समेजा कोठी।(सतवीर सिंह मेहरा)राजस्थान सरकार ने तमाम विद्यालय मर्ज तो कर दिये लेकिन जो मर्ज किये विद्यालय विरान हो गये उनकी तरफ सरकार के किसी अधिकारी ने मुडकर नही देखा।मर्ज किये विद्यालय उन लोगों को कोस रहे हैं जिन्होंने उनका बसा बसाया आंगन उजाड़ दिया।लापरवाह सरकार ने उन स्कूलों को आजतक संभाला तक नही।मर्ज किये गये हर स्कूल कि बिल्डिग जनता के लाखों रूपयों से बनी हुई हैं जो आज खण्डर में तब्दील हो रही हैं।क्या सरकार की जबाब देही नही बनती की जनता के पैसों की बेकदरी न करे।मर्ज किये स्कूलों में ऐसे स्कूल भी हैं जो या तो भूमि दानदाता ने दी हैं या स्कूल में कुछ कमरों का निर्माण दानदाताओं ने करवाया हैं।लेकिन सरकार ने ऐसे स्कूलों को भी बिना हिचकिचाहट विरान कर दिये।क्या जनता के पैसो को या देश या किसी राज्य में ऐसा कानून नही की सरकार को यू अनुचित कदम उठाने से रोक सके।
श्रीगंगानगर जिले के समेजा उपतहसील क्षैत्र में मर्ज किये तमाम स्कुल शरारती तत्वों का अड्डा बन चुके हैं।हमने समेजा के प्राथमिक विद्यालय जो मर्ज किया हैं कि स्थिति देखी तो हैरानी हुई की स्कूल के तमाम कमरे खुले पड़े हैं अन्दर खिडकिया जला दी गई हैं।बिजली फिटिंग उखाड़ ली गई हैं।कीमती लोहे की गिरिल उखाड़ कर गायब कर दी गई हैं।स्कूल के कमरों में भद्दे चित्र व अश्लील मैसेज तक लिखे पड़े हैं।स्कूल परिसर में गन्दगी तो देखी नही जाती।यू कहे की यह सरकारी बिल्डिग असामाजिक लोगों का अड्डा बन चुका हैं तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी।
ऐसा ही हाल 7 एलपीएम बस स्टैण्ड के नजदीक वाले स्कूल के हैं।इस विद्यालय के कीमती दरवाजे चोर निकालकर ले गये।चारदीवारी गिर चुकी हैं।अन्दर अश्वील चित्र व मैसेज लिखे पड़े हैं।यही हालात 21 पीटीडी व 16 पीटीडी स्कूल के हैं।
लेकिन सरकार इन शिक्षा के मंदिरों को स्वस्थ रखने का कोई कदम उठाती नजर नही आ रही हैं।मर्ज करने पर सरकार ने यह कहा था कि मर्ज किये तमाम स्कूलों की बिल्डिग को समाजिक कार्य के उपयोग में लिया जायेगा लेकिन यह सब बाते कागजी ही साबित हुई।
अक्टूबर 2015 में सरकार ने लिया था निर्णय:राजस्थान सरकार ने मर्ज किये गये स्कूलों की सम्पति पर विचार करके अक्टूबर 2015 को निर्णय लिया था कि मर्ज किये गये सभी स्कूलों के खाली भवनों को शिक्षकों के आवास या विभाग के कर्मचारीयों के आवास के लिए किया जावेंगा ताकि भवनों का सद्पयोग हो सके।साथ ही कहा गया था की इन भवनों को आंगनबाडी केन्द्र ,स्वास्थ्य केन्द्र,पंचायत या पटवार भवन के रूप में या अन्य विभाग के कार्मिको के लिए उपयोग किया जावेंगा।यह भी प्लान था की इन भवनों को स्थानीय विवाह शादी व सामाजिक आयोजनों के काम में लिया जावेगा।
किराया भी वसूला जाना था तय:शिक्षको या अन्य कार्मिक के द्वारा भवन का आवास के रूप में उपयोग करने पर उन्हें किराये भत्ते के रूप में मिलने वाली राशि एसडीएमसी के खाते में जमा करने का प्लान था।अन्य सरकारी या सार्वजनिक कार्य में उपयोग करने पर एसडीएमसी ने ही किराया तय करना था।किराये के रूप में प्राप्त राशि भवन के रखरखाव व सम्बंधित स्कूल के विकास कार्य में लगनी थी।
सरकार की ये सब योजनाए सिर्फ कागजी ही साबित हुई।मर्ज किये तमाम स्कूल खण्डर बन रहे हैं।आवारा किस्म के लोगों ने तो स्कूल परिसर को देखने लायक तक नही छोड़ा हैं।हर दीवार पर अश्लीलता की तस्वीरे देखी जा सकती हैं।
सरकार सरकारी सम्पत्ति पर विचार करे-सरकार जनहित को ध्यान में रखकर सरकारी बिल्डिगं के रखरखाव पर विचार कर समाजिक संस्था बनाकर किसी योग्य समाजिक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौंप दे ताकि बिल्डिग से आमदनी भी प्राप्त हो और जरूरतमंद की जरूरत भी पुरी हो जाये।गांव समेजा में शिक्षा विभाग बिल्डिग में जरूरी सुधार कर इसे सरपंच के पांच सदस्य कमेटी को चाबी दे देवें ताकि जरूरत मंद लोगों को सुविधा दी जा सके जिससे बिल्डिग भी बची रहेगी व किराया भी मिल जायेगा।
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