वतंत्रता भी प्रभावित होगी।

क्या आबकारी आयुक्त के पद से हटाएगी सरकार-

जब ओपी यादव के परिवार से जुड़ा सौ करोड़ का मामला सामने आ गया है तब यह सवाल उठता है कि क्या राज्य सरकार इस आईएएस अफसर ओपी यादव को प्रदेश के आबकारी आयुक्त के पद से हटाएगी। यह बात अलग है कि सरकार नेताओं और अफसरों को बचाने के लिए ही विधानसभा में नया अध्यादेश मंजूर करवा रही हैं। देखना है कि इस मामले में सरकार कितनी ईमानदारी दिखाती है। सरकार के मंत्रियों की ओर से बार-बार यह सफाई दी जा रही है कि वह किसी भी भ्रष्ट अधिकारी को बचाने का प्रयास नहीं करेगें।

लोकसेवकों का होगा शोषण-

प्रदेश में नया अध्यादेश लागू होने के बाद लोकसेवकों द्वारा पद दुरूपयोग तो किया ही जायेगा इसके साथ ही सफेदपोश नेता इनका जमकर शोषण करेगें। किसी भी लोकसेवक के खिलाफ जांच, शिकायत मिलने के बाद 180 दिन तक सरकार के मंत्री, विधायक इनका खुलकर शोषण करते रहेगें।  ताकि लोक सेवक के खिलाफ कोई भी जांच व प्ररकरण दर्ज ना हो। इसलिए यह अध्यादेश केवल मिडिया व आमजन के लिए ही नहीं लोकसेवकों के लिए ज्यादा काला कानून साबित होगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement